राजधानी की घर-घर नल कनेक्शन योजना अधर में

भोपाल। राजधानी वासियों को फिलहाल 24 घंटे पानी नहीं मिल पाएगा, क्योंकि पानी सप्लाई की व्यवस्था शुरू करने के लिए बनाई घर-घर नल कनेक्शन मीटर देने की योजना अधर में लटक गई है। लोगों में जागरूकता का अभाव और जनप्रतिनिधियों के विरोध को इसकी वजह बताया जा रहा है।
जनप्रतिनिधियों ने जलदर में बढ़ोत्तरी का विरोध किया था। इधर नगर निगम प्रशासन ने घर-घर कनेक्शन देने की योजना लागू करने जिस अमले को प्रशिक्षित किया था, वह भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है। सूत्रों के अनुसार नगर निगम प्रशासन ने नगर में 24 घंटे पानी की सप्लाई के नाम पर हर घर में पानी की मात्रा नापने वाले 15 हजार मीटर खरीद कर रखे हैं। इन्हें शहर की निर्धारित की गई कालोनियों के घरों में लगाया जाना है।

निगम प्रशासन को यह काम एक महीने में पूरा करना था, लेकिन इसकी शुरुआत ही कब होगी और किस क्षेत्र से, यह अभी तक तय नहीं हो सका है। इसके अलावा मीटर लगाने और बिल वसूली को लेकर भी तय नहीं हो सका है कि, नगर निगम अमला ही वसूली करेगा या फिर पूर्व में परिषद में प्रस्तावित की गई योजना के अनुसार किसी निजी कंपनी को ठेका दिया जाएगा। 

सूत्रों का कहना है कि, नगर निगम की पूर्व की कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं, क्योंकि प्राइवेट कंपनियों ने मीटर लगाने के साथ ही बिल वसूली संबंधी प्रक्रिया पर सवाल खडेÞ करते हुए हाथ खींच लिए हैं। कंपनियों की शर्त है कि, पहले कनेक्शन करके दिए जाएं और लीकेज होने या जबरिया पाइप फोड़कर पानी लेने पर नगर निगम अमला ही कार्रवाई करे। दूसरी ओर, निगम प्रशासन चाहता है कि, सारी जिम्मेदारी ठेका लेने वाली कंपनी ही उठाए।

नहीं ले रहे सब्सिडी लाभ
जेएनएनयूआरएम और एडीबी योजना के तहत 24 घंटे पानी सप्लाई के लिए नया वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बिछाया जा रहा है। निगम को मीटर लगाने और पानी का नया कनेक्शन देने में 5600 रुपए प्रति कनेक्शन खर्च आ रहा है। इसमें सब्सिडी देकर 2500 रुपए की राशि उपभोक्ताओं से ली जाना है। यह राशि एक साल में चार किस्तों में निगम को देना होगी। निगम को शहर में 1 लाख 80 हजार मीटर लगाना है, लेकिन शुरुआत में करीब 15 हजार मीटर ही लगाए जाने की योजना बनाई गई है। मीटर की तीन साल की गांरटी होने के बाद भी खराब होने पर सुधरवाने की जिमेदारी उपभोक्ता की ही होगी। मीटर समय सीमा में नहीं सुधारा गया तो निगम नियम के हिसाब से पानी के बिल की वसूली करेगा।

62 में से अब तक सिर्फ 25 टंकियां ही बनीं
जेएनएनयूआरएम के तहत 550 किमी, गैस राहत बस्तियों में 350 किमी और एडीबी के तहत 543 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई जानी है। प्रोजेक्ट का 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है, फिर भी उच्चक्षमता की 62 नई टंकियों में से सिर्फ 25 टंकियों का काम ही पूरा होने का दावा किया जा रहा है। बाकी काम पूरा होने में छह महीने और लगेंगे, लेकिन नगर निगम प्रशासन दावा कर रहा है कि तीन माह में काम पूरा हो जाएगा।

जलदर बढ़ने से भी हो रहा विरोध
घर घर मीटर लगाने के बाद मौजूदा मासिक बिल 180 रुपए बढकर कम से कम 750 रुपए प्रति माह हो जाएगा। इसका सीधा विरोध पार्षदों एवं विधायकों को झेलना पडेगा। इसीलिए कोई नहीं चाहता कि, घर घर में मीटर लगाए जाएं। जनप्रतिनिधियों ने इस बारे में दो टूक कह दिया है कि, जब 180 रुपए महीने के बिल पर बडेÞ तालाब और कोलार से ही आपूर्ति हो जाती थी तो महंगे दाम पर नर्मदा जल की आपूर्ति का समर्थन नहीं करेंगे। दूसरी ओर, निगम के अधिकारियों का कहना है कि, पुराने भोपाल के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पानी तो भरपूर चाहिए, लेकिन बिल का भुगतान नहीं होता है। 

वोट बैंक के चलते नेता नहीं चाहते हैं कि मीटर घरों तक पहुंचे और रीडिंग के हिसाब से पानी का बिल जमा हो। उल्लेखनीय है कि शहर के अशोका गार्डन क्षेत्र में बीते कुछ माह पूर्व नर्मदा पाईप लाईन बिछाने के दौरान क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और निगम अधिकारी, कर्मचारियों के बीच विवाद भी हो गया था, मामले ने इतनी तूल पकड़ी कि नौबत मारपीट और थाने तक जा पहुंची। बताया जाता है कि यह वही पाईप लाईन हैं, जिसके माध्यम से घरों में पानी मीटर लगाए जाना हैं।


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