और वो मुर्दाघर में जिंदा हो गई

ग्‍वालियर। रतनगढ़ हादसे में मारी गई महिला 45 वर्षीय कमलेशी रजत मुर्दाघर में पहुंचते ही फिर से जिंदा हो उठी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसका इलाज चल रहा है।

कमलेशी के पति कोमल सिंह रजत ने कहा कि रतनगढ़ मंदिर में भगदड़ मचने से कमलेशी और उनकी बहू भीड़ द्वारा बुरी तरह से कुचल दी गई थी हम दोनों महिलाओं को कंधों पर लादकर चार किलोमीटर पैदल ले गये। उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी और सांसें भी नहीं चल रही थीं। जिसके बाद उन्‍हें पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने भी प्राथमिक जांच में पाया कि दोनों की मौत हो चुकी है और लाशें ठंडी पड़ रहीं हैं।

पुलिस दोनों लाशों का पीएम कराने मुर्दाघर ले गईं, कुछ देर बाद डॉक्टर ने बताया कि कमलेशी की सांसें फिर से चलने लगीं हैं। तत्काल उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

कोमल का कहना है कि मैंने कमलेशी के जिंदा होने की उम्‍मीद छोड़ दी थी। उसे जब होश आया तो उसने बहू का नाम लिया। वह हादसे से सहमी हुई है और बोल नहीं पा रही है। कोमल के साथियों का कहना है कि कमलेशी का बचना एक चमत्‍कार है।

रतनगढ़ के मंदिर में हुई इस भगदड़ में अब तक 115 लोग मारे जा चुके हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो कि अस्‍पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। हादसे के बाद मंदिर में फिर से श्रद्धालुओं ने आना शुरू कर दिया है। गौर हो कि इसी मंदिर में भगदड़ की यह दूसरी बड़ी घटना है।

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