उपदेश अवस्थी/भाोपाल। गाहे बगाहे सिंधिया पर हमला करते रहने वाले कांतिलाल भूरिया को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। अब कांतिलाल के चिरंजीव चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, हाईकमान ने इशारा कर दिया है और अपनी इज्जत बचाने के लिए कल विक्रांत ने इसका एलान भी कर दिया। सनद रहे विक्रांत के टिकिट पर सिंधिया ने आपत्ति जताई थी।
मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की थांदला विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट के सशक्त दावेदार विक्रांत भूरिया ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। विक्रांत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं।
भूरिया के 30 वर्षीय पुत्र ने बताया, ‘मैं नहीं चाहता कि मुझे चुनावी टिकट मिलने के बाद मेरे पिता पर परिवारवाद और पक्षपात के आरोप लगें और उन्हें किसी तरह की समस्या हो, लिहाजा मैंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है’।
विक्रांत ने सिंधिया का नाम लिये बगैर कहा, ‘कुछ लोग मेरी चुनावी टिकट की दावेदारी को मुद्दा बनाकर मेरे पिता के खिलाफ कांग्रेस के भीतर माहौल बनाना चाह रहे हैं, लेकिन वे अपने मंसूबों में कतई कामयाब नहीं हो सकेंगे’।
प्रदेश में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। विक्रांत जिस थांदला सीट से कांग्रेस के चुनावी टिकट की दावेदारी कर रहे थे, वह अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये आरक्षित है। यह क्षेत्र कांग्रेस के मजबूत गढ़ों में शुमार है और विक्रांत के पिता कांतिलाल की सियासी कर्मस्थली भी रहा है।
कांग्रेस नेता वीरसिंह भूरिया (50) फिलहाल थांदला क्षेत्र की विधानसभा में नुमाइंदगी करते हैं. यानी कांग्रेस आलाकमान अगर किसी और नेता को थांदला से उम्मीदवारी का मौका देता है, तो उसे अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटना पड़ेगा।
बहरहाल, थांदला सीट से कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की दौड़ से विक्रांत के खुद को अलग करने के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं.