कैसे और कब शुरू हुआ आसाराम बापू के खिलाफ घिनौना षड्यंत्र ?

अरून रामतीर्थकर। पिछले 50 वर्षों से ‘संयम-साधना व सत्संग’ की महिमा को जन-जन तक पहँचानेवाले एवं पिछले 8 वर्षों से विश्वभर के युवानों को ओज-तेज का नाश करनेवाले ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने की सुंदर प्रेरणा देनेवाले पूज्य संत श्री आशारामजी बापू संयम, स्नेह, ब्रह्मचर्य, ब्रह्मनिष्ठा व लोक-कल्याण के मूर्तिमंत स्वरूप हैं।

परंतु भारतीय संस्कृति के खिलाफ कार्य करनेवाली विधर्मी ताकतें तथा जिन्हें भारतवासियों की नैतिक एवं सांस्कृतिक उन्नति से भारी नुकसान होता है वे मीडिया के माध्यम से करोड़ों रुपये खर्च करके भी समय-समय पर संतश्री के खिलाफ बड़े-बड़े षड्यंत्र करते आये हैं। ऐसे ही एक सोचे-समझे षड्यंत्र के तहत 20 अगस्त को उत्तर प्रदेश की एक लड़की को मोहरा बनाकर उसके द्वारा छेड़खानी का झूठा आरोप लगवाया गया और फैलाया गया कि बलात्कार का आरोप लगाया गया है। अधिकांश मीडिया द्वारा झूठी, निराधार व बापूजी की छवि खराब करनेवाली खबरें फैलाकर करोड़ों देशवासियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचायी गयी।

कैसे शुरू हुआ घिनौना षड्यंत्र?

उत्तर प्रदेश की लड़की, जो मध्य प्रदेश में पढ़ रही थी, जोधपुर (राजस्थान) में उसके साथ छेड़खानी हुई ऐसी एफआईआर दर्ज कराती है, कहाँ जाकर? दिल्ली के भीतर कमला मार्केट थाने में पहुँचकर! वह भी 5 दिन बाद रात 2-45 बजे!

लड़की की एफआईआर में स्पष्ट या अस्पष्ट रूप से कहीं भी किसी भी तरह से दुष्कर्म (रेप) का उल्लेख नहीं है। लेकिन प्रसार-माध्यमों का सहारा लेकर ‘रेप हुआ है’ व ‘मेडिकल टेस्ट में रेप की पुष्टि हुई है’ ऐसी झूठी खबरें फैलायी गयीं।

लड़की की मेडिकल जाँच रिपोर्ट में रेप की बात को पूरी तरह खारिज कर दिया गया है एवं इसके बावजूद रेप की गैर-जमानती धारा 376 लगायी गयी, जो पूज्य बापूजी को बदनाम करने की सोची-समझी साजिश है। इस बात के लिए राजस्थान पुलिस ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगायी तथा जोधपुर पुलिस डीसीपी अजय पाल लाम्बा ने स्पष्ट रूप से स्वीकार भी किया कि दिल्ली पुलिस ने केस गलत तरीके से दर्ज किया है।

दिनांक 27 अगस्त को पूज्यश्री इंदौर आश्रम में थे। वहाँ ‘समन्स’ थमाया गया कि 30 तारीख तक जोधपुर आना है। उसी समय बापूजी ने कई महत्त्वपूर्ण कारण दर्शाते हुए कुछ मोहलत माँगी थी और ‘समन्स’ थमानेवाले ने उस अर्जी पर अपने हस्ताक्षर भी कर दिये थे कि ‘हम अर्जी को आगे तक पहुँचायेंगे।’ बापूजी पूर्वनिर्धारित जन्माष्टमी कार्यक्रम के निमित्त 28 अगस्त को सूरत आश्रम में थे।

अपने कर्मयोगी शिष्य का अंतिम संस्कार करने हेतु भोपाल पहुँचे

मध्य प्रदेश के कई आश्रमों के सेवा-प्रभारी, सेवानिष्ठ साधक, भोपाल आश्रम के वरिष्ठ पदाधिकारी व नारायण साँईं के ससुर श्री देव कृष्णानीजी इस षड्यंत्र को सहन नहीं कर पाये। राजस्थान पुलिस का छिंदवाड़ा गुरुकुल की बच्चियों पर मानसिक दबाव, धाक-धमकी द्वारा जबरदस्ती मनचाहे बयान लेने जैसी हरकतों से तथा पूज्य बापूजी की गिरफ्तारी के लिए षड्यंत्रकारियों द्वारा रची गयी गहरी साजिश से उन्हें बहुत बड़ा सदमा लगा। उनकी धार्मिक भावनाएँ आहत होने से उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया था। अपने दिल की पीड़ा भोपाल कलेक्टर को ज्ञापन के रूप में दी व जब पीड़ा का कुछ निराकरण न दिखायी दिया तो हार्ट-अटैक से अपनी जान दे डाली। झूठी कल्पित कहानियाँ बनानेवालों ने दो दिन से अन्न-जल त्यागकर बैठे हुए इन सेवायोगी साधक के प्राण ले लिये। 29 अगस्त को प्रात: 3.20 बजे उन्होंने शरीर छोड़ दिया। कुप्रचार के पूर्व वे पूरी तरह स्वस्थ थे। देशभर के साधकों ने इसका शोक जताया है। उन्होंने गुहार लगायी है कि बिना तथ्यों की झूठी खबरें न फैलायी जायें ताकि हमें हमारे महत्त्वपूर्ण, राष्ट्रसेवी साधकों को इस प्रकार खोना न पड़े।

पूज्य बापूजी देव कृष्णानीजी के हादसे को सुनकर उनके अंतिम संस्कार के लिए बीच जन्माष्टमी कार्यक्रम में ही सूरत से भोपाल पहुँचे। उनको बेटियाँ ही थीं, अत: बापूजी, अन्य रिश्तेदार व साधकों ने कंधा दिया।

पूज्य बापूजी को गिरफ्तार करने की घिनौनी साजिश

राजस्थान पुलिस को मोहलत बढ़ाने के लिए खबर की गयी थी। कोई उत्तर न मिलने पर 30 तारीख को जेट एयरवेज की टिकट बापूजी ने करा ली थी। परंतु ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (आयुर्वेद के अनुसार अनंत वात) की भयंकर पीड़ा के कारण टिकट कैंसल करानी पड़ी। यह पीड़ा प्रसूति व हार्ट-अटैक की पीड़ा से भी अधिक भयंकर होती है। इसमें थोड़ी-सी असावधानी से शरीर का अंत हो सकता है, व्यक्ति की मौत हो सकती है। इंटरनेट पर सबसे पीड़ादायक रोग के रूप में इसका वर्णन आता है। फिर शाम को भोपाल से वाया दिल्ली जोधपुर जाने हेतु भोपाल एयरपोर्ट पहुँचे परंतु मीडिया व लोगों की भीड़ के कारण बोर्डिंग काउंटर बंद हो गया। टिकटों के रूप में प्रूफ भी हमारे पास हैं।

परिश्रम, जागरण, तनाव होने पर भी बापूजी बाई रोड इंदौर के अपने आश्रम पहुँचे। किसी अनजान स्थान पर नहीं गये। इसके विपरीत कुछ-का-कुछ उछाला गया कि भाग गये आदि। मध्य प्रदेश की पुलिस 31 तारीख को सुबह लगभग 6 बजे आश्रम पहुँच चुकी थी और पूरी कुटिया को सैकड़ों पुलिसवालों ने घेर लिया था। दोपहर तक भक्त भारी संख्या में इकट्ठे हो गये थे। 31 तारीख रात को इंदौर आश्रम के व्यासपीठ से जाहिर सत्संग में बापूजी ने 167 देशों को इंटरनेट लाइव द्वारा संदेश देते हुए खुलेआम कहा: ‘‘हम जोधपुर पुलिस का इंतजार कर रहे हैं व स्वागत करते हैं। किसी कारण से शरीर की अचानक पीड़ा से नहीं जा पाये। वह पीड़ा अभी तक यथावत् बनी हुई है।’’

पूज्यश्री का रक्तचाप 160/120 था। हृदय में भारीपन व छाती में दर्द भी था। वैद्यों ने पुलिस से निवेदन किया कि हम डॉक्टर को बुलाना चाहते हैं। डॉक्टर आये।

जोधपुर की पुलिस आश्रम में पहुँच गयी। बापूजी ने उनसे कहा : ‘‘आप निश्चिंत रहना। हम भाग नहीं जायेंगे, हम भगेड़ू नहीं हैं। हम वचन देते हैं कि आपको पूरा सहयोग करेंगे।’’

पुलिस ने कहा : ‘‘कल सुबह 7.50 की फ्लाइट से हम आपको दिल्ली ले जायेंगे। आगे कनेक्टिंग फ्लाइट से जोधपुर।’’ बापूजी ने सहमति दी।

कलबल-छल से की गिरफ्तारी

रात्रि 10.30 बजे बापूजी अपने कमरे में विश्राम के लिए चले गये। 11 बजे के आसपास पुलिस ने आश्रम में सर्वत्र शांति से बैठकर जप-पाठ करनेवाले भक्तों को उठाना चालू किया। बड़ी बेरहमी से अपमानजनक वचन सुनाकर अपने डंडों से पीटते हुए पुलिस ने भक्तों को उठाकर आश्रम की सड़कें खाली कर दीं। भक्तों को एक जगह बैठाकर चारों तरफ से बैरियर लगाये गये। उस समय इंदौर आश्रम में 800 से भी अधिक संख्या में पुलिस थी। रात के 12 बजे तक बहुत बड़ा कोलाहल मच गया था। 12 बजे पुलिस की गाड़ी कुटिया में आ गयी। पुलिस ने सेवकों से कहा : ‘‘हम 10-15 मिनट बापूजी से सवाल करना चाहते हैं। आप बाहर बुलाइये।’’

सेवकों ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की : ‘‘बहुत थके हुए हैं, विश्राम में हैं। आपको जो भी पूछना है, सुबह पूछ लीजिये।’’

पुलिस का दबाव बढ़ता गया। जब वे ऊँची आवाज में चिल्लाने लगे तब गुरुदेव अपने कमरे से बाहर आ गये। पुलिस ने कहा : ‘‘रात के 12 बज चुके हैं। 4 दिन के ‘समन्स’ का समय पूरा हो चुका है, हम आपको यहाँ से ले जायेंगे।’’

सेवकों ने कहा : ‘‘आपने ही कहा था कि सुबह की फ्लाइट से ले जायेंगे, रात को यहीं विश्राम कर लें। तो आप आधी रात को क्यों जबरदस्ती कर रहे हो?’’

पुलिस चिल्लाने लगी : ‘‘हम क्या तुम्हारी बात मानने आये हैं? समय पूरा हो चुका है, हम लेकर जायेंगे।’’

गुरुदेव उठकर पुलिस की गाड़ी में बैठने लगे। सेवक से अपना आसन माँगा। पुलिस ने बदतमीजी से कहा : ‘‘कोई आवश्यकता नहीं आसन-वासन की, बैठ जाओ।’’

अंगद सेवक भागकर पानी की बोतल व बैग लेकर आया। पुलिस ने गाड़ी में नहीं रखने दिया। गुरुदेव के दोनों तरफ, आगे व पीछे पुलिस बैठ गयी। पुलिस की गाड़ी कुटिया के द्वार से बाहर निकल गयी। बाकी की पुलिस ने कुटिया के अंदर सेवकों पर लाठीचार्ज चालू कर दिया। भक्त गुरुदेव की गाड़ी की ओर दौड़ पड़े। लाठीचार्ज जारी रहा। गाड़ी आश्रम के प्रवेशद्वार से बाहर निकल गयी। पुलिस ने कहा था कि ‘सुबह ले जायेंगे’ पर रात को 12-20 बजे ‘मार्शल लॉ’ की रीति से एयरपोर्ट पर ले गये। रात को 1 बजे से सुबह तक बापूजी को एयरपोर्ट पर बिठाकर रखा गया। सुबह जैसे ही फ्लाइट में चढ़े, मीडिया ने अंदर भी सताना चालू रखा।

दिल्ली से जोधपुर की फ्लाइट पकड़कर जोधपुर पहुँचे। उतरते ही कानूनी जाँच चालू हुई। इतना उन्हें कम लगा तो रात 12.30 तक जाँच जारी रखी। यह लगातार दूसरी रात थी कि बापूजी थोड़ी देर भी सो नहीं पाये। पूछताछ के दौरान बापूजी ने यौन-शोषण के बारे में कहा : ‘‘हम ऐसा काम कर ही नहीं सकते।’’

पूज्य बापूजी पुलिस की नजरकैद में थे। कैमरे लगे हुए थे। एक सेवक साथ में था। सेवक ने देखा कि सिर की दाहिनी तरफ काफी सूजन है। पूछने पर पता चला कि तीव्र दर्द भी है। रातभर के जागरण से ‘ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया’ की पीड़ा भयंकर रूप लेने लगी। जोधपुर की पुलिस कस्टडी में शिरोधारा का उपचार एकमात्र उपाय था। भयंकर हालत देखकर पुलिस को अपना मानसिक दबाव रोकना पड़ा और उन्होंने उपचार कराने की अनुमति दी। एमआरआई स्कैन में इस रोग के सभी कारणों को जाना नहीं जाता। वेबसाइट पर इसकी भयंकरता का वर्णन मिलता है। पिछले 13 वर्षों से बापूजी इस भयंकर पीड़ा से ग्रस्त हैं। इतने वर्षों में हुए रोगोपचार की 100 से अधिक रिपोटर्ें नीता वैद्य के पास हैं। कहाँ गयी मानवता? जैसा व्यवहार बापूजी के साथ हुआ, ऐसा किसीके साथ न करें।

‘‘अभी भी आपने मुझे कहाँ पकड़ा है?’’

सेवक ने देखा कि संतश्री उसी छोटे-से कमरे में अपनी लाल टोपी व धोती पहनकर टहल रहे थे और गा रहे थे: ‘‘मम दिल मस्त सदा तुम रहना... आन पड़े सो सहना। मम दिल...’’ पुलिस को सत्संग के वचन सुना रहे थे, उनका नियम जो है प्रतिदिन सत्संग करने का!

पुलिस पूछताछ के दरम्यान भी वे पुलिस को बीच-बीच में ज्ञान की बात सुनाते थे। एक पुलिस ने उनसे पूछा : ‘‘बापू! आप तो कहते थे कि पुलिस मुझे पकड़ नहीं सकती।’’

बापूजी ने कहा : ‘‘वह तो है ही, अभी भी आपने मुझे कहाँ पकड़ा है?’’

‘‘हिन्दू धर्म को कोई भी कदापि नहीं मिटा सकता।’’

सेवक ने पूज्यश्री से कहा: ‘‘गुरुदेव! हमारा जो विश्वास है कि सत्य की जय होती है, उसे टूटने नहीं देना।’’

बापूजी : ‘‘वह तो है ही। इतिहास साक्षी है।’’

सेवक : ‘‘गुरुदेव! हमसे यह सब सहन नहीं होता। भक्त अत्यंत व्यथित हैं, सड़क पर उतर आये हैं।’’

पूज्यश्री : ‘‘भगवन्नाम का जप करें।’’

सेवक : ‘‘गुरुदेव! अगर कूटनीति ऐसे ही चलती रहेगी और संतशिरोमणि को ही जेल में डाला जायेगा तो सारा संत-समाज ही धीरे-धीरे नेस्तनाबूद किया जायेगा। हिन्दू धर्म की जड़ें उखाड़ दी जायेंगी।’’

पूज्यश्री (आँखें बंद, चेहरा शांत) : ‘‘हिन्दू धर्म को कोई भी कदापि नहीं मिटा सकता।’’

पुलिस ने सेवकों को कमरे से बाहर निकाल दिया। गुरुदेव के श्रीचरणों में प्रणाम करके वे निकल गये।

कमरे के बाहर से सेवक देख रहे थे कि जो भी पुलिसवाला आता पूज्यश्री उसे उसके स्वास्थ्य के बारे में उपाय बताते थे। उनके सहज विनोदी स्वभाव के अनुसार चुटकियाँ भी लेते थे। सुबह-शाम खुली हवा में घूमने का नियम है, वह कमरे में ही घूमकर पूरा करते थे।

उसके बाद शाम 4-4.30 बजे न्यायालय में ले जाया गया। 5 ही मिनट में सुनवाई हुई - ‘जेल’। पूज्यश्री को जोधपुर के केन्द्रीय कारागृह में ले जाया गया।

मच्छरों का बाहुल्य व रोग के उपचार के अभाव में इन संत ने कितने कष्ट सहे यह भगवान जानते हैं और वे ही जानते हैं। मीडिया द्वारा फैलाया गया कि बापूजी को जेल में कूलर, पलंग आदि सुविधाएँ दी जा रही हैं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। न कूलर, न तखत, न कोई सुविधा! स्वयं जेल अधीक्षक द्वारा इसकी पुष्टि हो चुकी है।

सनसनी फैलानेवाली खबरों ने ‘पीड़िता-पीड़िता’ कहकर लाखों महिलाओं को पीड़ित करने का काम किया है। साजिश के तहत बापूजी की गिरफ्तारी से व्यथित लाखों-लाखों माँ-बहनें व महिलाएँ उपवास रख रही हैं।

दहेज व रेप आदि के झूठे केसों की बहुतायत से असंख्य नर-नारियाँ, कई बेगुनाह परिवार, निर्दोष आत्माएँ साजिशकर्ताओं के शिकार होकर कारावास में पीड़ाएँ सह रही हैं। ऐसे झूठे मुकदमे देश व मानवता का गला नहीं घोंटते क्या?

एक अधिकारी ने बताया कि ‘‘98 प्रतिशत रेप के केस झूठे साबित हुए हैं। मेरे 12 साल के कार्यकाल में मात्र 3 केस ही सच साबित हुए हैं।’’

मेडिकल रिपोर्ट पूर्णत: सामान्य

आरोप करनेवाली लड़की की मेडिकल जाँच रिपोर्ट में लिखा गया है कि उसके शरीर पर कहीं भी खरोंच, बाइट (दाँतों से काटने) के निशान नहीं हैं। उसके साथ कोई भी यौन-शोषण (सेक्शुअल एसॉल्ट) तथा शारीरिक शोषण (फिजिकल एसॉल्ट) नहीं हुआ है। मेडिकल रिपोर्ट पूर्णत: सामान्य होने के बावजूद भी रेप के लिए लगायी जानेवाली गैर-जमानती धारा 376 अभी भी लगी हुई है। लड़की ने भी अपने बयान में कहीं भी ‘रेप हुआ’ ऐसा नहीं कहा है।

कैसी मनगढ़ंत कहानी!

लड़की कहती है : ‘बापूजी ने मुझे कमरे में बुलाया, मेरी माँ कमरे के बाहर बैठी हुई थी। बापूजी ने दरवाजा बंद करके मेरे कपड़े उतारने चाहे तो मैं चिल्लाने लगी तो मेरा मुँह बंद कर दिया। डेढ़ घंटे तक मेरे शरीर पर हाथ घुमाते रहे। फिर मुझे कहा : ‘माता-पिता को बताना नहीं। नहीं तो जान से मार डालूँगा।’

डेढ़ घंटे बाद मैं कमरे से बाहर आयी तो घबरायी हुई थी। माँ के साथ कुटिया के कम्पाउंड के बाहर ही जो साधक का घर है, उसमें चली गयी। मैंने अपने माता-पिता को कुछ नहीं बताया और सो गयी।’

कैसी मनगढ़ंत बातें हैं! जो कन्या बीमार है, इलाज हुआ, मानसिक विक्षिप्त है, उसे छिंदवाड़ा से शाहजहाँपुर व वहाँ से जोधपुर (2000 कि.मी. से अधिक दूर) माँ-बाप के साथ बुलाकर और माँ कमरे के बाहर बैठी हो तो कोई साधारण या नासमझ आदमी भी कन्या का मुँह दबाकर डेढ़ घंटे तक शरीर के ऊपरी हिस्से पर हाथ घुमाता रहे, कुचेष्टा करता रहे व पास में किसान का घर होने के अलावा माँ-बाप भी हों - ऐसा सम्भव नहीं है। 

माँ कुटिया के दरवाजे के बाहर बैठी है तो उसे लड़की के चिल्लाने की आवाज सुनायी क्यों नहीं दी? डेढ़ घंटे तक जिसका यौन-शोषण हुआ हो, ऐसी कथित 16-17 वर्ष उम्र की लड़की जब माँ के सामने आती है तब क्या माँ को उसकी हालत देखकर मन में आशंका नहीं होगी? और शोषण डेढ़ घंटे तक हुआ, यह लड़की को ऐसी परिस्थिति में कैसे पता चला? क्या वह घड़ी देखकर अंदर गयी थी और आने के बाद भी घड़ी देख ली थी?

लड़की बयान में लिखवाती है कि ‘मैं चुपचाप कमरे में जाकर माँ-बाप के साथ सो गयी।’ ऐसा होने पर कोई कैसे सो सकता है? फिर सुबह किसान के बच्चों के साथ खेली व 200 रुपये भी दे गयी। कार से स्टेशन पहुँची। डेढ़ घंटे तक अगर उसका मुँह दबाया रहता, हाथ घूमता रहता, वह विरोध करती रहती तो क्या उसके शरीर पर कहीं भी कोई निशान नहीं होता? डेढ़ घंटे दबाया हुआ मुँह देखकर उसकी माँ के मन में आशंका नहीं होती?

कमरा बंद था। कुंडी लगायी थी। लाइट भी बंद थी। ऐसी स्थिति में डेढ़ घंटे तक लड़की अंदर रही तो वहीं बाहर बैठी माँ ने दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया? अथवा बाहर जो तथाकथित 3 लड़के खड़े कर दिये गये थे, उनसे क्यों नहीं पूछा?

उस लड़की की मनगढ़ंत बातों के सिवाय पुलिस के पास घटना के बारे में क्या जानकारी है? उसकी बातों की पुष्टि के लिए क्या प्रूफ हैं? मेडिकल रिपोर्ट तो सामान्य ही है। घटना तो बताती है 15 अगस्त की और एफआईआर दर्ज हुई 20 को। ऐसा क्यों? लड़की उत्तर प्रदेश की, पढ़ रही थी छिंदवाड़ा (म.प्र.) में, तथाकथित घटना जोधपुर (राजस्थान) की बता रही है और फिर एफआईआर दिल्ली में रात को 2-45 बजे क्यों? वह भी कमला मार्केट पुलिस थाना ही क्यों? अगर वे उत्तर प्रदेश से ट्रेन, बस या हवाई जहाज से भी दिल्ली पहुँचते तो भी कमला मार्केट से पहले 3 मुख्य पुलिस थाने मेन रोड पर आते हैं। वहाँ क्यों नहीं की गयी एफआईआर? उनकी हर चाल पर कई सवाल खड़े होते हैं।

जो भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार, समाज की व्यापक सेवा, बालक, युवाओं व महिलाओं के उत्थान, रोगग्रस्तों के उपचार, गरीबों हेतु भंडारे, हर प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में राहतकार्य आदि में 50 वर्षों से लगे हुए हैं, ऐसे एक अत्यंत लोकप्रिय महान संत को, एक कथित 16-17 वर्ष की लड़की की आधारहीन, एक भी पुख्ता सबूत से रहित बातों के आधार पर क्या पुलिस जेल भेज सकती है? तो इन सबके पीछे क्या राजनीति है? हिन्दू धर्म की जड़ें काटना? लोगों की धर्म से श्रद्धा हटाकर उन्हें धर्मपरिवर्तन के लिए प्रेरित करना? भारत देश भारत तभी तक है, जब तक हिन्दू धर्म है। क्या वे धर्म को मिटाकर भारत देश को ही मिटाना चाहते हैं? कई प्रश्न उठते हैं। प्रबुद्ध समाज को इस ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। बेबुनियादी बातें फैलाकर टीआरपी बढ़ानेवाले मीडिया पर अंकुश लगानेवाले ठोस कानून भारतीय संविधान में होने चाहिए। अन्यथा समाज दिग्भ्रमित हो जायेगा, धर्म और संतों पर से विश्वास खो बैठेगा। और ये केवल हिन्दू संतों पर ही आरोप क्यों लगते हैं? अपनी संस्कृति और धर्म से आस्था हटी तो सर्वनाश!

यतो धर्म: ततो जय:। यतो धर्म: ततो अभ्युदय:।

जब संत ही नहीं रहेंगे तो जीवन ही दिशाहीन हो जायेगा।

संत न होते जगत में, तो जल मरता संसार।

ब्रह्मज्ञानी महापुरुष अपार कष्ट, निंदा, अपमान सहते हुए भी लोक-कल्याण के कार्य में लगे ही रहते हैं। वह तो उनका स्वभाव ही होता है।

तरुवर सरोवर संतजन चौथा बरसे मेह।

परमारथ के कारणे चारों धरिया देह॥

बापूजी के साधकों के ऊपर भी हुआ घोर अत्याचार

देश-विदेश के साधकों में इस षड्यंत्र के खिलाफ घोर रोष फैल गया है। देशभर में शांतिपूर्वक विरोध करते हुए रैलियाँ, धरना-प्रदर्शन चालू हो गये हैं।

पूज्य बापूजी के 3 साधकों के ऊपर भी झूठा आरोप लगाया गया। उनमें से एक साधक शिवा के साथ पुलिस ने पूछताछ के नाम पर आतंकवादी की तरह व्यवहार किया। आरोप लगानेवाली लड़की ने कहा कि 15 अगस्त की रात को उन सबको शिवाभाई बुला के ले गये थे। जबकि शिवाभाई की टिकट व मोबाइल लोकेशन से पता चलता है कि वे शाम को ही दिल्ली निकल गये थे। शिवाभाई से पुलिस रिमांड के बल पर कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाये गये। ऐसा करने के लिए पुलिस पर कितना प्रभाव-दबाव रहा होगा! शिवाभाई के साथ बेरहमी से मारपीट की गयी, प्रलोभन दिये गये, कान का पर्दा भी खराब कर दिया गया। बापूजी के खिलाफ बयान दिलाने के लिए क्या यह साजिशकर्ताओं का पुलिस पर दबाव नहीं है? हाथ की कोहनियों व घुटनों पर जूते पहनकर आघात करते हैं। कहते हैं कि ‘यह सब मेडिकल जाँच में नहीं आयेगा।’ ऐसा कहकर शारीरिक के साथ मानसिक पीड़ा भी देते हैं। भगवान ऐसी पीड़ा किसी निर्दोष को न दें, जो शिवाभाई को दी गयी। पूज्य बापूजी पर भी ऐसा दबाव बनाया गया। कोई भी कागज पढ़कर सुनाये बगैर उन पर हस्ताक्षर करवाये गये।

जब ‘सहारा समय’ व ‘पी-7’ न्यूज चैनलवालों ने पूछा तो शिवाभाई ने सारा हाल कह डाला: ‘‘बापूजी कभी किसी लड़की से एकांत में नहीं मिलते हैं। मैं 8 साल से गुरुदेव के साथ रहता हूँ। ऐसा कुछ हुआ नहीं है और कहीं-न-कहीं ये षड्यंत्रकारियों की सेटिंग है। मेरे पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, कोई सीडी नहीं है, जैसा मीडिया द्वारा फैलाया जा रहा है। मेरे साथ पुलिस द्वारा जबरदस्ती की जा रही थी। पुलिस ने मेरी चोटी उखाड़ दी, मेरे को बहुत मारा-धमकाया कि जो हम बोलें वह तुझे बोलना है। मेरे पास पेपर भी लाये कि तुम्हारे पास से हमें सीडी मिली है - ऐसा हस्ताक्षर करके स्वीकार करो। जबकि मेरे पास कोई सीडी नहीं है।’’ शिवा ने अदालत में इस बात की शिकायत भी की।

इस बात की पुष्टि तथा मीडिया में चल रही झूठी बातों की पोल खोलते हुए डीसीपी अजय पाल लाम्बा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा : ‘‘हमें कहीं से कोई भी सीडी, कोई मूवी या विडियो क्लिप बरामद नहीं हुई है। ये तथ्यहीन बातें हैं।’’

किसी भी व्यक्ति को पुलिस हिरासत में लेने के बाद 24 घंटों के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना कानूनन अनिवार्य है। फिर भी गैर- कानूनी ढंग से जोधपुर पुलिस ने 3 दिन तक शिवाभाई की रिमांड लेने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया।

छिंदवाड़ा गुरुकुल की वार्डन शिल्पी का पिछले 6 माह में पूज्य बापूजी से मौखिक या फोन से कोई सम्पर्क नहीं रहा है। जोधपुर पुलिस ने छिंदवाड़ा जाकर उस पर भी दबाव डाला। साथ ही आरोप लगानेवाली लड़की की सहेलियों को भी बहलाया व धमकाया तथा उन्हें भी उसी तरह का बयान देने के लिए बाध्य किया। जो पूछताछ कुछ घंटों में पूरी हो सकती थी, उसे 3 दिन तक जारी रख के कुत्सित प्रयास किये गये। इन सबसे परेशान होकर छात्राओं ने ‘राजस्थान पुलिस ऐसा दबाव क्यों बनाती है?’ ऐसा सवाल उठाया व उनके विरुद्ध नारे लगाये, तब कहीं राजस्थान पुलिस छिंदवाड़ा से वापस लौटी।

क्या यह साजिशकर्ताओं का दबाव, प्रलोभन या जो भी कुछ कहो, स्पष्ट नहीं दिखता? इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने का कितना घोर षड्यंत्र हो रहा है। नहीं तो देश की सेवा करनेवाले ऐसे महापुरुष तथा उनके साधकों के साथ आतंकवादी की तरह व्यवहार नहीं किया जाता। यह घोर निंदनीय है। एक लड़की की निराधार बातों के आधार पर एक ऐसे संत, जिनकी वाणी को दुनिया के करोड़ों लोग श्रद्धापूर्वक सुनते हैं, जिन महापुरुष के साथ करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाएँ जुड़ी हैं, उनके साथ ऐसा अत्याचार यह न्याय-प्रणाली और कानून-व्यवस्था का दुरुपयोग नहीं तो और क्या है? 


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