नीमच। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पाटी, समाजवादी पार्टी और आप के भावी प्रत्याशी अपनी तैयारियों में लग गए हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोशित कर दिया है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के उच्च स्तर पर संपर्क जारी है। मतदाताओं के बीच अपना आधार मजबूत बनाने के बजाय कतिपय नेता वरिश्ठ नेताओं की चापलूसी करने में पीछे नहीं है। ऐसे में सभी पार्टियों के हाईकमान ने सभी भावी विधायकों को अपने क्षेत्र में काम करने का संकेत दे दिया है। इससे स्थिति अब रोचक हो गई है।
मप्र में 25 नवंबर को निर्वाचन होना है। प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों को निर्वाचन आयोग की तरफ से मिले संकेतों के बाद अपनी प्रतिश्ठा और नौकरी बचाने के लिए अधिकारी हर उन्माद को अपने स्तर पर निपटाने के लिए प्रयासरत है और ऐसे में कतिपय विध्न संतोशी या साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाले लोगों पर भी पुलिस की नजर पड़ गई है। जाहिर है भाजपा के कतिपय नेता जिस आधार पर राजनीतिक मंशा की अपेक्षा रख रहे थे उसके लिए उन्हे अब परेशानी झेलना पड़ सकती है।
मनासा के पूर्व विधायक तथा प्रदेश में मंत्री रहे नरेंद्र नाहटा ने नीमच में पत्रकार वार्ता आयोजित कर मनासा की घटना के पीछे कई प्रश्न खड़े किए हैं। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके प्रश्नों में यह कहीं छिपा है कि प्रतिद्वंदी पार्टी के कतिपय नेताओं की मंशा मालवा की शांति को भंग करने की है। महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस पार्टी में भी एकजुटता की कमी इस वार्ता में नजर आई, जब वर्तमान विधायक विजेंद्रसिंह मालाहेड़ा इस दौरान अनुपस्थित रहे, लेकिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष नंदकिशोर पटेल इस वार्ता में मौजूद रहे। जाहिर है दिग्गी गुट अभी भी अपने स्तर पर गुट बनाकर काम कर रहा है।
मनासा में भाजपा के लिए माधव मारू फिर कांटा बन सकते हैं, लेकिन हाल ही की घटना के बाद जिस प्रकार के संकेत मिल रहे हैं उससे लगने लगा है कि भाजपा मारू को उपकृत कर सकती है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी में एक समझौता हो गया है। जिसमें यदि कांग्रेस के मारू पसंद के उम्मीदवार को कांग्रेस टिकट देती है तो मारू चुप्पी साध लेंगे, लेकिन यदि कांग्रेस को टिकट बदला तो तय मानिए कि उनकी बगावत फिर परवान चढ़ेगी। वर्तमान में सभी अपने स्तर पर प्रयासरत है, लेकिन भोपाल और दिल्ली के नेताओं ने स्थानीय नेताओं को लौटा दिया है।
इससे कई मायूस है तो कई नेताओं को कोस रहे हैं। जावद में तो यह तय हो गया कि ओमप्रकाश सखलेचा चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के लिए भी प्रयास जारी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में विचार मंथन चल रहा है। वहां के नेता अपने-अपने स्तर पर प्रयासरत है और आचार संहिता के लागू होने के बाद सभांवना है कि पूरा अक्टूबर माह इसी प्रयास में लग जाएगा। इस बार चुनाव आयोग ने जिस प्रकार की सख्ती प्रारंभ से ही जो संकेत दिए हैं।