भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति के चैयरमेन बनाए जाने के तुरंत बाद शिवराज सिंह चौहान ने इसे कांग्रेस में आदिवासियों का अपमान करार दिया। इससे पूर्व सिंधिया के नाम पर सहमति के समय भी उन्होंने सिंधिया का विरोध और भूरिया का समर्थन किया था।
सवाल यह उठता है कि शिवराज सिंह चौहान को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया की इतनी फिक्र क्यों है। क्यों वो लगातार भूरिया को पॉवरफुल बनाए रखने का प्रयास किया करते हैं और एन चुनाव से पहले जब भूरिया के हाथ से पॉवर घट रही है तो वो अपने आपको भूरिया का समर्थन करने से रोक नहीं पा रहे हैं।
सवाल बहुत गहरा इसलिए है क्योंकि कांतिलाल भूरिया की नियुक्ति के बाद से ही यह चर्चाएं आम रहीं हैं कि कांतिलाल की नियुक्ति शिवराज सिंह की ओर से करवाई गई है। यहां बताना मुनासिब होगा कि शिवराज एंड कंपनी में केवल भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस के नेता, कुछ प्रशासनिक अफसर, कुछ व्यापारी और मीडिया से जुड़े लोग भी शामिल हैं। आरोप लगते रहे हैं कि भूरिया भी इसी कंपनी का हिस्सा हैं और इस बार मध्यप्रदेश में जो चुनाव लड़े जाने वाले हैं वो बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं बल्कि शिवराज एंड कंपनी और अन्य के बीच प्लान किए गए थे।
पूरी की पूरी कांग्रेस में अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया ही ऐसे हैं जो ना तो शिवराज एंड कंपनी में शामिल हैं और ना ही शामिल होने की संभावना।