भोपाल। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने शिवराज सरकार पर जल संसाधन विभाग में पांच हजार करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप लगाया है। श्री सिंह ने कहा कि चुनाव के लिए पैसा एकत्रित कर मतदाता प्रभावित करने के लिए शिवराज सिंह चैहान ने सभी निर्माण विभागों को ताबड़तोड़ टेंडर जारी करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें सभी नियम-कानूनों को ताक में रख दिया गया है।
प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि अपने आप को ईमानदार कहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, उनके चहेते प्रमुख सचिव जल संसाधन आर.एस. जुलानिया पांच हजार करोड़ के टेंडर अपने-अपने ठेकेदारों के उपक्रत करने के अभियान में लगे हैं। जिसके एवज में करोड़ों रूपये का लेन-देन हो गया है। बगैर किसी तकनीकी सलाह और प्रक्रिया को पूरी किए बिना लगभग 3000 करोड़ की स्वीकृति आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि जल संसाधन विभाग की योजनाओं का निर्माण एक अत्यंत तकनीकी विषय है। योजना प्रारंभ करने के लिए एक लंबी नेता तकनीकी प्रक्रिया से किसी भी प्रोजेक्ट से गुजरना पड़ता है। इसके अंतर्गत परियोजनाओं का विस्तृत यांत्रिकी तथा जियो टेक्नीकल सर्वेक्षण तथा अन्वेषण करना होता है।
इस सर्वेक्षण के आधार पर ही जल संसाधन विभाग की बड़ी योजनाओं की उपयोगिता और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है जबकि वर्तमान में ताबड़तोड़ ठेके देने के लिए योजनाओं को मात्र जिआलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के नक्शों पर संभावनाओं के आधार पर बांध तथा नहरों की लाइन अंकित कर प्रस्ताव तैयार किए गए है जिनका कोई तकनीकी आधार नहीं है। इसमें सबसे गंभीर मुद्दा यह है कि ये सभी अधिकांश प्रस्ताव मूल रूप ये अंकित विभाग के तकनीकी अधिकारियों के द्वारा तैयार न करते हुए प्रदेश के बाहर के बड़े ठेकेदारों की सलाह एवं परामर्श पर तैयार किए गए है। विभाग के अधिकारियों ने झूठे आंकड़ों के आधार पर तैयार किए गए प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि नियमानुसार किसी भी प्रोजेक्ट के लिए विभागीय स्तर पर दस्तावेजीकरण एवं लागत निकालकर टेंडर आमंत्रित किए जाते थे, लेकिन इसमें ठीक इसके उलट निविदा की टर्न की प्रक्रिया अपनाई गई जिसमें विभाग को पूरी तरह मुक्त कर ठेकेदारों की मर्जी के मुताबिक निविदाएं जारी की गई। जिसमें टेंडर मंजूर होने के बाद प्रोजेक्ट की डीपीआर स्वयं ठेकेदार द्वारा बनाई जाएगी। जिसके आधार पर वह मनमर्जी से काम करेगा। श्री सिंह ने बताया कि जल संसाधन विभाग ने न केवल तकनीकि प्रक्रिया को अनदेखा किया बल्कि प्रोजेक्ट के पूर्व न तो भूअर्जन की कार्यवाही की और न ही सेक्शन 4-6 के अंतर्गत नोटिस जारी किए गए। यहां तक की निर्माण कार्य का नक्शा तक तैयार नहीं किया गया। नहरों और बांधो को बनाने की योजना नक्शे पर तो बना ली लेकिन जमीन कहां और कौन-सी है इसका पता न तो विभाग को है न ही ठेकेदार को। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस शासन में टर्नकी प्रक्रिया के प्रकरण प्रस्तुत किए गए थे जिसे तत्कालीन सरकार ने अमान्य कर दिया था, क्यांेकि इस प्रक्रिया से योजना की उपयोगिता और व्यवहारिकता अनिश्चित होती है, भ्रष्टाचार पनपता है और प्रदेश को गंभीर आर्थिक क्षति होती है।
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि विभाग से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार प्रदेश के बाहर हैदराबाद की एक कंपनी प्रमुख भूमिका निभा रही है। वह मंत्रालय में बैठकर प्रस्ताव तैयार कर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर रही है। अभी तक इस कंपनी का टर्नकी प्रक्रिया के तहत जल संसाधन विभाग और एनव्हीडीए ने एक हजार करोड़ से अधिक के कार्य आवंटित कर दिए गए तथा इतनी ही राशि के कार्य उसे देने की तैयारी है।
इन सभी प्रकरणों में अत्यंत महत्वपूर्ण विषय यह है कि भारत सरकार के द्वारा जो दिशा निर्देश सिंचाई योजनाओं को प्रारंभ करने के पूर्व अपनाए जाना चाहिए उसकी पूर्ण रूप
से अवेहलना की जा रहीं है। जैसे-
1. केन्द्रीय जल आयोग भारत सरकार ने योजनाओं की निविदा आमंत्रित करने से पूर्व प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया निर्धारित की है जिसका पालन शून्य है।
2. निविदा जारी होने से पूर्व प्रभावित तथा लाभान्वित जनता की सुनवाई आवश्यक है। जिसके लिए भारत सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देश है। इसका कोई पालन नहीं किया गया।
3. जल संसाधन विभाग की बड़ी योजनाओं में आवश्यक है कि निर्माण प्रारंभ करने से पूर्व पर्यावरण तथा प्रभावित वन के प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति प्राप्त करें। चूंकि परियोजनाओं का वास्तवविक सर्वेक्षण किया ही नहीं किया गया है अतः पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन तथा वास्तविक रूप से प्रभावित न भूमि का आकलन नहीं हो सका। इस प्रकार इन सभी प्रकरणों में वन संरक्षण अधिनियम 1980 का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है। जिसमें दोषी अधिकारियों के जेल जाने तक का प्रावधान है।
4. भारत सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का गठन इस कारण किया है कि विकास से जुड़ी योजनाओं में वन एवं पर्यावरण के कारण विलंब न हो जबकि मध्यप्रदेश सरकार नियमों का उल्लंघन कर योजनाओं के निर्माण में बाधा पहुंचाने की कर रहीं है, क्योंकि उसे योजनाओं से अधिक कमीशन की चिंता हंै। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की बू जो पूरे विभाग में फैल गई है कि नहर एवं बांध निर्माण के बड़े-बड़े टेंडर निकाले जा रहे हैं। इसके कारण प्रदेश के ठेकेदार बाहर हो गए है। ऐसा जानबूझकर इसलिए किया गया ताकि बाहर के ठेकेदार ही इन ठेकों को लें। ये ठेकेदार जो गुजरात, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु राज्यों के है। इनसे बड़ी रकम वसूलने की सांठगांठ हुई है।
खनिज घोटाले ने सरकार के सारे रिकार्ड तोड़े
प्रकरण क्रमांक एफ-2-57-13 की सुनवाई के लिए 31 अगस्त को नोटिस जारी किया गया और तीन सितम्बर को सुनवाई रख दी। मामला सतना जिले का है। तीन सितम्बर को सुनवाई की गई जिसमें तीन में से मात्र एक कंपनी उपस्थित हुई और मंत्री राजेंद्र षुक्ला ने रिलायंस के पक्ष में फैसला भी दे दिया। जिसे सचिव खनिज साधन ने मानने से इंकार कर दिया । मंत्री जी ने बहुत प्रयास किया और सचिव जब नहीं माने तो 19 सितम्बर को फिर सुनवाई लगा दी लेकिन जिस कंपनी को दिया था उसका इतना दबाव था कि सुनवाई स्थगित कर दी गई ।
सरकार खनिज लीज आंवटन का अधिकार मई 2012 में कलेक्टरों को दिया लेकिन चुनाव आते ही 29 मार्च, 2013 में कलेक्टरों से अधिकार वापस ले लिया इसका मतलब साफ है कि खनिज मंत्री ने भ्रष्टाचार के लिए यह किया है।
व्यापमं द्वारा पीएमटी घोटाले को दबाया जा रहा है ।
पीएमटी घोटाले में बड़े लोगों के नाम आने के बाद मामले की जाॅच धीमी कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने आला अफसरों से जांच बहुत गहराई से न करने का कहा हैं।
मेरी जानकारी है की दो दिन पूर्व इंदौर हाईकोर्ट ने परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी को आरोपी न बनाए जाने पर पुलिस को फटकार लगाई है। पीमएटी द्वारा पिछले पांच साल में एडमीषन लेने वाले छात्रों की जानकारी नहीे दी जा रही हेै। इसमें अधिकतर प्रदेष के बाहर के छात्र है जिनके जाति प्रमाण पत्र भी फर्जी बने है। इसमें प्रदेष के छात्रों के साथ छलावा हुआ है।
हरदा जिले के खिरकिया गांव में दंगा
हरदा जिले के खिरकिया गांव में कल साम्प्रदायिक तनाव पैदा हुआ उसकी जड़ में भाजपा और आर.एस.एस. के लोग है। हरदा जहां हमेषा साम्प्रदायिक सद्भाव रहा है वहां इस तरह की घटना घटित होना इस बात का प्रमाण है कि साम्प्रदायिकता फैलाने की सुनियोजित कोषिषें पूरे प्रदेष में हो रही है। कल ही खरगोन और रायसेन के गढ़ी गांव में भी साम्प्रदायिक तनाव पैदा होने की सूचना है। इसके पूर्व इंदौर, आलोट में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी है। इसका मूल कारण है कि भाजपा अगले विधानसभा चुनाव में अपनी हार से घबरा गई है और अब वह अपने आखरी हथियार साम्प्रदायिक तनाव फैलाकर वोटों का धु्रवीकरण करने का प्रयास कर रही है। पिछले दस साल में साढ़े चार सौ साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं हुई है, जिसमें 155 लोग मारे गए है। साम्प्रदायिक घटनाएं घटित होने के मामले में मध्यप्रदेष पूरे देष में तीसरे नंबर पर है। हरदा में जो घटना घटित हुई है उसके लिए तत्काल टीआई खिरकिया को निलंबित किया जाये और एसपी को हटाया जाये।
भाजपा कार्यकर्ता महाकुंभ, डेढ़ सौ करोड़ का आयोजन
25 सितम्बर को जम्बूरी मैदान में भाजपा द्वारा जो किराये का शक्ति प्रदर्षन किया जा रहा है उसमें बड़े पैमाने पर सरकारी मषीनरी का दुरूपयोग हो रहा है। इस पूरे आयोजन में प्रदेष की जनता के गाढ़ी कमाई का डेढ़ सौ करोड़ रूपये खर्च किया जा रहा है। बताया गया है कि तीन नेता इस आयोजन में अपना संबोधन देंगे। जिनका संबोधन प्रति वक्ता 50 करोड़ का पड़ेगा।
इस आयोजन में सहकारी संस्थाओं को हमेषा की तरह उपयोग किया जा रहा है। प्रदेष के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्षों शाखा प्रबंधकों एवं सेवा सहकारी समिति के सचिवों एवं सहायक सचिवों पर दबाव डालकर प्रत्येक से दो जीप और एक बस इस आयोजन में भरकर भेजने का निर्देष दिया गया है। प्रत्येक समिति से तीन-तीन हजार रूपये वसूल किये जा रहे है। स्थानीय स्तर पर रैली का प्रचार भी सहकारी संस्थाओं से किया जा रहा है। जिसमें निवेदक के रूप में सहकारी संस्थाओं एवं समितियों का नाम लिखा है।
हमारी मांग है कि चुनाव आयोग और लोकायुक्त इस रैली पर नजर रखे और सरकारी संसाधनों के उपयोग की जानकारी प्राप्त करें।
रियो-टिंटो घोटाला
रियो-टिंटो को प्रास्पैक्टिव लायसेंस के तहत कौन सी भूमि से कितना हीरा है इसकी जांच करने हेतु अनुमति प्रदान की गई थी। जब उत्खनन हेतु भूमि दी जाती है तो किस खसरे की कितनी भूमि है यह स्पष्ट उल्लेखित होता है। परंतु रियो-टिंटो को जो भूमि दी गई उसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई और रियो-टिंटो पूरे क्षेत्र में जांच करने की आड़ में अनधिकृत रूप से माइनिंग कर रहा है।
रियो-टिंटो को जो अनुमति दी गई थी उसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि किसी भी स्थिति में पेड़ों को नहीं काटा जाएगा परंतु रियो-टिंटो द्वारा अवैधानिक रूप से बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई है। जिसके संबंध में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष पहल एनजीओ द्वारा याचिका प्रस्तुत की गई थी जिस पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेष 20.08.2013 को दिया गया।
रियो-टिंटो द्वारा जो प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया है वह आदिवासी की भूमि पर लगाया गया है। यह भूमि आदिवासी को कृषि हेतु शासन ने पट्टे पर दी है। परंतु रियो-टिंटो ने उस भूमि के किराए पर लेकर प्रोसेसिंग प्लांट लगवा दिया। इसके अतिरिक्त रियो-टिंटो ने कई आदिवासियों पर दबाव डालकर उन्हें धोखे में रखकर जमीन खरीद ली और उस पर भी अवैधानिक रूप से प्रास्पैक्टिव लायसेंस की आड़ में अवैध उत्खनन किया जा रहा है और बड़े पैमाने पर हीरे निकाले जा रहे है। षिकायत बहुत की गई परंतु उस पर अधिकांष अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई परंतु श्री उमाकांत उमराव एवं राजेष बहुगुणा ने कार्यवाही की तो उन्हें हटा दिया गया।