4th day: सफेद पड़ने लगी है जलसत्याग्रहियों की चमड़ी

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भोपाल। मध्य प्रदेश में इंदिरा सागर बांध प्रभावितों का जल सत्याग्रह चौथे दिन भी जारी रहा। अपने हक की खातिर जल सत्याग्रह कर रहे कई लोगों की चमड़ी सफेद पड़ने लगी है। वहीं इंदिरा सागर का जलस्तर बढ़ाए जाने से कई गांव की जमीन व घर पानी में डूबने लगे हैं।
इंदिरा सागर बांध प्रभावितों द्वारा खंडवा में ग्राम मालूद, हरदा में ग्राम उवां देवास में ग्राम मेल पिपलिया में सैकड़ों विस्थापितों का जल सत्याग्रह बुधवार को चौथे दिन भी जारी रहा। हरदा जिले में मंगलवार को ग्राम कालिसराय में गिरफ्तारियों के बाद बुधवार को ग्राम सक्टया में सैकड़ों विस्थापितों द्वारा जल सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया गया।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल ने बताया कि इंदिरा सागर में पानी भरने से ग्राम लछोरा, कालिसराय आदि कई गांवों में पानी घर में भर गया है जबकि इनका कोई भू-अर्जन व पुनर्वास नहीं हुआ है।
खंडवा जिले में ग्राम बडखालिया में पुलिस करवाई के बाद डूब के ग्राम मालूद में प्रारंभ किए गए जल सत्याग्रह के तीसरे दिन सैकड़ों विस्थापित शामिल हुए, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं। तीन दिन तक पानी में रहने से अनेक लोगों की चमड़ी सफेद पड़ रही है और सत्याग्रहियों को खुजली आदि की शिकायत हो रही है।
 
जल सत्याग्रह कर रहे लोगों को पिछले दिनों बड़ी संख्या में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। नर्मदा आन्दोलन की कार्यकर्ता चित्तरूपा पालित सहित 70 प्रभावित अभी भी जेल में बंद हैं। पालित इंदौर की केंद्रीय जेल में, 64 विस्थापित कन्नोद जेल में और छह विस्थापित खंडवा जेल में बंद हैं।

वहीं इंदिरा सागर बांध में पानी भरने के कारण खंडवा जिले के ग्राम लछोरा, हरदा के ग्राम कालिसराय आदि में घरों में बिना पुनर्वास, बिना भू-अर्जन पानी भर गया है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष सरकार द्वारा तीनों जिलों में ऐसे 1500 से अधिक घरों को डूब में चिन्हित कर प्रस्ताव बनाए गए थे, परन्तु एक वर्ष में न तो भू-अर्जन हुआ और न ही पुनर्वास। इसी प्रकार ग्राम मालूद जैसे अनेक गांव है जहां सम्पूर्ण जमीन डूब गई है। घर अभी डूब से बचे हैं।

नर्मदा बचाओ आंदोलन का आरोप है कि पुनर्वास नीति का पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार विस्थापितों की बजाय उद्योगपतियों का साथ दे रही है।
समाजवादी जन परिषद के अनुराग मोदी और शमीम मोदी ने एक बयान जारी कर कहा है कि इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों के मामले में कांगेस और भाजपा को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए। 


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