अनूपपुर(राजेश शुक्ला)। नगरपालिका चुनाव में अध्यक्ष का मुकाबला नगर की जनता की सेवा के लिये नहीं अपितु इस बात के लिये है कि नगर विकास के लिये मिलने वाली 36 करोड़ रूपये को ध्यान में रखकर दोनों ही दल के नेता अपने-अपने लोगों को इस कुर्सी में लाकर इस राशि से चुनाव का खर्चा निकालने की बात है।
सत्ता की बागडोर सम्भालते ही नगरपालिका में नगर की सड़कों एवं पेयजल के लिये 36 करोड़ रूपये है। जिस पर इन नेताओं की नजर गड़ी हुई है। इसीलिये ये नेता एैसे व्यक्ति को अपना उत्तराधिकारी बनाकर नगरपालिका अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाने का ख्वाब देख रहे हैं। अगर इनका चलाया सिक्का जनता के सामने चल गया तो इनके वारे न्यारे हो सकते हैं या साफ शब्दों में कहे कि इस विकास की राशि में ये नेता अपने रबर स्टाम्पों से चुनाव में किये गये खर्चे का हिसाब मांगेंगे।
विधायक बिसाहू लाल के प्रयासों से अनूपपुर नगरपालिका को केंद्र सरकार से 21 करोड़, 8 सड़कों के निर्माण एवं 15 करोड़ रूपये नगर के जनता को शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराने के लिये मिले हैं। इसके लिये प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है। नपा चुनाव के बाद इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया जायेगा। सर्व विदित है कि नगर पालिका हो या अन्य जगह किसी भी लेन-देन के लिये चढोत्तरी चढ़ाई जाती है तब कहीं जाकर उस चीज का भुगतान होता है।
इसी परंपरा का निर्वहन आगे भी होगा और जो व्यक्ति नगर पालिका की कुर्सी पर काबिज होगा वह भी इस परंपरा में शामिल हो जायेगा। प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने अपने पार्टी का प्रत्याशी इसीलिये एैसे व्यक्ति को बनाया है जो इन पूर्व अध्यक्षों के कहने पर कार्य करे। जिससे इन्हें अपना हिस्सा मिलता रहे। दूसरा महत्वपूर्ण कार्य कि पूर्व अध्यक्षों ने नगर पालिका में जब तक राज किया है तब इन्होंने नगर विकास की राशि का जमकर दोहन किया है और आज कई करोड़ के मालिक बन बैठे हैं।
यह राज ना खुले इसलिये पालिका अध्यक्ष ने अपना व्यक्ति बैठे तो इसे वह राज को राज रहने देगा। दोनों ही दल के नेता जनता के बीच अपनी छवि सुधारने में लगे हैं, किंतु मतदाता इस बात को जानता है कि एक ने फायर ब्रिगेड खरीदने के लिये आयी राशि का अन्य योजनाओं में राशि को खर्च कर अपना उल्लू सीधा किया तो दूसरे ने एक कदम आगे बढ़ाते हुये कई अनैतिक खरीददारियों के नाम पर कई चेक काट कर अपने लोगों को उपकृत करने का प्रयास किया। इसी चक्कर में वे फस गये और इन पर कलेक्टर ने अध्यक्ष सहित नपा के अधिकारियों पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और इन्हें शहर छोड़कर जाने की नौवत आई और सभी ने उच्च न्यायालय से रोक लगवाई तब कहीं जाकर नगर में प्रवेश किया।
मतदाता इस बात को भी नहीं भूले हैं कि यह नेता नगर के विकास के नाम पर हमसे कई बार वोट मांगा है, किंतु इन्होंने नगर विकास ना कर अपितु अपना स्वयं का रिश्तेदार और अपने लोगों का विकास किया है। नगरपालिका में गत ५ वर्षो में एैसे कई लोगों को भर्ती किया गया है जो अध्यक्ष, पार्षद के रिश्तेदार हैं और आज यहां के कर्मचारी बने बैठे हैं। इतना ही नहीं अध्यक्ष और पार्षदों ने बाहर से अपने रिश्तेदारों को बुलाकर यहां नौकरी में रखवाया है। एक एैसा कर्मचारी भी है जो कई वर्षो तक यहां नहीं रहा और फिर अचानक एक दिन प्रकट होकर अध्यक्ष से अपना मामला सेट कर पुन: नौकरी में बहाल हो जाता है, जबकि नगर में एैसे बहुत से बेरोजगार हैं जिन्हें नौकरी की अति आवश्यक रही है, किंतु उनके पास धन लक्ष्मी और ना सिफारिश दोनों ही नहीं थे इसलिये इन्हें इस योग्य नहीं समझा गया और ५ वर्ष तक अपनी कुर्सी को बचाये रखने के लिये अध्यक्ष ने एैसे कई अपात्र लोगों को नगर पालिका में रख अपनी कुर्सी बचाये रखी।
नगर में १२७५९ मतदाताओं को अपना अध्यक्ष चुनना है। मतदाता अभी इन प्रत्याशियों को अपने हिसाब से तौल रहा है कि आने वाले ५ साल के लिये जनता के हित में कौन रहेगा। इसमें भाजपा और कांग्रेस के साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी दौड़ में है, मुख्य मुकाबला इन्हीं के बीच माना जा रहा है। भाजपा ने एक एैसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है जो अपने वार्ड का विकास नहीं कर सका।
उसे नगर का विकास की जिम्मेदारी देने का मन बनाया, वह भी एक एैसे व्यक्ति के कहने पर जिनका प्रभाव कुछ वार्डों तक ही सीमित है, वह भी अब नहीं रहा। भाजपा के टिकट वितरण में की गई भेदभाव से इनके साथ वाले भी इनका साथ छोड़ दिया है तो अब यह अपने रबर स्टाम्प को ३६ करोड़ के लिये उस कुर्सी तक कैसे पहुंचायेंगे, वैसे भी भाजपा अपनी पूरी ताकत लगा रही है कि यह चुनाव निकालना आवश्यक है। इसके लिये अब पार्टी हाई कमान संवेदनशील हो रहा है, किंतु नगर में भाजपा कई गुटों में बटी हुई है और नगर पालिका चुनाव के टिकट वितरण में कार्यकर्ताओं ने भी साथ छोड़ दिया है। सबसे बडी चुनौती अपने कार्यकर्ताओं को मनाने की होगी। जब कार्यकर्ता खुश होंगे तभी इनके लिये ३६ करोड़ की कुर्सी का सपना पूरा होगा। वैसे भी इस चुनाव में तीसरे स्थान पर है।
कांग्रेस का भी हाल कुछ एैसा ही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता टिकट वितरण को लेकर खासे नाराज हैं। कारण पार्टी ने अपने नेताओं को धोखा दिया है। पार्टी ने जिसे टिकट देना था पहले से तय कर रखा था। चुनाव घोषणा के बाद पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह बात उजागर ना हो इसलिये इनसे चाल चलते हुये प्रत्याशी चयन के लिये ३७ लोगों की एक कमेटी बनाई जिन पर प्रत्याशी चयन का जिम्मा सौंपा गया। और इस पर जब लोग नहीं माने तो अध्यक्ष प्रत्याशी किसे बनाया जाये इसके लिये पार्टी ने मतदान कराया।
इस मतदान में वे लोग हिस्सा नहीं लिये जो यह जानते थे कि यह तो मात्र दिखावा है नाम तो पहले से तय है। इस मतदान में २२ मत पडे बाकी लोगों ने बहिष्कार किया। यह मतदान दिखावा बनकर रह गया इसे लेकर नेता भोपाल विधायक निवास पर पहुंचे वहां पर सील बंद लिफाफा को खोला तक नहीं गया, बल्कि उसे कचरे में डालते हुये वहां से ऐलान किया गया कि रामखेलावन राठौर कांगे्रस के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी होंगे। जिसे सुनकर वरिष्ठ नेता और कमेटी के लोग खासे नाराज हो गये। और कहने लगे जब पहले से तय था तो यह नौटंकी करने की क्या आवश्यकता थी। पार्टी में लोकतंत्र के नाम पर दिखावा कर रही है। २२ लोगों ने जो मतदान किया उसकी कोई अहमियत पार्टी के अंदर नहीं रही या यूं कहे कि उन वरिष्ठ नेताओं का पार्टी के अंदर कोई सम्मान नहीं रहा जिन्होंने इस मतदान में हिस्सा लिया। और वह व्यक्ति इसमें कामयाब रहा कि हमने अपने रबर स्टाम्प को प्रत्याशी बनाने में कामयाब हो गये।
अब पार्टी को इन लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा जिनका अपमान किया है और ये लोग अपने अपमान का कड़वा घूंट पीकर रह गये। इसी में एक एैसे व्यक्ति ने विरोध का झण्डा उठाते हुये नगर पालिका अध्यक्ष का प्रत्याशी का पर्चा भर बागी उम्मीदवार बना। जिसका आज पूरे नगर में व्यापक जनसमर्थन है। इसके साथ वह लोग भी हैं जो भाजपा से नाराज हैं और इन लोगों ने स्वतंत्र उम्मीदवार से हाथ मिलाकर इतिहास रचने की तैयारी कर ली है।