राकेश दुबे@प्रतिदिन। असहमति, अब राजनीतिक दलों को असहज कर रही है | उत्तर प्रदेश, आन्ध्र, राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार भी वही कर रही है | कहीं कोई फर्क नहीं | राजनीतिक दल की मर्जी विधि सम्मत हो या न हो उसकी पूर्ति होना चाहिए, नहीं तो परिणाम भोगने को तैयार रहे |
ताज़ी घटनाएँ राजस्थान और मध्यप्रदेश की हैं | राजस्थान में जेसलमेर के पुलिस अधीक्षक इसलिए बदल दिए गये कि उन्होंने एक पुराने हिस्ट्रीशीटर की हिस्ट्री शीट पुन: खोल दी थी | मध्यप्रदेश में अन्य वैचारिक आधार वाले श्रमिक संघों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है |
अधिकारी जो न्यायसंगत काम करते हैं , वे उत्तरप्रदेश में श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल की तरह प्रताड़ित होते हैं | जेसलमेर में भी पंकज चौधरी के साथ भी यही हुआ है | कुछ मीडिया में स्थान पा जाते हैं, कई को स्थान नहीं मिलता | राजनीतिक दल यहाँ भी राजनीति करते हैं , चिठ्ठी जैसे प्रयोग कर सहानुभूति बटोरी जाती है| मन से अच्छे और सच्चे काम करने वालों को प्रोत्साहन नहीं मिलता | मध्य प्रदेश में भी यही होने जा रहा है | मध्यप्रदेश सरकार नये मुख्य सचिव की नियुक्ति में ऐसा ही कुछ करने जा रही है , जिससे वोट बैंक मजबूत हो| अभी तो उसने उन संगठनों के प्रतिनिधियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, जो अन्य वैचारिक आधार पर संगठन चला रहे हैं |
अधिकारी और सरकार के मध्य संघर्ष की स्थिति में अधिकांश मामलों में राजनीतिक दबंगई और भ्रष्टाचार मूल होता जा रहा हैं | जिससे देश की चिंता करने वाले अधिकारियों की संख्या कम होती जा रही है , नौकरी की खानापूरी करने वालों की संख्या बढती जा रही है | अब भूरेलाल. हर्ष मंदर, संजीव भट्ट, अशोक खेमका दुर्गा नागपाल और पंकज चौधरी है ही कितने |
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
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