मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर ने राज्य शिक्षाकर्मी संघ मप्र जिला शाखा मण्डला द्वारा डी.के.सिंगौर द्वारा दायर अवमानना याचिका क्र.1635/2012 पर 26 अगस्त को सुनवाई करते हुये म.प्र. शासन को अंतिम अवसर देते हुये एक सप्ताह के अंदर गृहभाड़ा देने का आदेश किया है।
आदेश माननीय न्यायाधि पति संजय यादव की बेन्च द्वारा दिया गया हैं। अवमानना याचिका में प्रतिवादी सचिव स्कूल शिक्षा विभाग श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव को बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में तत्कालीन राज्य शिक्षाकर्मी संघ की जिला इकाई द्वारा माननीय उच्चन्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिस पर 17 मार्च 2011 को शिक्षाकर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। न्यायालय के निर्णय का पालन न होने पर 2012 में न्यायालय की अवमानना याचिका दायर की गई थी। राज्य अध्यापक संघ की ओर से अधिवक्ता डी.के.दीक्षित ने पैरवी की।
डी.के.सिंगौर
एईओ के लिये अध्यापक पद पर 5वर्ष का अनुभव जरूरी
राज्य अध्यापक संघ की जिला इकाई ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि राज्य शिक्षा सेवा गठन बाबद दिनांक 25 जुलाई 2013 को जारी राजपत्र, 22 अगस्त 2013 को जारी संशोधित अधिसूचना व 24 अगस्त को जारी शुद्वि पत्र के अनुसार ए.ई.ओ.पद के लिये अध्यापक को अध्यापक पद पर 5 वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। यद्यपि राज्य शिक्षा सेवा को लेकर अनेक याचिकाएं न्यायालय में दायर की जा रहीं हैं।