भोपाल। जूनियर डॉक्टरों का मानदेय बढ़ाए जाने की मांग भले ही सरकार ने मान ली हो लेकिन मानदेय बढ़ाने की प्रक्रिया जिस रफ्तार से चल रही है, ऐसे में आचार संहिता लगने से पहले जूडा को उनका बढ़ा मानदेय मिलना संभव नजर नहीं आ रहा। शासन के इसी व्यवहार से तंग जूडा एक बार फिर हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं।
इस संबंध में उन्होंने सभी डीन को एक ज्ञापन भी सौंप दिया है। ज्ञात हो कि गत माह पूर्व 12 जुलाई को मानदेय बढ़ाए जाने की मांग के चलते जूनियर डॉक्टर चिकित्सा सेवा ठप कर प्रदेशव्यापी हड़ताल पर गए थे। जिन्हें बाद में स्वयं चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा द्वारा आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म कराई गई थी, लेकिन इसके 45 दिन बीतने के बाद भी मानदेय बढ़ाए जाने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक एनएम श्रीवास्तव ने बताया कि गत माह पूर्व वित्त विभाग द्वारा मानदेय बढ़ाए जाने के संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग से कुछ जानकारी मांगी गई, जिन्हें विभाग ने तुरंत उपलब्ध करा वित्त विभाग को फाइल वापस भेज दी थी। हालांकि माह खत्म होने को है, लेकिन प्रक्रिया कहां तक पहुंची है, इस बात की जानकारी किसी भी अधिकारी के पास नहीं है। इधर जूनियर डॉक्टरों के बीच चर्चा है कि अगर शासन मानदेय बढ़ाए जाने की प्रक्रिया में यही रवैया अपनाए रहेगा तो इस वर्ष मानदेय बढ़ पाना मुश्किल होगा।
शासन के इस व्यवहार से प्रदेश भर के जूडा आक्रोश में हैं। सूत्रों की मानें तो जल्द ही उनके हड़ताल पर जाने की योजना बन चुकी है। मालूम हो कि सरकार द्वारा एमबीबीएस व मेडिकल आफिसर की नियुक्ति के लिए करीब 48 हजार रुपए वेतनमान दिया जाता है, जबकि जूनियर डॉक्टर जिनकी योग्यता भी एमबीबीएस होती है, उन्हें मात्र प्रथम वर्ष में 26 हजार, द्वितीय वर्ष में 27 हजार और तृतीय वर्ष में 28 हजार मानदेय दिया जाता है।
जिसके स्वयं चिकित्सा शिक्षा मंत्री व प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने उनके मानदेय में चार हजार रुपए की वृद्धि का आश्वासन दिया था। आचार संहिता का साया: गौरतलब है कि इस वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। संभावना है निर्वाचन आयोग 16 सितंबर तक आचार संहिता लागू कर सकता है। अगर उक्त मामला किसी तरह आचार संहिता लागू होने टल जाता है तो सरकार वक्त के लिए मानदेय बढ़ाने की अपनी उलझन से छुटकारा पा जाएगी।