राकेश दुबे@प्रतिदिन। तीन राज्यों की पुलिस टप्पे खा रही है | तमाशा राम चौथे राज्य मध्यप्रदेश प्रदेश में मजे मार रहा है | मामला सारे देश को मालूम है | सडक से लेकर संसद तक लोग गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं |
दिल्ली पुलिस ने देश के कानून के तहत कार्रवाई कर मुकदमा दर्ज़ किया और उससे पहले चिकित्सीय परीक्षण और पीड़ित और आरोपी की घटनास्थल पर मौजूदी की पुख्ता जानकारी भी तस्दीक की | तब जाकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १६४ में मजिस्ट्रेट के सामने बयान कराए | फिर जोधपुर का क्षेत्राधिकार होने के कारण प्रकरण वहां भेजा | यह पुलिस की सामान्य प्रक्रिया है | लेकिन इसके बाद जो हुआ या होने जा रहा है वह असामन्य है और साधारण भाषा में इसे लीपापोती की संज्ञा दी जाती है |
कुछ सवाल खड़े हुए हैं, जिनका जवाब चाहिए | ऐसी क्या मजबूरी है, जो तीन राज्यों की पुलिस एक गम्भीर आरोप के आरोपी को थाने तक नहीं ला पा रही है | सामान्य परिस्थिति में पुलिस ताबड़तोड़ तरीके से गिरफ्तारी में लगती है और मध्यप्रदेश की पुलिस ने तो १० घंटे पूर्व तक मंत्री रहे राघव सांकला को फौरन गिरफ्त में ले लिया था | जोधपुर पुलिस सबूत खोजती हुई मध्यप्रदेश में छिंदवाडा तक आ सकती है, अहमदाबाद नहीं जा सकती है और गिरफ्तारी के स्थान पर चार दिन में पेश होने का नोटिस देती है | यह प्रक्रिया देश की उस बड़ी नेता तक के लिए भी नहीं अपनाई गई थी , जिसके नाम से आज देश में एक बड़ा राजनीतिक दल खड़ा है |
इतने तमाशे करने वाले तमाशाराम के पास पासपोर्ट नहीं होगा, ऐसा सोचना भी बुद्धिमानी नहीं है | जो एक प्रदेश से दूसरेप्रदेश में आ सकता है, तो विदेश उसके लिए कहाँ दूर है |सवाल यह है कि वे कौन सी राजनीतिक ताकतें हैं , जो इस तरह के गैरकानूनी कवच तैयार करती है और अपराधियों को संरक्षण देती हैं | दो संदेह उभरते हैं या तो सरकारें बिक चुकी है या डर से भयभीत हैं |