'अपवित्र रिश्तों' के चलते राघवजी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्काषित

भोपाल। अटलजी के जमाने से भाजपा का स्थापित नाम 'भाईजी' उर्फ राघवजी को अंतत: उनके अपिवित्र रिश्तों ने भाजपा से बे-इज्जत बाहर करवा ही दिया। करें भी क्यों ना सोमवार से विधानसभा का अंतिम मानसून सत्र शुरू हो रहा है और शुभारंभ राघवजी के सीडी संस्कार से हो तो अपशगुन को मिटाने के लिए कुछ तो करना ही था।

भाजपा मीडिया सेंटर से जारी अधिकृत सूचना के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेष अध्यक्ष व सांसद श्री नरेन्द्रसिंह तोमर, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सांसद श्री प्रभात झा, प्रदेश उपाध्यक्ष सांसद श्री रघुनंदन शर्मा, वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा,  श्री कैलाष जोशी, वरिष्ठ नेता एवं सांसद श्री अनिल दवे और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने विचार कर राघवजी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निष्काषित किया।

सनद रहे कि राघवजी की आखों में वासना की प्यास मंत्री बनने बाद जागृत नहीं हुई। चाल चरित्र और चैहरा बनाने वाली भाजपा के ये भाईजी पहले भी 'अपित्र रिश्तों' के चलते काफी बदनाम रहे हैं, फर्क केवल इतना है कि पहले जिक्र कुछ महिलाओं का हुआ करता था, इस बार युवकों का हो रहा है।

मध्य प्रदेश के मंत्री रहे राघवजी को कुर्सी से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाले राजकुमार दांगी ने दावा किया है कि राघवजी का किशोर लड़कों से संबंध बनाना शौक रहा है। यही नहीं, उनके महिलाओं और लड़कों से भी संबंध है। हबीबगंज थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद लापता हुआ राजकुमार दांगी रविवार को विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के आवास पर पत्रकारों के सामने आया।

राजकुमार का आरोप है कि राघवजी ने उसे सरकारी नौकरी दिलाने का प्रलोभन दिलाया था, राघवजी के बंगले पर काम करने वाले शेरसिंह चैहान के सहयोग से उसकी राघवजी से मुलाकात हुई। राघवजी ने उसे शराब कंपनी सोम डिस्टलरी में नौकरी लगवा दी। राजकुमार का आरोप है कि राघवजी उसे लगातार नौकरी का प्रलोभन देते रहे, इतना ही नहीं अपनी कारगुजारियों को उजागर करने पर जान से मारने की धमकी देते थे।

यही कारण रहा कि वह चाहकर भी राघवजी के कारनामे उजागर नहीं कर पाया। लगभग साढ़े तीन साल तक यह सिलसिला चला। राजकुमार का आरोप है कि राघवजी उससे लगातार नई-नई लड़कियां लाने और दोस्ती कराने की बात कहते थे और भरोसा दिलाते थे कि जो काम कहोगे करा देंगे। वे अश्लील बातें भी करते थे और एसएमएस भी।

राजकुमार नहीं, राजकुमारी कहकर बुलाते थे राघवजी

इसके अलावा उनके कई महिलाओं व नए लड़कों से भी सम्बंध हैं। वे यह सब वर्षों से करते आ रहे हैं, उन्होंने मुझसे कहा कि अगर तुम 15 साल पहले मिले होते तो बात कुछ और होती। वे मुझे राजकुमार नहीं राजकुमारी कहकर बुलाते थे, वे तो यहां तक कहते थे कि तुम मेरी धर्मपत्नी के सामान हो।

राजकुमार का कहना है कि वह थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद अपने एक मित्र के घर चला गया था, क्योंकि उसे जान का खतरा था। पिता भुजबल सिंह द्वारा उसे मानसिक रोगी बताए जाने पर राजकुमार का कहना है कि उनसे थाने में शिकायत दबाव में कराई गई है। उसके साथ होने वाले अत्याचार से पूरा परिवार वाकिफ है।


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