आदतन बलात्कारी की सजा-ए-मौत बरकरार

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भोपाल। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राजधानी निवासी दिलीप बनकर उर्फ असरू को सेशन कोर्ट से सुनाई गई फांसी की सजा बरकारार रखी है। जस्टिस अजीत सिंह व न्यायमूर्ति आलोक आराधे की डिवीजन बेंच ने 5 साल की मासूम के दुराचार के बाद हत्या के केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में रखते हुए अपना फैसला सुनाया। दो सप्ताह के भीतर यह पांचवा मामला है जिसमें होईकोर्ट ने मृत्युदंड की सजा पर मोहर लगाई।

सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता विजय पाण्डेय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 20 अगस्त 2005 को भोपाल निवासी दिलीप बनकर उर्फ असरू ने पड़ोस में रहने वाली 5 साल की मासूम को उस वक्त उठा लिया जब वह अपने भाई के साथ खेल में मशगूल थी। जब मासूम काफी देर तक कहीं नजर नहीं आई तो उसके  पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि मासूम आखिरी बार दिलीप बनकर के साथ देखी गई थी।

बहस के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि आरोपी ने मासूम के साथ दुराचार के बाद हत्या कर दी थी। पकड़े जाने के बाद आरोपी की मानसिक स्थिति खराब होने का तर्क देकर बचाव की कोशिश की गई। लिहाजा, पुलिस ने कोर्ट के निर्देश पर मेडिकल परीक्षण काराया, जिसमें मानसिक स्थिति खराब होने की बात असत्य पाई गई। भोपाल की सेशन कोर्ट ने केस की टायल पूरी होने के बाद 21 फरवरी 2013 को फांसी की सजा सुना दी। जिसके खिलाफ अपील दायर की गई है, जो कि मामले की गंभीरता के मद्देनजर खारिज किए जाने योग्य है।

उप महाधिवक्ता श्री पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि आरोपी पूर्व में दो बार दुराचार कर चुका है। एक बार 7 साल की मासूम का बलात्कार किया गया था, जिसमें कोर्ट से 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। 

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