भोपाल। हिन्दी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखवाने के लिए शिवराज सिंह दिली तौर पर चाहते थे कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को आमंत्रित किया जाए, लेकिन प्रणव दा बिल्कुल नहीं चाहते थे कि वो शिवराज का निमंत्रण स्वीकार करें।
यह खुलासा अपने एक कॉलम 'पॉवर गैलरी' में वरिष्ठ पत्रकार डॉ भारत अग्रवाल ने किया है। उन्होंने लिखा है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में एक यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखवाने का निमंत्रण देने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पहुंचे। राष्ट्रपति इस निमंत्रण को लेकर अनमने ही थे, तभी बताया गया कि यूनिवर्सिटी का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जा रहा है। वाजपेयी का नाम सुनते ही राष्ट्रपति तुरंत राजी हो गए। राष्ट्रपति ने शिवराज को बताया कि कैसे वे और वाजपेयी कई दशक तक अच्छे दोस्त थे, पड़ोसी थे, साथ टहलते थे और ढेरों बातें करते थे।
संवेदनशीलता देखिए, इधर प्रणव दा ने केवल अटलजी का नाम होने के कारण ना चाहते हुए भी आमंत्रण स्वीकार किया और उधर शिवराज सिंह जी ने अटलजी के नाम पर इतना बड़ा आयोजन किया परंतु इसकी सूचना तक अटलजी को नहीं दी। ना वो प्रणवदा को आमंत्रित करने से पहले अटलजी से मिलने गए और ना प्रणवदा को आमंत्रित कर लेने के बाद।