उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। मध्यप्रदेश के वयोवृद्ध वित्तमंत्री राघवजी शिवराज सरकार में नहीं रहे। आज उनकी राजनैतिक मृत्यु एक शर्मनाक दुर्घटना में हो गई। उनका अपना नौकर ही उनसे जा भिड़ा और अपवित्र रिश्तों के लिए कुख्यात मंत्रीजी से सुसाइड नोट मांग लिया गया।
सबसे पहले यह खबर मुझे मेरे एक समाचार मित्र ने दी। वो पेशे से अध्यापक है। वो बहुत खुश था, इस पूरे घटनाक्रम से। अब वित्तमंत्री के इस्तीफे से अध्यापक की खुशी का क्या रिश्ता ? लेकिन था और बहुत मजबूत रिश्ता हुआ करता था। राघवजी, मध्यप्रदेश भर के 3 लाख संविदा शिक्षकों व अध्यापकों के दुश्मन नंबर 1 हो गए थे। पहले उन्होंने कहा था कि हम अध्यापकों को अपना कर्मचारी ही नहीं मानते और अभी कुछ रोज पहले जब सीएम ने झाबुआ में संविलियन की बात कही तो अनूपपुर में राघवजी ने ही उसका खंडन कर डाला था। अध्यापकों को लगता है कि यदि राघवजी ना होते तो पिछले बजट में ही समान वेतन मिल गया होता, खैर..।
जब मुझे इसकी सूचना मिली तो मैं आश्चर्यचकित था, इसलिए नहीं कि भाईजी पर अपिवत्र रिश्ते का आरोप लगा था, लेकिन इसलिए क्योंकि इस बार सेकेंड पार्टी महिला नहीं थी, वो पुरुष था। उनका अपना नौकर। पुलिस के पास मौजूद एक शपथपत्र में नौकर ने लिखा है कि राघवजी हाथ पैरों के साथ साथ ना जाने कहां कहां की मालिश करवाया करते थे।
इससे पहले भी परिवार में तमाम पवित्र रिश्तों के बावजूद उनके अपवित्र रिश्ते चर्चा में रहे हैं। कोई ढाई साल पहले एक सीडी सीएम तक जा पहुंची थी, तब तमाम दुहाइयां देकर उन्होंने जान बचाई थी। बाद में मामला प्रभात झा के हाथ लग गया तो सरसराता हुआ नागपुर तक भी जा पहुंचा था, लेकिन शिवराज ने रिश्ते निभाए और सीट बचा ली।
माना जा रहा था कि इतना सब हो जाने के बाद भाईजी सुधर जाएंगे, लेकिन पता चला है कि सुधरे नहीं थे, बस महिलाओं से मेल मिलाप बंद कर दिया था, पुरुषों से काम चला रहे थे। आपको याद होगा पिछले दिनों आदरणीय के लिए शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश के खजाने से 40 हजार खर्च करके मुम्बई से एक खास चश्मा मंगवाया था, उस दिन मैं ये सोच रहा था कि आखिर इतने मंहगे चश्मे से मंत्रीजी देखेंगे क्या..? 15 जनवरी 2013 से हृदय में उठे उस सवाल जवाब आज 5 जुलाई 2013 को जाकर मिला।