भोपाल। भाजपा के लिए 13 का अंक हमेशा से ही अशुभ रहा है। तमाम मशक्कत और समझौतों के बाद बनाई गई अटल सरकार पहले 13 दिन और फिर 13 महीने बाद अटकी। इसके अलावा भी 13 के कई उदाहरण मौजूद हैं और यही 13 अब शिवराज सरकार की कुंडली में आ जमा है।
वर्ष 2013 की विधानसभा का तेरहवां सत्र् सत्ताधारी भाजपा के लिऐ अनिष्टकारी और घातक सिद्ध होने जा रहा है और ऐसा लगता है कि 13 का अंक भाजपा को ले डूबोगा, क्योंकि मप्र विधानसभा का चुनावी वर्ष भी 2013 ही है।
यह तेरहवां सत्र पहले से ही कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुला चिठ्ठा बनने जा रहा था। अब राघवजी का सीडी कांड केवल मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश और दुनिया में चर्चित हो गया।
भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने वित्तमंत्री पद से राघवजी का त्याग पत्र फैक्स पर ले लिया, उनकी सूरत भी नहीं देखी, परन्तु कहानी यही खत्म नहीं होगी। विधानसभा का सत्र अब शर्म-शर्म के नारों से गूंजेगा और मंत्रियों के पास कोई नैतिक साहस नहीं होगा कि वे जबाव दे सकें। हालांकि शिवराज जी ने कहा है कि अब राघवजी कांड का पटाक्षेप हो गया, परन्तु विपक्ष कहां मानने वाला है।
शास्त्रों में कहा गया है कि विपत्ति पडऩे पर धैर्य रखना बहुत जरूरी अस्त्र होता है, परन्तु भाजपा संगठन ने जिस प्रकार सीडी बनाने वाले शिवशंकर पटैरया को पार्टी से निकाला है उससे जनता में यही संदेश गया है कि भाजपा के नेताओं की बुद्धि उल्टी हो गई है। पार्टी से निष्कासन राघवजी का होना था और कर दिया ठीक उल्टा। सजा चोर को मिलती है कि चोरी पकडऩे वाले को।
भाजपा पार्टी के रूप में कह सकती है कि पार्टी के ही कार्यकर्ता ने एक मंत्री की अश्लील सीडी बनाकर अनुशासनहीनता की है, परन्तु अनुशासनहीन और कुकर्मी में फर्क तो है ही। दूसरी बात पार्टी के बड़े नेताओं को शिवशंकर पटैरया की पीठ थपथपाना थी जिसने पार्टी के 79 वर्षीय मंत्री की वर्षों से चलती आ रही पाश्विकवृत्ति को सार्वजनिक करके लोगों को सच्चाई से अवगत कराया, परन्तु उसी को निलंबित कर दिया, उसका ज्यादा दोष तो तब था जब उसने पहले पार्टी नेताओं, मुख्यमंत्री को वस्तु स्थिति न बतलाई होती।
मामला पार्टी का है, परन्तु इससे यह संदेश गया कि भविष्य में पार्टी के लोग अपने नेताओं के कुकृत्यों को उठायेंगे तो सजा पायेंगे। अगर पार्टी में कहीं प्रजातंत्र होता तो शिवशंकर को भी यह अधिकार होता कि पार्टी की शुचिता बनाये रखने हेतु पार्टी नेताओं के कारनामें उजागर हों।
अभी मामला विधानसभा सत्र से जान छुड़ाने का है। पार्टी में संख्या बल के नाते भाजपा बड़ी है, और संभव है अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के पूर्व ही विधानसभा स्थिगित कर दी जाये, क्योंकि भ्रष्टाचार के मुद्दों का तो जबाव तैयार था, परन्तु राघवजी के मुद्दे का जबाव आखिर क्या होगा। क्या वे आपत्तिजनक सीडियां झुठला दी जायेंगी। अभी राघव जी का मुद्दा हॉट है और भाजपा के संगठन महामंत्री अरविंद मेनन का नाम भी उछल पड़ा। उन पर आरोप है कि उनने शादी का लालच देकर एक महिला का दो साल तक यौन शोषण किया शिकायत जबलपुर मानव अधिकार आयोग और जबलपुर पुलिस अधीक्षक के बीच उलझी है।
जैसी चर्चा है कि कुछ मंत्रियों की रंगीन मिजाजी और अय्याशी की सीडियां और हैं और संभव है कि वे भी इसी आंधी के चलते सार्वजनिक हो जायें। शिवराज सिंह के विकास कार्य, घोषणाऐं तथा लोक कल्याणकारी योजनाओं की दम पर 2013 चुनाव जीतने की रणनीति बनी थी, परन्तु राघवजी के कुकृत्य से सारी अच्छी योजनाओं पर पानी फिर गया है।
कभी-कभी जोग-संजोग, ग्रह-दशा आदि का भारी प्रभाव देखा जाता है और ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस के लिये सभी दशाऐं अनुकूल, परन्तु भाजपा के लिए पूरी तरह प्रतिकूल है और 13 का अंक चाहे तेरहवीं विधानसभा हो या 13 का चुनाव भाजपा के लिऐ तेरहवीं बनते नजर आते हैं।