भोपाल। एक अध्यापक विजय कुमार विश्वकर्मा ने बहुत ही सामान्य लेकिन संवेदनशील विषय की ओर ध्यान आकृष्ठ कराया है। श्री विश्वकर्मा का कहना है कि पूरे समाज को प्रशिक्षित करने वाले संविदा शिक्षक, अध्यापक या शिक्षक क्या एक छोटी सी शपथ ले सकते हैं कि वो कभी नशा नहीं करेंगे।
हम विजय कुमार विश्वकर्मा की भावनाओं भरे संदेश को बिना किसी छेड़छाड के शब्दश: प्रकाशित कर रहे है। हम उम्मीद करते हैं कि कम से कम अपनी प्रतिक्रियाएं शिक्षा से जुड़े पाठकगण अवश्य ही दर्ज कराएंगे। पढ़िए क्या कुछ लिख रहे हैं विश्वकर्मा जी:—
महोदय,
सादर अभिवादन !
संविदा शाला शिक्षकों का चयन अंतिम चरण में है, शीघ्र ही उन्हें डाईट में प्रशिक्षण प्राप्त होगा. अक्सर ऐसा देखा जाता है की किसी न किसी नशे के वजह से शिक्षक बच्चों को ठीक से पढ़ा नहीं पाते, बच्चो के सामने तम्बाकू खाना, बीडी सिगरेट पीना शिक्षकों को शोभा नहीं देता लेकिन कई जगह ऐसा हो रहा है, कुछ जगह तो शराब के नशे में शिक्षक स्कूल तक नहीं जाते और उनके मुंह लगकर कोई अपनी बेज्जती भी नहीं कराना चाहता इसलिए उनके मजे हैं मुफ्त में तनख्वाह मिल रही है.
यदयपि नयी पीढ़ी नशे से दूर है फिर भी सावधानी बतौर डाईट में प्रशिक्षण के समय इस सम्बन्ध में भी ध्यान दिया जाये साथ ही अंतिम दिन भावी शिक्षकों से एक शपथ पत्र भी भरवा लिया जाए की वे स्वयं नशा नहीं करेंगे तथा अन्य जानो को भी प्रेरित करेंगे. मनोवैज्ञानिक आधार पर पहली नौकरी के दौरान मिले निर्देश और ज्ञान हमेशा याद रहते हैं अत: ये सुझाव बेहद कारगर साबित हो सकता है.