दो बार हुआ बीएमसी के नए भवन का लोकार्पण, पहले शिवराज, फिर उमा ने किया

भोपाल। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के नए भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में आयोजकों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने व्यस्तता के चलते आने में असमर्थता व्यक्त कर दी।

इसके बाद आयोजकों ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से संपर्क किया तो उन्होंने रजामंदी दे दी। तुरंत उमा के नाम का शिलापट्टिका तैयार करवा लिया, लेकिन बाद में चौहान भी आने को राजी हो गए तो आनन-फानन में दूसरा शिलापट्टिका उनके नाम का भी तैयार करवाया गया। गुरुवार की सुबह 11 बजे पहले शिवराज सिंह ने और बाद उमा ने बीएमएस के नए भवन का अलग-अलग लोकार्पण किया। 

बीएमएस ने कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री का समय लेने की जिम्मेदारी संगठन मंत्री ज्ञान प्रकाश तिवारी को सौंपी थी। मुख्यमंत्री से समय मांगा गया, लेकिन तीन दिन पहले सीएम सचिवालय से जानकारी मिली कि व्यस्तता के चलते मुख्यमंत्री ने आने में असमर्थता व्यक्त की है। इसके बाद आयोजकों ने उमा भारती से संपर्क किया। वे हरिद्वार में थीं। उन्होंने रजामंदी दे दी। बुधवार को सीएम सचिवालय से आयोजकों को चौहान के भी कार्यक्रम में शामिल होने की सूचना मिली। आखिर आयोजकों ने बीच का रास्ता निकाला और उमा से ठेंगड़ी भवन व चौहान से दत्तोपंत ठेंगड़ी की प्रतिमा का लोकार्पण कराया गया। मुख्यमंत्री चौहान सुबह 11 बजे आयोजन स्थल पर पहुंचे और प्रतिमा का लोकार्पण कर जाने लगे तभी उमा आ गईं। इसके बाद उमा और शिवराज दोनों ने भवन के लोकार्पण की डोरी खींची। इसके बाद चौहान वहां से चले गए। उमा पूरे समय रुकी रहीं।

राजनीति में रंगत नहीं बदलनी चाहिए : उमा

ठेंगड़ी भवन के कार्यक्रम में उमा भारती ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जब भोपाल से चुनाव लड़ी थी तो मुझ पर हरा दुपट्टा पहनने का दबाव डाला गया। कहा गया कि भोपाल में मुस्लिम वोटर काफी हैं। मैंने इनकार कर दिया और भारी बहुमत से जीती। बाद में हुए सर्वे में एक मौलवी ने कहा कि बेईमान दोस्त से ईमानदार दुश्मन ठीक है। उमा ने कहा कि मौलवी साहब ने कम से कम सच तो स्पष्टता के साथ कह दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि न मैं हरा दुपट्टा पहनकर उन्हें खुश करना चाहती हूं, ने उनसे ये अपेक्षा है कि ‘वे’ केसरिया दुपट्टा पहनकर मुझे खुश करें।

साफ है कि राजनीति में रंगत नहीं बदलनी चाहिए। उमा ने खुद को मजदूर बताते हुए कहा कि 21वीं सदी में मजदूरों को पूंजीवाद और भौतिकता वादी लोगों के साथ संघर्ष करना होगा। इसलिए बीएमएस अभी से असंगठित मजदूरों के हित के लिए जी जान से जुटे। कार्यक्रम में बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीके सजी नारायण, राष्ट्रीय महामंत्री बैजनाथ राय व नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर मौजूद थे।

सेना को सलाम
केदारनाथ की घटना को लेकर उमा ने कांग्रेस-भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों को बयानबाजी से बचने की सलाह देते हुए सेना को सलाम किया है। उन्होंने कहा कि लोगों ने वहां नैसर्गिक व्यवस्था से छेड़छाड़ की है, इसी कारण यह दुर्घटना घटी।

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