भोपाल। मध्यप्रदेश का एक जिला है राजगढ़, यहां मुख्यद्वार पर शायद यह लिख दिया जाना चाहिए ताकि लोगों को आसानी हो। जी हां, पिछले कई सालों से यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद नाबालिग बच्चों को कॉन्ट्रेक्ट बेस पर देश भर में चोरियों के लिए भेजा जा रहा है।
यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि मध्यप्रदेश पुलिस के अधिकारियों ने हिसार पुलिस के अधिकारियों से एक आफीसियल बातचीत के दौरान किया है। आप भी पढ़िए हिसार के पत्रकार सुरेन्द्र सोढी की यह रिपोर्ट:—
यह कारनामा मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के पचोर थाना क्षेत्र के चार गांवों में होता है। जहां एक ही समुदाय के परिचित परिवार रहते हैं। इन गांवों के लोग बकायदा योजना तैयार कर अन्य प्रदेश में चोरी व सेंधमारी की वारदात करने के लिए निकलते हैं तथा गांव के निपुण बच्चों को ठेके पर निर्धारित समय के लिए उनके मां-बाप से लिया जाता है। ये बच्चे 9 साल की उम्र तक जुर्म के लिए तैयार हो जाते हैं। ये सनसनीखेज जानकारी मध्य प्रदेश पुलिस ने हिसार पुलिस को दी।
जुर्म की दी जाती शिक्षा
पचोरी क्षेत्र के चार गांव ऐसे हैं जहां बच्चे केवल जुर्म की शिक्षा पाते हैं। यह सुनकर पुलिस के कान खड़े हो गए। बीते सालों की चोरी की वारदातों का ब्यौरा खंगाला जाए तो अनेक घटनाओं में बच्चों का ही इस्तेमाल किया गया है। इन वारदातों में रॉड से शटर खोलकर बच्चों को भीतर भेजने, बिस्कुट के घोल से वारदात करने व महिलाओं से छीनाझपटी के अनेक मामले हैं। पांच सालों में दर्जनों ऐसी वारदात तो हुई परंतु पुलिस आरोपियों को नहीं पकड़ पाई है। साफ है कि कांट्रेक्ट पर लिए गए बच्चों से वारदात करवाने वाले गिरोह फिर से अपनी जगह पहुंच जाते हैं।
पुलिस से नहीं खाते खौफ
पचोर थाने के एसएचओ ने बताया कि इन गांवों में लगभग अपराधी प्रवृत्ति के लोग रहते हैं। करीब तीन माह पहले छत्तीसगढ़ में साढ़े छह लाख रुपये चोरी की वारदात करने के बाद पुलिस अधीक्षक व एसएचओ गांव में पहुंचे तो लोगों ने उनसे फायरिंग व पथराव कर मुकाबला किया। पुलिस को उस समय वहां से लौटना पड़ा। इन घटनाओं की जानकारी मिलने के बावजूद सब इंसपेक्टर महेंद्र सिंह ने गांव के सरपंच कन्हैया लाल की मदद से नकदी बरामद की ओर आरोपियों को भी सुरक्षित ले आए।
नए-नए हथकंडे अपनाता गिरोह
छह दिन पहले हिसार के बैंक में बैग चोरी करने की वारदात में बच्चों का इस्तेमाल किया गया। गिरोह के लोगों ने पहले ही बैंकों में खाते खुलवा लिए। योजना बनी कि बैंक में आने वाले लोगों को निशाना बनाया जाए। इसलिए बच्चों का इस्तेमाल आसानी से किया गया। इससे पहले बैंक व डाकखानों के आसपास गिरोह छोटे बच्चों को सक्रिय करते थे। बिस्कुट का घोल वाहन, थैले व कपड़े पर डालकर व्यक्ति द्वारा देखने के दौरान ही नकदी भरा थैला उड़ा लिया जाता था।
महिलाएं भी करतीं हैं सहयोग
वारदात में महिलाएं भी नाटकीय अंदाज में सहयोग करती है। समय-समय पर पैंतरा बदलने वाले गिरोह से जुड़ी महिलाओं ने उल्टी सलवार या कमीज पहन कर किसी भी घर में घुसने का रास्ता निकाला था। अंदर कपड़े ठीक करने के बहाने तांक-झांक कर अकेली महिला घर में होने पर मोबाइल से साथियों को बुलाकर भी लूट की कई वारदात की गई हैं।
बच्चों व महिलाओं से रहें सतर्क: एसपी
पुलिस अधीक्षक बी सतीश बालन का कहना है कि बिस्कुट का घोल डालने, नकदी की भनक होने पर बच्चों के पीछा करने व अनजान महिलाओं के घर में घुसने के प्रयास पर लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश से आए गिरोह बच्चों व महिलाओं का इस्तेमाल कर वारदात करते हैं। सावधानी के साथ शक होने पर पुलिस को सूचना देते ही वारदात रोकी जा सकती हैं।