संपादक@नवभारतटाइम्स। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि राहुल गांधी यूपीए के स्वाभाविक (नैचरल) नेता हैं। प्रधानमंत्री वैसे तो कम ही बोलते हैं, पर जब बोलते हैं तो उसका विशेष मतलब होता है। जाहिर है, उन्होंने सोच-समझ कर ही राहुल गांधी को स्वाभाविक नेता कहा होगा। हालांकि वह स्वाभाविक होने को थोड़ा स्पष्ट कर देते तो अच्छा होता।
कहीं उनका मतलब यह तो नहीं कि राहुल जन्मजात नेता हैं। चूंकि वह एक राजनेता परिवार में पैदा हुए हैं, इसलिए उन्हें नेता तो होना ही था। इस लिहाज से तो कई और नेता अपने को स्वाभाविक नेता कह सकते हैं। जैसे राजेश पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, अखिलेश यादव वगैरह। लेकिन अगर इन्हें स्वाभाविक नेता मान लेंगे तो बीजेपी के कई सीनियर लीडर नाराज हो सकते हैं। क्योंकि उनमें से भी कई अपने को स्वाभाविक नेता मानकर चलते हैं।
स्वाभाविक नेता होने के उनके अपने मापदंड हैं। भले ही वे इसे साफ-साफ कहें या नहीं। अब जैसे बीजेपी और संघ के कई लोग नरेंद्र मोदी को सबसे स्वाभाविक नेता मान रहे हैं। वे तो उन्हें स्वाभाविक प्रधानमंत्री तक मानने लगे हैं। इसलिए इन्होंने आडवाणी जैसे बुजुर्ग नेता की बात नहीं सुनी और मोदी को प्रचार अभियान की बागडोर सौंप दी। इनकी नजर में आडवाणी अभी सबसे अस्वाभाविक नेता हैं। हालांकि किसी जमाने में वही सबसे स्वाभाविक नेता थे, जिन्होंने रथयात्रा कर बीजेपी को कहां से कहां पहुंचा दिया था। आज की तारीख में उनकी पार्टी से ज्यादा जेडीयू वाले उन्हें स्वाभाविक नेता बता रहे हैं। यानी समय भी किसी को स्वाभाविक और अस्वाभाविक बना देता है।
वैसे आमतौर पर एक नेता खुद को स्वाभाविक नेता ही कहता है। इसके पीछे उसका भाव होता है कि उसकी पार्टी में उसके अलावा दूर-दूर तक कोई और नहीं है। अब बीएसपी में मायावती के अलावा कौन अपने को स्वाभाविक नेता कहने की हिम्मत कर सकता है। यही हाल अपनी-अपनी पार्टी में लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और रामविलास पासवान का भी है। वैसे लालू ने कभी राबड़ी देवी को भी स्वाभाविक नेता मान लिया था और उन्हें बिहार की सत्ता सौंप दी थी। आजकल वे अपने दोनों बेटों को आरजेडी का स्वाभाविक नेता मानने लगे हैं। वैसे समाजवादी पार्टी में कभी अमर सिंह अपने को स्वाभाविक नेता मानने लगे थे। उनकी क्या हालत हुई, सबको मालूम है। आज उन्हें कोई अस्वाभाविक नेता भी मानने को तैयार नहीं।
- यह लेख नईदिल्ली से प्रकाशित प्रख्यात हिन्दी दैनिक नवभारत-टाइम्स के संपादकीय कॉलम से लिया गया।