उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। मध्यप्रदेश की राजनीति में रविवार को लाल सलाम हो गया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शिवराज सिंह के रिश्तेदारों की संपत्तियों का ब्यौरा क्या मांगा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर उनके बाप-दादा तक जा पहुंचे। समझ नहीं आया, ऐसी अमर्यादित खिसियाहट क्यों।
मध्यप्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है कि चुरहट लॉटरी कांड के हीरो का खून ही नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की रगों में दौड़ रहा है। हम तो यह भी जानते हैं कि भोपाल गैसकांड के गुनहगार को राज्य अतिथि की तरह तवज्जो देने वाले भी इन्हीं के पिताश्री थे। मध्यप्रदेश की कई फाइलों में इनके पिताजी की चिट चिपकीं हुईं हैं जिसमें लिखा हुआ है कि 'तमाम नियमों को शिथिल करते हुए....... किया जाए।' आपने इनके दादा के बारे में बताया, धन्यवाद। लोग शायद भूल गए थे, लेकिन राजनीति के गलियारों में केरवा कोठी और कोठी कांड अभी तक नहीं भुलाया गया है। कौड़ी कौड़ी को मोहताज एक नेता करोड़पति बन गया, यह भी भाजपा के पुराने नेताओं ने उसी समय उजागर कर दिया था जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
शायद यही कारण है कि मध्यप्रदेश ने उन्हें नहीं चुना। सरकार नहीं सौंपी। अपना भाग्य नहीं सौंपा, परंतु शिवराज सिंह चौहान नामक व्यक्ति को यह सबकुछ सौंपा गया है। एक व्यक्ति चाहे वो और उसका खानदान कितना ही दागदार हो, यदि एक सवाल उठा रहा है तो उसका जवाब देने में डर क्यों लग रहा है। जो आदमी सवाल कर रहा है उसके तो पूरे खानदान की जांच हो चुकी है, सजाएं भी दी जा चुकीं हैं और सजाएं भोगते भोगते ही वो मृत्यु को प्राप्त भी हो गए, परंतु सवाल यह खड़ा होता है कि जो सवाल (नरेन्द्र सिंह तोमर के अनुसार दागी खानदान के वारिस) अजय सिंह ने किया है उसका जवाब देने में आपत्ति क्या है।
जिस शिवराज सिंह चौहान पर मध्यप्रदेश ने भरोसा किया और एक बार फिर भरोसे की मांग की जा रही है, उनके रिश्तेदारों की संपत्तियों का खुलासा करने में आपत्ति क्या है। ऐसा क्यों नहीं करते कि रिश्तेदारों की संपत्तियों का ब्यौरा देने के साथ साथ यह बयान जारी करें कि अजय सिंह चौहान एक भ्रष्टतम परिवार से ताल्लुक रखते हैं और कृपया इनकी बातों पर भरोसा ना करें। एक बार अजय सिंह के सवाल को गलत साबित क्यों नहीं कर देते। मध्यप्रदेश को मिसगाइड करने की कोशिश क्यों की जा रही है। दाल में काला है क्या ?