संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में 50 प्रतिशत की शर्त समाप्त होनी चाहिए

अभिषेक कांत पांडेय/ मप्र संविदा शाला भर्ती प्रक्रिया चल रही है लेकिन वर्ग 3 के लिए जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश आया है कि बीएड व डीएड योग्यताधारी को जिनका इंटर या बीए में 50 प्रतिशत से कम अंक है उनकी भी भरती की जाए।

समस्या यह है कि व्यापम की परीक्षा में उतीर्ण ऐसे हजारों छात्र जिनका स्नातक अथवा बीए में 50 प्रतिशत से कम अंक है आदेश के बाद उन्हें शीघ्र व्यापम पीरक्षा की मेरिट के आधार पर जल्द नियुक्त करने का सरकारी आदेश आना चाहिए।

व्यापम परीक्षा में अच्छे अंकों से उतीर्ण ऐसे बेरोजगारों के साथ अन्याय हो रहा है। एक बात स्पष्ट है कि जब बीए या इंटर में इन्हें 45 प्रतिशत पर बीएड व डीएड एनसीटीई के नियम के मुताबिक कराया गया तो इन्हें संविदा शाला वर्ग एक व दो में पहली काउंसिलिंग में नियुक्ति से क्यों रोका गया अब जब पहली काउंसिलिंग में चयन प्रक्रिया लगभग पूर्ण हो गई है तो ऐसे उन सभी हजारों बेरोजगारों का क्या होगा जिन्होंने मेंहनत करके व्यापम की परीक्षा उतीर्ण की है।

इस संबध में कई हाईकोर्ट याचिका लंबित है और जबलपुर हाई कोर्ट ने 50 प्रतिशत के आदेश को निरस्त कर दिया है। अखिर ऐसे नियम क्यों सरकार बनाती है जिससे पहले दूसरे नियम की अनदेखी के कारण हजारों बेरोजगारों के साथा उनके ​करियर के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है। जब नौकरी नहीं देनी थी तो 45 प्रतिशत पर बीएड की डिग्री एनसीटीई के नियम के मुताबिक क्यों दी गई।

इस संबंध में भोपाल समचार डाट काम ने हम बेरोजगारों की हर खबर को प्रमुखता दी आशा है कि हमें न्याय मिलेगा और हमारी भरती पहली काउंसिलिंग के नियमों और उस मेरिट के नियमों के आधार पर होगी।

अभिषेक कांत पांडेय
संविदा शाला वर्ग दो उतीर्ण अभ्यर्थी

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