भोपाल। गांवों में डॉक्टरों की कमी दूर करने अब सरकार दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्रों के अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर को एक लाख और सवा लाख रुपए मासिक वेतन देगी। एनआरएचएम की राष्ट्रीय मिशन डायरेक्टर (अतिरिक्त सचिव, भारत सरकार) अनुराधा गुप्ता ने मंगलवार को भोपाल के एक होटल में आयोजित मातृ एवं बाल स्वास्थ्य विषय पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला में इसकी मंजूरी दे दी।
इसके अलावा उन्होंने कार्यशाला में राज्य की मातृ मृत्युदर और शिशु मृत्युदर को कम करने 500 उप स्वास्थ्य केंद्रों को आदर्श प्रसव केंद्र के रूप में विकसित करने और 500 नए उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने की स्वीकृति प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण को दे दी। इन दोनों कार्यों को करने 200 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
सुश्री गुप्ता ने बताया कि मध्यप्रदेश के कई जिलों के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के पद लंबे समय से खाली हैं। डॉक्टर्स कम वेतन और सुविधाओं की कमी के कारण उक्त अस्पतालों में सेवाएं नहीं देना चाहते। इस समस्या को सुलझाने राज्य सरकार को दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्र के मानक से प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को चिन्हित करने कहा है।
दुर्गम क्षेत्र के अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर को 1 लाख रुपए और अति दुर्गम क्षेत्र के डॉक्टर को सवा लाख रुपए मासिक वेतन देकर उनकी नियुक्ति करने कहा है। इससे आदिवासी और पिछड़े जिलों के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर होगी, साथ ही वहां के लोगों को नजदीक के अस्पताल में इलाज मिलना शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि दोनों ही क्षेत्र के अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों की संविदा नियुक्ति की जाएगी। वेतन भत्तों का भुगतान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के बजट से किया जाएगा।
मॉनीटरिंग के लिए हर जिले में रहेंगी दो गाडिय़ां
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों की चिकित्सा सेवाओं की निगरानी करने प्रत्येक ब्लाक में दो गाडिय़ां रहेंगी। अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर इन गाडिय़ों ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक, सामुदायिक और उप स्वास्थ्य केंद्रों की चिकित्सा सेवाओं की निगरानी करेंगे। इसके अलावा ब्लाक मेडिकल ऑफिसर और सेक्टर अधिकारी चिकित्सा सेवाओं की समीक्षा कर, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की रिपोर्ट मुख्यालय को भेजेंगे।
शराब पीकर जननी एक्सप्रेस चलाते हैं ड्रायवर
कार्यशाला में शामिल हुए उमरिया कलेक्टर सुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि जिले के केवल जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर है। जो नार्मल डिलीवरी से लेकर सिजेरियन डिलीवरी तक कराती है। इसके अलावा जिले के सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सिर्फ नार्मल डिलीवरी होती है। इसकी वजह जिले में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होना है। उन्होंने बताया कि उमरिया के लोग जननी एक्सप्रेस का उपयोग ड्राइवरों द्वारा शराब पीकर तेज गाड़ी चलाने के कारण नहीं करते। उन्होंने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से जननी एक्सप्रेस के ड्राइवरों को इमरजेंसी एंबुलेंस 108 के ड्राइवरों की तरह काउंसलिंग कराने की मांग की है।