करैरा/शिवपुरी । मरीजों के इलाज के लिये कस्बे में बना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। उक्त केन्द्र पर काफी समय से महिला चिकित्सक नही है, जिस कारण प्रसूता महिलाओं की डिलेवरी नर्से करा रही है और तो और यहां पर कहने के लिये सात चिकित्सकों के पद स्वीकृत है , परंतु वर्तमान में सिर्फ दो चिकित्सक ही पदस्य है।
अजीब विडंबना है यहां पर आबादी लगभग 30 हजार और चिकित्सक मात्र दो उस पर भी केन्द्र को 30 विस्तरो के नाम से जाना जाता है, लेकिन हकीकत इससे कोसो दूर है यहां पर मात्र 10 विस्तर ही उपलब्ध है बाकि के 20 विस्तरो पर एनआरसी का कब्जा बना हुआ है।
तकरीबन 30 हजार की आवादी वाले करैरा कस्बे में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र इन दिनों बीमार है। अस्पताल के हालात इतने बद्तर है कि बीते डेढ वर्ष से यहां महिला चिकित्सक की पद स्थापना नही हुई। साथ ही चिकित्सकों के 7 पद स्वीकृत है पर यहां सिर्फ दो चिकित्सकों की पदस्थापना है।
कुछ इसी तरह के हालात पैरा मेडीकल स्टाफ के साथ साथ वार्ड बॉय और स्वीपर के है। इस केन्द्र पर न तो मरीजों की भर्ती के लिये पलंग उपलब्ध है और न ही अस्पताल का रख रखाव सही ढंग से हो पा रहा है। जिसके चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के हालात इन दिनो बद्तर है। करैरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर कभी भी लंबे समय तक महिला चिकित्सक पदस्थ नही रही ।
अव से तकरीबन डेढ वर्ष पूर्व यहां महिला चिकित्सक की पदस्थापना थी, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद आजतक स्वास्थय केन्द्र पर महिला चिकित्सक की पद स्थापना नहीं हो सकी है। कुछ इसी तरह के हालात यहां पदस्थ चिकित्सको के भी है। सिर्फ दो चिकित्सकों के भरोसे 30 हजार की आबादी को छोडा गया है। जिससे कस्वे के लोगो को स्वास्थ्य सुविधाएं अस्पताल में मुहैया नही हो पा रही है। सिर्फ नाम का है 30 विस्तर अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करैरा की 30 विस्तर अस्पताल के नाम से भी जाना जाता है।
लेकिन मजे की बात यह है कि यहां सिर्फ वार्ड में 10 विस्तर ही उपलब्ध है। जो अधिकांष प्रसूता महिलाओं द्वारा घिरे रहते है, ऐसे में कोई गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज उपचार के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आ जाए तो उसे भर्ती रहने के लिए स्थान ही नही मिलता। दवाओं के साथ एंटी रेबीज इंजेक्षन का टोटा एक तो चिकित्सक के साथ -साथ पैरा मेडीकल स्टाफ की कमी से मरीज जूझ रहे है। दूसरी ओर लंबी लाइनों में लगकर जव उनका नंबर उपचार के लिये आता है। तो इन्हें अस्पताल से पूरी दवाएं नही मिल पाती।
चूंकि करैरा में बंदरो का खासा आंतक है और आए दिन बंदरो की चपेट में आकर कोई न कोई चोटिल होता रहता है। ऐसे में जव उपचार के लिए मरीज परिजनो के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आता है तो बंदर के काटने या हमला करने पर लगाए जाने वाला एंटी रेबीज इंजेक्षन उपलब्ध नही मिलता। मजबूरन मरीज को या तो जिला चिकित्सालय लाना पडता है।या फिर झांसी जाकर उसे एंटी रेबीज उपलब्ध हो पाती है।
जगह -जगह बिखरी गंदगी , बिस्तरो पर चादर नही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करैरा के हालात इतने बद्तर है कि जगह -जगह गंदगी बिखरी पडी है।कहीं पट्टियों और खून से सनी हुई रूईयों के ढेर लगे है तो कहीं गंदे बाथरूम और शौंचालय से मरीजों और उनके परिजनों का बुरा हाल है। हालात यह है कि गिने चुने पलंगों पर बिस्तर तक उपलब्ध नही है। और जहां विस्तर बिदे है उन पर चादर नसीब नही है। ऐसे में मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना नरक की पीडा भुगतना जैसा लगता है।
20 बिस्तरों पर एनआरसी का कब्जा इसी केन्द्र से सटा हुआ एनआरसी सेंटर बना हुआ है। जहां कुपोषित बच्चो और उनकी माताओं को रखा जाता है। इस केन्द्र के संचालन के लिए अलग से पलंगों की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन स्वास्थ्य केन्द्र के 20 पलंग एनआरसी केन्द्र मेंडाल दियेगये है जिसके चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर सिर्फ 10 बिस्तर ही बचे है जो कि 30 हजार की आवादी के लिए नाकाफी है।
बोर्ड लगा पर कर्मचारी का नाम नही
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करैरा में आकस्मिक चिकित्सा सेवाओं के तहत उपलब्ध रहने वाले चिकित्सको व अन्य स्टाफ की जानकारी अंकित किये जाने वाला साइन बोर्ड तो यहां लगाया गया है परंतु दुर्भाग्यहै कि इस पर भरी जाने वाली जानकारी कभी भी अंकित नही की जाती है आज सोमवार को जव इस संबाददाता ने अस्पताल का निरीक्षण किया तव भी यह बोर्ड बिना जानकारी के अंगा हुआ था यहां तक की इस पर आज की तारीख भी अंकित नही की गई थी।
निरीक्षण के लिये हो रही तैयारी
आज जब संबाददाता दोपहर बाद सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र पर पहुंचा तो स्वास्थ्य केन्द्र का नजारा ही बदला हुआ था प्रसूता वार्ड में टीवी लगा दी गई थी साथ ही शौंचालयों में टाइल्स लगाने का काम जारी था वहीं साफ सफाई भी की जा रही थी पलंगों के चाद गद्दे भी बदले हुए नजर आए जव इस बारे में वहां उपस्थित कर्मचारियों पूंछा गया तो पता चला कि कल मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव का षिवपुरी जिले मेंदौरा है जिनकी करैरा आने की संभावनाएं है।
प्रमुख सचिव को यहां की अव्यवस्थाओं की भनक न लग इसलिये दो -तीन दिन से यहां तैयारियां की जा रही है। और अव्यवस्थाओं को व्यवस्थित किया जा रहा है।
इनका कहना है
हम वरिष्ठ अधिकारियों को यहां की समस्याओं के बारे में कई वार अवगत करा चुके है महिला चिकित्सक एवं अन्य स्टाफ की कमी है फिर भी हम स्वास्थ्य केन्द्र पर व्यवस्थाआंे को बहाल किये हुए है - डॉ. एम एस चौहान बीएमओ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करैरा।
NARENDRA TIWARI
(Reporter)
New Colony Sanskrit School ke Paas
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