हड़ताल के चलते 350 से ज्यादा नवजातों की मौत, 19000 कुपोषितों का जीवन खतरे में

भोपाल। हड़ताल पर चल रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने दावा किया है कि भले ही 20 मई 2013 से चल रही हड़ताल को प्रदेश के मुख्यमंत्री या प्रमुख सचिव नजरअंदाज करने का प्रदर्शन करें परंतु मध्यप्रदेश की हालात बदतर हो गए हैं। व्यवस्थाएं चरमरा गईं हैं और मरीजों की जान पर बन आई है।

संघ का दावा है कि मध्यप्रदेश इन दिनों स्वास्थ्य सेवाओं के संकट से जूझ रहा है और यदि शीघ्र ही सेवाएं बहाल नहीं की गईं तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। सरकार नई नियुक्तियों का ढोंग भी कर रही है, लेकिन यह प्रक्रिया इतनी तेज पूरी नहीं की जा सकती कि सेवाओं को तत्काल बहाल किया जा सके। सरकार के पास संघ की मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।


संघ की ओर से जारी प्रेसरिलीज में मध्यप्रदेश के हालात बयां किए गए हैं। हम उन्हें शब्दश: प्रकाशित कर रहे हैं, देखिए क्या कुछ लिखा है इसमें:-

350 से ज्यादा नवजातों ने दम तोड़ा

नवजात गहन शिशु इकाईयों में पदस्थ प्रशिक्षित संविदा स्टाफ नर्सो व चिकित्सकों एवं संविदा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ ही आयुश संविदा चिकित्सकों के काम बंद करने के कारण शिशुओं की मृत्यु दर में 10 प्रतिशत से सीधे 21 हो गई है। जिसके कारण लगभग 350 से ज्यादा नवजात दम तोड़ चुके है।

950 से ज्यादा प्रसव घर पर ही हुए

समस्त जिला एवं ब्लाक प्रबंधकीय यूनिट के साथ ही लेखापालों के हड़ताल पर होने से जननी सुरक्षा योजना के हितग्राहियों को भुगतान हेतु चक्कर लगाना पड़ रहा हैं। जननी एक्सप्रेस सेवा बाधित होने से लगभग 200 से अधिक प्रसूति सड़कों पर हुई हैं और समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण 950 से अधिक प्रसव घर पर हुए जिसके परिणाम स्वरूप 185 से अधिक नवजात दम तोड़ चुके है।

90 प्रतिशत पुनर्वास केन्द्र बंद

टीबी और एड्स, कुष्ठ, मलेरिया कर्मियों के हड़ताल पर जाने से टीबी के मरीजों को डाट्स, एमडीटी एड्स जांच नहीं मिल पा रही है। गर्मी में कई इलाकों में मलेरिया के मामले सामने आ रहे है। इनके हड़ताल पर जाने से स्थिति भयावह हो सकती है। प्रदेश के 90 प्रतिशत पोषण पुनर्वास केन्द्र बंद है।

19000 कुपोषित बच्चों का जीवन खतरे में

19000 कुपोषित बच्चों का जीवन सरकार के अडियल रवैये के कारण खतरे में है। इलाज न मिलने से अब सरकार के विरूद्ध ग्रामीण क्षेत्रों में जन आक्रोश पनपने लगा है। भारत शासन को भेजी जाने वाली सारी रिपोर्टिंग बंद है। जान लाईन रिपोर्टिंग बंद है। संविदा कर्मचारियों को 28 प्रतिशत वेतन बढ़ाने का लालच देकर हड़ताल समाप्त करने का सरकार का पैतरा विफल हो गया है।

प्रमुख सचिव व मिशन संचालक को हटाओ

वेतन विसंगति और समान कार्य समान वेतन तथा निकाले गए संविदा कर्मचारियों की वापसी तक संघ ने हड़ताल जारी रखने का रूख अपनाया हैं संघ ने विशेष मांग रखी हैं कि स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव तथा मिशन संचालक का व्यवहार संविदा कर्मचारियों के प्रति पशुओं की तरह होने से इन अधिकारियों को तत्काल विभाग से हटाया जाए।

प्रांताध्यक्ष की सेवाएं बहाल करो

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष श्री राहुल जैन पर अनियमितता का आरोप लगाकर हड़ताल के चलते स्वास्थ्य विभाग ने गलत कार्यवाही की हैं जबकि प्रत्येक जिले में व्यय के अधिकार कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को हैं। ऐसे में अनियमितता के आरोपों में प्रांताध्यक्ष तथा हड़ताली कर्मचारियों को हटाना गलत है। संघ इस प्रकार संविदा कर्मचारियों को हटाने का विरोध करता है।

हटाए गए संविदा साथियों को वापस लो

पूर्व में भी महेश साहू डीपीएम, बैतूल एवं अन्य कर्मियों को व्यय कम होने से हटाया गया परंतु जिम्मेदार कलेक्टरों एवं जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को बचा रही है। आंदोलन इनकी बहाली तक जारी रहेगा। संघ की प्रमुख मांगों में नियमितिकरण, बेहतर संविदा नीति का निर्माण, आशा कार्यकर्ताओं को निश्चित मानदेय एवं निकाले गए संविदा साथियों की बिना शर्त वापसी आदि है।



भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!