सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेँगे...!

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भोपाल। योग्यता और उपयोगिता हमेशा नियमों की दीवारें तोड़ डालती है। आज पहली बार हम भोपालसमाचार.कॉम की व्यवस्था को बदलते हुए आपके सामने एक काव्य प्रस्तुत करने जा रहे हैं जो राकेश कुमार साहू ने भेजी है।

हम यहां उनकी भावनाओं, जो उन्होंने काव्य के रूप में अभिव्यक्त कीं हैं को यथावत प्रस्तुत कर रहे हैं। आज के समय में यह पंक्तियां बढ़ी ही प्रासंगिक हैं। आप भी पढ़िए क्या कुछ लिखा डाला राकेश कुमार साहू ने:—


रैप के सम्बन्ध मेँ कविता 

छोड़ो मेंहदी खड़ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनी,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेँगे...!

कब तक आस लगाओगी तुम,
बिके हुये अखबारों से
कैसी रक्षा माँग रही हो
दुःशासन दरबारों से।
स्वयं जो लज्जाहीन पड़े है
वे क्या लाज बचायेंगे,
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेँगे...!

कल तक केवल अंधा राजा
अब गूँगा, बहरा भी है
होठ सी दिये हैं जनता के,
कानों पर पहरा भी है।
तुम ही कहो ये अश्रु हमारे
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेँगे...!

रचनाकार श्री राकेश कुमार साहू ने उक्त पंक्तियां भोपालसमाचार.कॉम को फेसबुक के माध्यम से प्रेषित की थी। यदि आपको उक्त पंक्तियां पसंद आईं हैं तो कृपया इन अनजान रचनाकार का उत्साहवर्धन करें। आपकी प्रतिक्रियाएं श्री साहू की अमूल्य धरोहर होंगी। श्री साहू से फेसबुक पर मुलाकात करने के लिए  यहां क्लिक करें

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