मध्यप्रदेश में बलात्कारियों से 'बेटी बचाओ'

भोपाल। वो 'रटंत तोते' कहानी तो आपने सुनी ही होगी जो साधू के सिखाने के बावजूद जाल में फंस जाता है और फंसने के बाद भी दोहराता रहता है 'शिकार आता है, जाल फैलाता है, दाने का लोभ दिखाता है...'। बलात्कार के मामलों में अपने प्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। पूरा मध्यप्रदेश बलात्कारियों के जाल में फंस गया है और सीएम दोहराए जा रहे हैं महिलाओं के प्रति अपराध रोकने विशेष प्रावधान किए जाएंगे। 

रेप और गैंगरेप के मामले में तो अपने मध्यप्रदेश ने पूरे देश को पीछे छोड़ ही दिया था अब जघन्यतम बलात्कारों में भी 'एमपी अजब है, सबसे गजब है'। यहां नवरात्रों में जबकि कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पैरपूजन किया जाता है, मासूम कन्याओं से रेप हो रहा है। आज तो मॉ के सामने उसकी मासूम कन्या का गैंगरेप भी हो गया। अब तो बस एक साल से कम उम्र की कन्याओं और फिर गर्भ के भीतर ही कन्याओं का रेप होना शेष रह गया है।

पुलिस बलात्कारियों को गिरफ्तार नहीं कर पा रही। सीहोर में करती भी है तो ऐसे बयां करती है मानो बड़ी सफलता हासिल कर ली हो। एक मासूम से बलात्कार पुलिस के लिए शर्म की बात होती है परंतु आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस उसे गर्व की बात बताती है।

घोर शर्म की बात है, घनघोर शर्म की बात है। बावजूद इसके अपने प्रिय मुख्यमंत्री दोहराए जा रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराध रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए महिला नीति में विशेष प्रावधान किए जाएंगे। कब किए जाएंगे, कब प्रभावी होंगे और कब ये घटनाएं कम होंगी इसका कोई जबाव सीएम के पास नहीं है।

भाजपा के लिए तो विशेष शर्म की बात है

मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहे बलात्कार के मामले समूची भाजपा के लिए शर्म की बात है। मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद लोगों में संस्कार नहीं है। जो थे वो भी जाते रहे। ध्रुवनारायण सिंह जैसे कई कई महिलाओं से अपवित्र रिश्ते रखने वाले नेताओं को भाजपा में पवित्रतम् पद दिए जा रहे हैं। जिस 'केडरबेस', जिस राम, जिस संस्कार की बात संघ और भाजपा के नेता सरकार बनने से पहले किया करते थे। जिसकी दुहाई दे देकर वो सत्ता में आए। सरकार बनने के बाद वो उतने भी नहीं बचे जितने पहले हुआ करते थे।

महिला मोर्चा को नहीं दिखता कितने बलात्कार हुए मध्यप्रदेश में

शिवराज सरकार की चापलूसी का आलम देखिए। महिला मोर्चा के राजनैतिक प्रस्ताव में मध्यप्रदेश में बढ़ रहे महिलाओं के प्रति अपराध का जिक्र ही नहीं था। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। कांग्रेस की सरकार के समय भी कांग्रेस के दूसरे संगठन दबी जुबान या इशारों इशारों में सही परंतु असली बात तो बोल ही दिया करते हैं। कम से कम अपने संगठन के मंच पर तो कभी कभी खुलकर भी बोल दिया जाता है परंतु यहां चापलूसी देखिए, महिलाओं के प्रति अपराध का जिक्र तक नहीं किया गया।

कहां से वो 'दिल्ली रेपकांड पर' मोमबत्तियां जलाने वाले

दिल्ली की दामिनी से रेप होता है तो मध्यप्रदेश की संवेदनशीलता देखते ही बनती है। राजधानी सहित पूरे प्रदेश के हर शहर के चौराहे मोमबत्तियों से पट जाते हैं। समाज का हर वर्ग सड़क पर दिखाई देता है, लेकिन जब मध्यप्रदेश की दामिनी की बारी आती है तो पता नहीं कौन सा सांप सूंघ जाता है, उसी मध्यप्रदेश को।

दिल्ली की 'गुड़िया' पर अचानक आक्रोशित हो उठे मध्यप्रदेश के तमाम सामाजिक, व्यापारिक, राजनैतिक और प्रशासनिक संगठनों का आक्रोश अचानक ही उस समय कपूर की तरह गायब हो गया जब मध्यप्रदेश में सिवनी की 'गुड़िया' को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया। इसके बाद तो सीहोर की 'गुड़िया', खरगौन की 'गुड़िया' और न जाने कहां कहां की गुड़ियाओं से बलात्कार होते जा रहे हैं। हालात चीख चीख कर कह रहे हैं मध्यप्रदेश में बलात्कारियों से बे​टी बचाओ। बावजूद उसके कोई संवेदनशील संगठन सड़क पर नहीं आ रहा। कांग्रेस भी नहीं। पता नहीं कहां लुप्त हो गई मध्यप्रदेश की संवेदनशीलता।


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