भोपाल। नगर निगम में अफसरी से लेकर चाकरी तक करने वाले फर्जीवाड़ा करके न सिर्फ निगम सेवाओं में अपना संविलियन कराने में कामयाब रहे, बल्कि सर्विस बुक तक फर्जी बना डाली। इसके लिए असली सर्विस बुक के साथ ही शैक्षणिक एवं जाति प्रमाण पत्र गुमने या नष्ट हो जाने का बहाना बनाया गया और फिर डुप्लीकेट सर्विस बुक बनाकर धड़ाधड़ पदोन्नति की सीढ़ियां चढ़ते गए।
जी हां, नगर निगम में प्रथम श्रेणी अफसरों से लेकर कई बाबुओं तक की नियुक्ति या दूसरे विभागों से प्रतिनियुक्ति पर आने के बाद किए गए संविलियन में कायदे कानून की धज्जियां उड़ाई गर्इं। इसकी भनक लगने के बाद निगम प्रशासन ने गोपनीय जांच करवाई थी, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इसके बाद अब विधिवत् जांच संस्थित की जा रही है।
फर्जीवाड़ा करके नौकरी हड़पने से लेकर बोगस संविलियन कराने वालों में पांच अफसर, विभिन्न पदों पर जमें सात प्रभारी और दो दर्जन से ज्यादा तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं। इस तिकड़म के खेल का एक और चौंकाने वाला पहलू यह भी है कि, भ्रष्टाचार की सैकड़ों शिकायतों के बाद भी ऐसा करने वाले सारे के सारे अफसर और कर्मचारी सालों से मलाईदार पदों पर काबिज हैं।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार दूसरे विभागों से नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आने वालों ने अपने सर्विस रिकॉर्ड में सर्वाधिक गड़बड़ी करवाई। सूत्र दावा करते हैं कि, प्रथम श्रेणी स्तर के दो अधिकारियों की असली सर्विस बुक को जानबूझ कर गायब करवाने के बाद डुप्लीकेट सर्विस बुक बनाई गई है। इसकी पुष्टि इसी से हो जाती है कि, सर्विस बुक के गुमने या नष्ट होने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने से लेकर किसी तरह की विभागीय कार्रवाई तक नहीं की गई। इसके अलावा दो अफसर तो और आगे निकल गए, जिनकी डुप्लीकेट सर्विस बुक तक निगम की संस्थापन शाखा में नहीं है। मजे की बात यही है कि, संस्थापन शाखा ने इस बारे में कभी न तो संबंधित अधिकारियों को आगाह किया और न ही निगम प्रशासन को अवगत कराया।