गैरतगंज। राकेश गौर। करीब 18 साल पहले यहां बना जेल भवन एवं स्टाफ क्वार्टस का अभी तक कोई उपयोग नहीं किया जा सका। जब बनाया गया था तो बड़े जोरशोर से काम चला लेकिन तब से लेकर आज तक इसका उद्धाटन ही नहीं हुआ। इस इंतजार में भवन पूरी तरह से खंडहर मे तब्दील हो गया।
लगभग 18 वर्ष पूर्व तहसील गैरतगंज से महज 2 किमी की दूरी सागर भोपाल मुख्य मार्ग पर ग्राम चांदोनीगंज में करोडो की लागत से शासन द्वारा जेल भवन का निर्माण कराया गया था। उस समय जेल प्रशासन ने इस भवन के साथ स्टाफ के रहने की व्यवस्था के हिसाब से स्टाफ क्वार्टस का भी निर्माण कार्य कराया था। इन भवनो के निर्माण के बाद इनकी देखरेख के आभाव में ये करोडो की लागत से बने ये भवन खंडहर में तब्दील हो ते चले जा रहे है। जबकि जेल की इस नवीन भवन का 18 वर्ष के अंतराल के बाद भी उदघाटन तक नही हो सका।
लगभग 1 करोड की लागत से बने इस जेल भवन एंव स्टाफ क्वार्टस का उपयोग षासन द्वारा नही किया गया। इस जेल भवन के निर्माण उपरांत पानी का आभाव बताकर इस भवन को अनुपयोगी घोषित कर दिया गया था।तब से लेकर आज तक विल्डिंग बेकार ही पडी है।जेल परिसर विल्डिंग के अंदर की दीवारे और अंदर का स्वरूप भूत बंगले में तब्दील हो गया है।वही इसके निकट के स्टाफ क्वाटर की दीवारे जर्जर अवस्था में है।बनने के बाद ये भवन सर्वसुविधा युक्त थे लेकिन संबधित विभाग की देखरेख के आभाव में ये भवन बदहाल अवस्था में है।
ऐसे हुआ भवन का निर्माण
यदि पुराने इतिहास का देखा जाये तो सन् 1994 में उस समय संबधित विभाग द्वारा पीडब्ल्यूडी विभाग के माध्यम से लगभग 55 लाख रूपये की लागत से इस विषाल विल्डिंग एंव क्वार्टस का निर्माण कार्य कराया था।इस पूरे कार्य को विदिषा के एक ठेकेदार ने 1988 से 1994 तक 6 वर्षो में इस जेल भवन को पूरा किया था।पूर्व में 50 लाख इस भवन के निर्माण के लिये स्वीकृत होने के बाद स्टीमेट में 5 लाख रूपऐ की बढोत्तरी कराई गई थी।वर्तमान में इस भवन की वास्तविक कीमत करोडो में है। एक दशक पूर्व बिल्डिंग को अनुपयोगी मानकर इसे वेयर हाउस को सुपुर्द करने की चर्चा भी हुई वही समर्थन मूल्य के गेहूं को भी इस भवन में रखा गया। परन्तु बाद में स्थायी रूप से इसका भी हल नही निकल सका। वर्तमान में इस भवन के देखरेख करने वाला कोई नही है।
करोडो फूंकने के बाद अनुपयोगी बताया भवन
इस भवन के निर्माण के बाद भी शासन द्वारा इसके उपयोग न किये जाने के पीछे कुछ कारण विभाग ने बताये। उन्होने इस भवन को निर्माण के बाद अनुपयुक्त बताया वही पानी के आभाव के कारण भी इस भवन को अनुपयोगी घोषित किया गया। जिसके चलते 18 वर्ष निकल जाने के बाबजूद भी ये विल्डिंग किसी उपयोग में नही आई। इस पूरे मामले में आश्चर्य की बात ये है कि करोडो रूपये फूंकने के बाद ही विभाग द्वारा इस भवन को उपयोगी या अनुपयोगी क्यो घोषित किया।क्या भवन निर्माण के पूर्व ये सारी परेशानियों का बारिकी से परीक्षण नही किया गया था। या फिर इस भवन के निर्माण कार्य से उस समय के अधिकारियो या कर्मचारियों ने आखे मूंदकर करोडो खर्च जानबूझकर कर कराये थे ये सोचनीय विषय है। वही यदि इस भवन में पानी की कमी है। तो क्या भवन से सटे हुऐ ग्राम चांदोनीगंज में भरपूर पानी की मात्रा कैसे है। इस पूरे मामले में कई बिंदू ऐसे है। जो किसी के गले नही उतर रहे यदि इस भवन के निर्माण संबधि जांच की जाये तो शायद उस समय के कई राज हमारे सामने आ सकते है।वही यदि वर्तमान में भी इस भवन की ओर शासन ध्यान दे तो षायद जेल भवन को उपयोग किया जा सकता है।