भोपाल। 80 के दशक में दहशत का दूसरा नाम फूलनदेवी और डाकू मलखान सिंह का समर्पण कराने वाले तत्कालीन एसपी राजेन्द्र चतुर्वेदी को राजधानी की पुलिस आपफीसर्स मेस में मैस के कर्मचारियों द्वारा नजरबंद कर लिया गया है। उनकी कार के पहियों की हवा निकाल दी गई है ताकि वो भाग न सकें।
सूत्रों के अनुसार जेल विभाग के मुखिया रहे चतुर्वेदी चार महीने से अपने बेटे के साथ ऑफिसर्स मेस के कमरा नंबर 304 में रुके हैं। यहां उनके रहने व खाने का करीब 70 हजार रुपए का बिल हो गया है। शुक्रवार रात चतुर्वेदी बिल दिए बगैर ही बेटे के साथ चोरी-छिपे जाने की तैयार कर रहे थे, तभी कर्मचारियों ने उन्हें देखा और बिल देने को कहा।
जब उन्होंने आनाकानी की तो कर्मचारियों ने उनकी कार नंबर एचआर 26 एक्यू 8826 के पहियों की हवा निकल दी और पत्थर का टेका लगाकर उसके चारों तरफ गमले लगा दिए। इसके बाद चतुर्वेदी अपने कमरे में चले गए। सातवीं बटालियन के कमांडेंट प्रमोद वर्मा के अनुसार उस समय चतुर्वेदी के पास बिल देने के लिए रुपए नहीं थे। उनकी गाड़ी मेस में खड़ी है। वहीं, चतुर्वेदी का कहना है कि गाड़ी की हवा नहीं निकाली गई है। बिल चुकाने जैसी भी कोई बात नहीं है।
हमेशा चर्चाओं में रहे हैं चतुर्वेदी
अस्सी के दशक में भिंड एसपी रहते हुए चतुर्वेदी ने डकैत फूलन देवी और मलखान सिंह का तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण कराया था। फूलन उनकी पत्नी को मम्मी कहती थीं। जबकि, मलखान उनसे राखी बंधवाते थे। श्यामला हिल्स पर रहते समय चतुर्वेदी का पत्नी से काफी विवाद हुआ।
पत्नी ने श्यामला हिल्स थाने में उनके खिलाफ मारपीट और प्रताड़ना की शिकायतें भी दर्ज कराई थीं। इस बीच मलखान ने दोनों में सुलह कराने की काफी कोशिश की थी। 2003 में डीजी जेल रहते हुए उन्होंने जेल प्रहरी की भर्ती के नाम पर 16 लोगों से करीब साढ़े 12 लाख रुपए लिए थे। इस संबंध में ईओडब्ल्यू ने प्रकरण दर्ज कर उनके खिलाफ अदालत में चालान पेश किया था।