कांग्रेस ने शिवराज सिंह को दी माफिया से गठबंधन की अनुमति

भोपाल । प्रेसनोटी विरोध के चलते उथली हो चुकी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने अपने एक बयान में शिवराज सिंह चौहान को माफिया से गठबंधन की अनुमति दे डाली। आज जारी एक प्रेस बयान में भूरिया ने लगभग गिड़गिड़ाते शब्दों में कहा कि 'शिवराज सरकार माफियाओं के साथ अपनी दोस्ती निभाने के मामले में यदि पीछे नहीं हटना चाहती है, तो न हटे, लेकिन माफियाओं को खाकी वर्दी के सम्मान और उसके रूतबे के साथ इस तरह खुलकर खेलने की अनुमति तो न दे।'

यहां जारी अपने बयान में भूरिया की ओर से कहा गया है कि 'कल रात्रि में रीवा में शराब माफिया ने दो पुलिस वालों की इतनी निर्मम पिटाई की है कि उनमें से एक को गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।

श्री भूरिया ने कहा है कि खनिज माफिया हो या वन माफिया अथवा शराब माफिया, राज्य सरकार की कायरतापूर्ण रीति-नीति के कारण जिलों में पुलिस और प्रशासन दोनों को उंगलियों पर नचा रहे हैं। अधिकारी और कर्मचारी इन माफियाओं के गैर कानूनी कारोबार पर इस कारण हाथ नहीं डालते कि माफियाओं के हाथ इन दिनों सीधे मुख्य मंत्री और मंत्रियों तक पहुंच रहे है। माफियाओं के ये हाथ अब कानून के हाथों से भी कई गुना अधिक लंबे और ताकतवर हो गये हैं। 

आपने कहा है कि भाजपा नेतृत्व और सरकार के सूत्रधार इन माफियाओं से गले-गले तक उपकृत हैं, इस कारण वे न तो कोई सख्त कदम उठाने का नैतिक साहस जुटा पा रहे हैं और न ही जो कर्तव्यनिष्ठ  और हिम्मतवाले अधिकारी और कर्मचारी माफियाओं के काले धंधों पर हाथ डालते हैं, उनको या तो बेखौफ माफिया खुद ही निपटा रहे हैं या फिर सरकार उनका अन्यत्र तबादला कर देती है। माफिया परस्त सरकार की इस कमजोर कार्यप्रणाली के कारण प्रदेष में पिछले नौ साल में हर प्रकार के माफियाओं ने अपनी जड़ें गहराई से जमा ली हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि शिवराज सरकार माफियाओं के साथ अपनी दोस्ती निभाने के मामले में यदि पीछे नहीं हटना चाहती है, तो न हटे, लेकिन माफियाओं को खाकी वर्दी के सम्मान और उसके रूतबे के साथ इस तरह खुलकर खेलने की अनुमति तो न दे। यदि पुलिस वाले माफियाओं के हाथों इस तरह पिटते रहे तो सवाल उठता है कि फिर जनता की सुरक्षा कौन करेगा ? कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार ने प्रदेष की साढ़े सात करोड़ जनता को अपने चहेते माफियाओं के रहमोकरम पर छोड़ने का कोई गुप्त फैसला कर लिया है।'

अब आप ही बताइए ऐसे गिड़गिड़ाते विपक्ष के रहते कोई कैसे उम्मीद करे कि सत्ता पर लगाम लगाई जा सकती है या क्यों इस अफवाह पर भरोसा न कर लें कि कांतिलाल भूरिया अपने प्रिय मित्र शिवराज सिंह चौहान से दोस्ती निभा रहे हैं और कड़ा विरोध दर्ज नहीं करा रहे हैं। न तो खुद करा रहे हैं न ही किसी को करने का अवसर दे रहे हैं।

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