क्या सदाचार का तावीज़ बस भारत के लिए ही है ?

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राकेश दुबे@प्रतिदिन। पाकिस्तान भारतीय सैनिकों के सिर काट ले जाता है, बांग्लादेश कभी भी मछुआरों को पकड़ लेता है, श्रीलंका की गश्ती समुद्री सेना हमारे नाविकों के साथ दुर्व्यवहार करती है, और अब सर्वोच्च न्यायालय से मताधिकार के इस्तेमाल की याचना कर जेल से इटली गये, भारतीय मछुआरों के हत्यारों को इटली कि सरकार ने रोक लिया है ,और हम सदाचार का तावीज़ पहने हुए उस चिठ्ठी का मतलब निकाल रहे है जो खुले शब्दों में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की कृपा, की अवमानना है|

यदि ये घटनाये कहीं और घटी होती तो उस देश कि सरकार उस देश के राजदूत को बुलाकर अपने देश से गुडबाय कर  देती| यह साफ है की यूपीए—2 और खास तौर पर प्रधानमंत्री और खासमखास गृह मंत्री इटली के मामले कुछ भी कहने के पहले अपनी सोचते हैं| प्रतिपक्ष तो अपने को नूराकुश्ती से मुक्त कहता है| संविधान और उसके अंतर्गत बनी न्यायपालिका पर अटूट विश्वास दिखाता है|मालूम नहीं क्यों उसके  मुंह में भी दही जम गया है|

बंगलादेशी घुसपैठियों के खिलाफ संघर्षरत व्यक्ति और संघठनों को जेल और परवेज़ असरफ के लिए लाल कालीन बिछाने वाली सरकार और उसके पिछलग्गू  प्रतिपक्ष से सवाल है कहीं कोई विदेश नीति जैसी किताब है उसमें सब कुछ लिखा है| उसे पढा या नहीं? देश के सर्वोच्च न्यायलय का तमाशा मत बनाइए| अन्य देशों कि तरह सरकार को अपने संवैधानिक संस्थानों और नागरिको कि अस्मिता कि रक्षा करना चाहिए| इटली, पाक, बंगला देश या कोई अन्य अब  कोई हिमाकत न करे| यह सरकार का कर्तव्य है और इसमें कोताही क्यों ? उतार दीजिये सदाचार के तावीज़ को,इसकी मियाद निकल गई है|

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