MP Budget 2013-14: किसानों, महिलाओं, युवाओं और कर्मचारीयों को ठगा

खरगोन/ म.प्र सरकार के अन्तीम बजट को प्रदेश के वित्त मंत्री राघव जी ने भाजपा का घोषणापत्र बनाने का भरसक प्रयास किया प्ररन्तु वे इसमे विफल रहे। इस बजट में किसानों, महिलाओं, युवाओं, कर्मचारीयों कुछ भी हासील नही हुआ। यह प्रतिक्रिया म.प्र की विधानसभा में प्रस्तुत बजट पर जिला कांग्रेस प्रवक्ता रवि नाईक ने दी।

उन्होने आरोप लगाया की आये दिन मुख्यमंत्री घोषणाए एवं वादे करते है। लेकिन उनके वादे और घोषणाए इस बजट से नदारद है। म.प्र सरकार का बजट और वास्तवीक हालात मे जमीन आसमान का अंतर है।


1000 करोड़ किए सरेंडर


बातबात पर केन्द्र सरकार से सहायता राशी मांगने वाली शिवराज सरकार ने इस बजट में 1000 करोड रूपये की राशी सरेंडर की है। अर्थात 1000 करोड रूपयें राज्य सरकार खर्च नही कर पाई और वो शेष रह गये। इस बजट से म.प्र के कर्मचारीयों को भी निराशा ही मिली बिते कुछ माह से लगातार आंदोलनों के बावजुद प्रदेश सरकार ने उन्हे इस बजट में कुछ नही दिया।


ओलापीडित किसानों को नही मिली मदद


राज्यभर के ओलपीडित किसानों को इस बजट से राहत पैकेज की उम्मीद थी लेकीन ऐसा कुछ नही हुआ। इन ओलापीडित किसानों को इस बजट से निराषा हात लगी। उन्हे उक ओर राजस्व अमले द्वारा सर्वे में कम नुकसानी बताकर ठगा जा रहा है वही दूसरी और राज्य सरकार ने इस बजट में उन्हे किसी प्रकार की मदद नही की। पिछले दस वर्षों से राज्य सरकार किसानों को क्रेडिट कार्ड देने का केवल वादा ही कर रही है। उसी वादे को इस बजट में फिर दोहराया गया है।

1672 रूपये केन्द्र का 150 रूपये राज्य का तो फिर 1500 रूपये में गेहूं क्यों खरीद रही है सरकार


वित्त मंत्री राघव जी ने इस बजट मे गेहूं का समर्थन मुल्य 100 रूपये से बडाकर 150 रूपये कर वाह-वाही लुटने का प्रयास किया है जबकी हकीकत कुछ और है केन्द्र सरकार 1672 रूपये प्रति क्विं. के हिसाब से राज्य सेरकार से गेहूं खरीदती है उस पर राज्य सरकार का बोनस 150 रूपये है तो ऐसे में किसानों से गेहूं 1822 रूपये के हिसाब से खरीदा जाना चाहिये। जबकी राज्य सरकार 1500 रूपये के भाव से किसानों का गेहूं खरीद रही है। पहले राज्य सरकार को यह साफ करना चहिये की यह बीच का पैसा कौन खा रहा है। मात्र 50 रूपये बढ़ाने से कुछ नही होगा।


बैरोजगारों से वसूले 107 करोड रूपये परीक्षाओं के नाम पर


म.प्र सरकार के इस बजट से युवाओं में भारी निराशा आई है क्योंकि न तो युवा आयोग गठन हुआ, न युवाओं के लिये कोई नीति बनाई गई इस बजट में 20 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया गया है। जबकी वास्तवीकता यह है कि इसी म.प्र सरकार ने विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के माध्यम से प्रदेश के बेरोजगार युवाओं से फीस के रूप में 107 करोड रूपये वसूले है। बेरोजगारों को लूटने वाली यह सरकार कहां से 20 लाख लोगों को रोजगार देगी यह भी इस बजट में साफ नही है।


सब्सीडी वाले गैस सिलेंडरों की संख्या नही बडाई


राघव जी ने अपने बजट में टैक्स की कमी दर्शा कर गैस सस्ती होने का जो दावा किया है वह नाम मात्र का है। देश भर में पेट्रोल, डीजल और गैस सिलेंडर पर सबसे ज्यादा टैक्स लेने वाली म.प्र सरकार ने गृहणीयों को किसी प्रकार की राहत न देते हुए सब्सीडी वाले गैस सिलेंडरों की संख्या नही बडाई है। जबकी कांग्रेस पार्टी की राज्य सरकारों ने अपने अपने प्रदेशों में यह सुविधा आम जनता को दी है। इस प्रकार राघव जी का आम बजट म.प्र की जनता के लियें आश्वासनों का झुनझुना साबित होगा।


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