भोपाल। इन्दौर के लाइफ लाइन अस्पताल में सोमवार को डॉक्टरों की टीम ने जिस महिला का पेट चीरने के बाद बिना आपरेशन के ही सिल दिया था उसकी बुधवार देर रात मौत हो गई। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और स्टॉफ महिला का शव लावारिस छोड़कर भाग खड़े हुए। घंटों तक पूरा अस्पताल सिर्फ एक नर्स के भरोसे चलता रहा। घटना की सूचना मिलते ही तोडफ़ोड़ की आशंका के चलते बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स अस्पताल पहुंच गया।
महिला की बहन ममता और पिता ओमप्रकाश ने कहा कि अर्चना को शाम छह बजे से तेज दर्द हो रहा था। कई बार बुलाने पर एक डॉक्टर आए और ऑक्सीजन लगाकर चले गए। इलाज करने वाली डॉक्टर सुष्मिता मुखर्जी को लगातार फोन लगाया लेकिन हालत देखने की बजाए उन्होंने अपना फोन बंद कर लिया। कुछ देर बाद दूसरे डॉक्टर आए और उन्होंने अर्चना को वेंटीलेटर पर रख दिया।
ममता के अनुसार रात करीब दस बजे जब अर्चना की आवाज आना बंद हो गई तो एक-एक कर सभी डॉक्टर और स्टॉफ अस्पताल से गायब हो गए। हमें कोई यह भी नहीं बता रहा था कि अर्चना की हालत क्या है। वो जिंदा है या मर गई। रात साढ़े ग्यारह बजे अस्पताल में सिर्फ एक सिस्टर अनुराधा ही थी। वो भी डर के मारे दूसरे कमरे में छुप गई।
मौत के बाद अस्पताल में सन्नाटे, पुलिस और दहशत का जो माहौल बना उससे दूसरे मरीज और उनके परिजन भी डर गए। देर रात तक न तो अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई आया, न ही डॉक्टर। महिला के परिजन गुस्से में हॉस्पिटल में इधर से उधर भटकते रहे। कोई नहीं मिलने पर उनका गुस्सा और बढ़ता जा रहा था। महिला वेंटिलेटर पर ही थी।
वेंटिलेटर हटाने वाला भी कोई नहीं था। इससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। परिजनों ने पहले हॉस्पिटल में हंगामा किया फिर एफआईआर लिखाने थाने चले गए। देर रात ड्यूटी डॉक्टर सी.एस अविनाश ने पुलिस और भास्कर से महिला की मौत की पुष्टि कर दी। उधर, पुलिस ने परिजनों से कहा है कि पहले मृतका का पोस्टमार्टम और शुरुआती जांच हो जाए फिर मर्ग कायम कर लिया जाएगा।
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