सैद्धांतिक राजनीति के अंतिम सिपाही का प्रयाण

राकेश दुबे/ नाना साहेब चले गये | भाजपा को, जनसंघ के बीज से वट वृक्ष बनाने में खाद की भूमिका निभाई और जब उस पेड़ पर छोटे-छोटे बहुत से परिंदे अपने घर बनाने लगे तो स्वत: मान लिया कि उनकी भूमिका अब बदल गई है | फिर भी सैद्धांतिक राजनीति  के अपने संस्कार को ही बांटा | न किसी से राग न किसी से द्वेष | जस की तस, छोड़ दी राजनीति | गुटबाजी क्या होती है,यह नारायण प्रसाद जी गुप्ता ने कभी किसी को नहीं समझाया |

संघ और संगठन फिर परिवार | और इस परिवार में रेहटी,इछावर अब छत्तीसगढ़ में कवर्धा, भोपाल और दिल्ली में खुद के और बच्चों के मित्र शामिल| सब की चिंता सबके शुभ की कामना | इसी कारण नानाजी सबके सब नानाजी के |

अंतिम यात्रा में कंधा देते हए शिवराज सिंह को भी वह सीख याद आ रही होगी| जो विधायक विश्राम गृह की खंड क्रमांक -१ में १९७७ में हम जैसे  कुछ छात्र कार्यकर्ताओं को दी थी |कुछ भी हो जाये,अपनी और से कुछ  भी गलत न हो| सिद्धांत तो सारे  नेता बता देते है, पर उन पर चलने वाली पीढ़ी के अंतिम सिपाही थे नानाजी | राज्यसभा से लौटने के बाद कई बार मैंने पूछा अब क्या ? एक  जवाब था -पार्टी का निर्णय | न किसी से शिकवा , न शिकायत और बहुत कुरेदने पर भी किसी की आलोचना नहीं|

भाजपा जिस दौर से गुजर रही है , उसमे ऐसे प्रकाश स्तम्भ की जरूरत है 

| प्रणाम |
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!