चंदा बारगल/ भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर 'महाभारत' छिड़ी हुई है। नितीन गडकरी के नाम पर पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को ऐतराज होने से चुनाव की प्रक्रिया ही 'जाम' लग गया है। आडवाणी ने अध्यक्ष पद के लिए सुषमा स्वराज का नाम सुझाया है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक अभी भी गडकरी के नाम पर अडिग है। इस कारण पेंच फंस गया है और भाजपा में मंथन शुरू है।
शुक्रवार को भाजपा के अध्यक्ष पद के चुनाव की अधिसूचना जारी होना थी, किंतु अभी पार्टी में गडकरी के नाम पर विवाद होने से चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। भाजपा में गडकरी को दूसरी मर्तबा अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर गहरे मतभेद हैं। संघ की तरह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी गडकरी को अध्यक्ष बनाए जाने का कह रहे हैं तो भी आडवाणी के विरोध के चलते अब गडकरी की राह आसान नहीं रह गई है।
बताते हैं, आडवाणी ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गडकरी को पार्टी की कमान सौंपना ठीक नहीं होगा, इसलिए उनके बजाय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सुषमा स्वराज को सौंपी जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि सुषमा स्वराज के नाम पर सहमति नहीं बनने की स्थिति में ही गडकरी के नाम पर विचार होना चाहिए। एक ओर आडवाणी के विरोध में जाते ही गडकरी के पूर्ति समूह में हुए घोटाले के आरोप, हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सत्ता जाने के मुद्दे भी उनके विरोधियों ने जोरदार ढंग से उठाए हैं। केवल संघ ही गडकरी का राग अलाप रहा है।
खबर है कि संघ के वरिष्ठ नेताओं ने इस बारे में आडवाणी से फोन पर चर्चा कर उन्हें समझाने की कोशिश की है। इस बातचीत में आडवाणी ने सुषमा स्वराज का नाम सुझाए जाने का पता चला है, बावजूद इसके सुषमा स्वराज इसके लिए तैयार नहीं दिखतीं, क्योंकि उन्हें संघ की नाराजगी मोल लेना पड़ सकती है। एक गुट ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली का नाम आगे किया है, जिस कारण पेंच और बढ़ गया है।
ऐसे में अध्यक्ष कौन? गडकरी या सुषमा स्वराज? यह पेंच सुलझाने के लिए दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मेराथॉन बैठकें चल रही हैं। शनिवार को अनंतकुमार, मुरलीधर राव और रामलाल ने नितीन गडकरी से चर्चा की थी। उसके पहले इन नेताओं ने सुषमा स्वराज से भी मुलाकात कर उनकी राय जानी थी, लेकिन अभी भी गडकरी के नाम पर विवाद कायम है।