प्रतिदिन/राकेश दुबे/ विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद अमेरिकी आतंकी डेविड उर्फ़ दाउद को भारत लाने को अब भी आशान्वित है| पता नहीं उन्हें कैसे इल्म हो गया है की अमेरिकी सरकार उसे यूहीं भारत सरकार के हवाले कर देगी| अमरीकी सरकार हो या अमेरिकी अदालतें वे पहले खुद के बारे में सोचते हैं, फिर किसी और के बारे में| भारत सरकार आज तक भोपाल में 20 हजार से अधिक लोगों की हत्या के लिए कसूरवार वारेन एंडरसन को भारत नहीं बुला सकी, अब तो हेडली 6 अमेरिकी नागरिकों का हत्यारा घोषित कर उनका कैदी है|
यह तो भारत जैसे देश में ही हो सकता है जहाँ संसद पर हमला करनेवाला अफजल गुरु मजे मार रहा हो| 165 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद, संधि होने के बावजूद भारत सरकार दाउद इब्राहीम को भारत लेन में असफल रही हो | यह सब खुशीद जी जैसे काबिल वकीलों की मदद के बगैर नामुमकिन है | खुर्शीद जी ख्याति उनके कुछ मुकदमों के कारण और कुछ अरविन्द केजरीवाल के भंडाफोड़ के कारण हुई है | अमेरिकी संधि को पढने का उन्हें वक्त ही नहीं मिला होगा जिसमें कैदी द्वारा कुछ शर्तों का उल्लंघन की बात है भला हेडली ऐसा क्यों करेगा | खुर्शीद जी अपने एन जी औ के बाय लाज पढने में व्यस्त होंगे, शायद |
बिना सोचे समझे कुछ भी बोलना भारत के नेताओं की आदत होती जा रही है| किसी भी बात का श्रेय मिलने का मौका हो फौरन बोल उठेंगे |इस मामले में अमेरिकी अदालत ने अमेरिकी नागरिको की हत्या के मामले में एक अमेरिकी नागरिक को सज़ा दी है | हम बेवजह कुछ भी कह रहे हैं | क्षेत्राधिकार हमारा था , पर इस पर हमने कोई भी बात कहीं नहीं कही क्यों? हम सिर्फ श्रेय लेना चाहते हैं करना कुछ नहीं यह उधर के सिंदूर से सुहागन कहलाने के अलावा कुछ भी नहीं है |
