मौत के बाद वो बैंक पहुंचे और लोन ले गए

भोपाल। एक गांव के चार किसान, चारों की अलग—अलग समय पर मौत हुई, लेकिन वो मरे नहीं, वो फिर जिंदा हो गए, बैंक पहुंचे और लोन लिया। क्या ऐसा हो सकता, जी हां, हुआ है। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले की करैरा तहसील के दो बैंकों में ऐसा ही हुआ है। यहां चार ऐसे लोग बैंक से लोन ले गए जो लोन दिए जाने वाली तारीख को जिंदा ही नहीं थे। 


आप खुद पढ़िए शिवपुरी से ​ललित मुदगल की यह रिपोर्ट:-

मृत व्यक्तियों के नाम से निकाल लिया लोन, अध्यक्ष, मैनेजर सबके खिलाफ FIR दर्ज


करैरा। सेवा सहकारी संस्था करैरा और केन्द्रीय सहकारी बैंक शाखा करैरा के अधिकारियों की सांठ-गांठ से चार मृत व्यक्तियों के नाम से 1 लाख 82 हजार 86 रूपये का लोन निकाल लिया। 4 साल पहले  फर्जी तरीके से निकाले गए इस लोन की सुध बैंक को भी नहीं आई। सेवा सहकारी संस्था करई के दो मृत सदस्यों बाबूलाल और मुलायम सिंह जिनके नाम से ऋण की राशि निकाली गई थी उनके पुत्रों क्रमश: ब्रजकिशोर और महेन्द्र सिंह ने जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नरवर आगमन के अवसर पर जब लिखित शिकायत की तब बैंक अधिकारी चेते।

इस शिकायत की जांच सहकारी संस्था के संचालक  एमके सिंह और केन्द्रीय सहकारी बैंक के महाप्रबंधक मिलिन्द्र सहस्त्रबुद्धे के निर्देश पर जब बैंक अधिकारी लक्ष्मीनारायण तिवारी, रामस्नेही शर्मा और पीके गुप्ता ने की तो शिकायत पुष्ट पाई गई। फरियादी लक्ष्मीनारायण द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट पर करैरा थाने में सेवा सहकारी संस्था करई के अध्यक्ष गोपाल सिंह गुर्जर निवासी रमगढ़ा, संचालक शीतल सेवा सहकारी संस्था करई, संस्था प्रबंधक मदन तिवारी और केन्द्रीय सहकारी बैंक करैरा के शाखा प्रबंधक अब्दुल शहजाद खां तथा तत्कालीन शाखा प्रबंधक मदनलाल राठौर के विरूद्ध भादवि की धारा 420, 467, 468, 120 बी के तहत जालसाजी और दस्तावेजों में कूटकरण करने का मामला दर्ज कर लिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्रीय सहकारी बैंक सहकारी संस्थाओं के नाम से ऋण वितरण करती है और सहकारी संस्थाएं उक्त ऋण को अपने सदस्यों को मुहैया कराती हैं। सेवा सहकारी संस्था करैरा के सदस्य बाबूलाल पुत्र अनंतराम निवासी ग्राम बरौआ के नाम से 14 अगस्त 2008 को 8078.72 रूपये की राशि वितरण दर्शायी गई है। दिनांक 3 जनवरी 2009 में 25 हजार रूपये का लोन निकाला गया। जबकि संस्था सदस्य बाबूलाल के पुत्र ब्रजकिशोर ने 8 सितम्बर 2012 को अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र पेश किया गया जिसके अनुसार उनकी मृत्यु 31 अक्टूबर 1995 को हो चुकी थी।

इसी प्रकार संस्था सदस्य मुलायम सिंह पुत्र भानसिंह ठाकुर निवासी ग्राम बरौआ के नाम से 29 जुलाई 2009 को 10653 रूपये, 17 सितम्बर 2009 को 20 हजार रूपये और 24 सितम्बर 2009 को 20 हजार रूपये वितरण करना दर्शाया गया है। जबकि मुलायम सिंह के पुत्र महेन्द्र सिंह द्वारा पेश मृत्यु प्रमाण पत्र से स्पष्ट है कि मुलायम सिंह की मृत्यु 3 दिसम्बर 1997 को हो चुकी है। इसी प्रकार मेहताब सिंह पुत्र मंगल सिंह निवासी ग्राम करौआ जिनकी मृत्यु उनके पुत्र जगदीश सिंह द्वारा पेश मृत्यु प्रमाण पत्र के अनुसार 11 सितम्बर 2005 को हो गई, लेकिन 29 सितम्बर 2009 को उनके नाम से 8354 रूपये और दिनांक 7 अक्टूबर 2009 को 25 हजार रूपये वितरण करना बताया गया है।

इसी प्रकार एक अन्य मृत व्यक्ति रामस्वरूप पुत्र दयाराम बघेल के नाम से फर्जी ऋण निकाला गया है। रामस्वरूप के पुत्र राजेन्द्र ङ्क्षसह बघेल द्वारा अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र पेश किया गया है जिसके अनुसार उनकी मृत्यु 19 जून 2005 को हो गई है। लेकिन उनके नाम से 21 नवम्बर 2005 को 20 हजार रूपये और 24 सितम्बर 2009 को 29 हजार रूपये निकाले गए। इस तरह से 1 लाख 82 हजार 86 रूपये का फर्जी ऋण निकालकर बैंक को चूना लगाया गया। इस मामले की जांच जब तीन सदस्यीय समिति द्वारा की गई तो उन्होंने उपरोक्त पांचों आरोपियों को दोषी माना। जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार परमिट पर संस्था प्रबंधक मदन तिवारी, सेवा सहकारी संस्था करई के अध्यक्ष गोपाल सिंह गुर्जर और संचालक शीतल के हस्ताक्षर अंकित हैं। संस्था प्रबंधक ने गंभीर त्रुटि की है। जबकि संस्था अध्यक्षक के रूप में श्री गुर्जर ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में चूक की है।

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