जन्मदिन विशेष: अटल तो सिर्फ "अटल" हैं

shailendra gupta
अटल विहारी वाजपेयी  अब मौन होकर  अपने बंगले में बैठे हैं । उनकी कमी पूरे देश को खलती है । हर उस पल जब देश में कोई संकट का क्षण आये तो लोगों की जुवान पर जिन दो लोगों के नाम याद आते हैं उनमें या तो श्रीमती इंदिरा गांधी होती है या फिर अटल विहारी बाजपेयी । लेकिन ग्वालियर को उनकी कमी कुछ ज्यादा हे खलती है ।

 देश को उनका सिर्फ जादुई लोकतान्त्रिक राजनीतिक स्वरुप ही स्मरण याद आता है लेकिन यहाँ गली -गली में उनके किस्से कहानियां बिखरे पड़े हैं जो लोगों को आज भी रोमांचित करते है और जिनके जरिये आज भी अटल जी अपने वाक  चातुर्य और अपनी आगे की सोच का स्मरण कराने से नहीं चूकते । ऐसा ही एक किस्सा मुझे याद है जब वे  अपना जन्मदिन मनाने ग्वालियर आये । उनका ग्वालियर में जन्मदिन मनाने का कार्यक्रम पहले से तय था । 

ग्वालियर में सुरक्षा से लेकर सारा वन्दोवस्त हो चुका था । अचानक खबर आयी पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव का देहांत हो गया । लगा अब अटल जी ग्वालियर नहीं  आयेंगे । अटल जी प्रधानमंत्री रह चुके थे इसलिए भी और इसलिए भी क्योंकि वे और स्व राव एक दुसरे के पक्के दोस्त थे ,लिहाजा उनका यह कार्यक्रम रद्द होगा ,तय था लेकिन देर रात पता चला कि उनका ग्वालियर दौरा  यथावत है । 

हम लोगों को अच्छा नहीं लगा । मैंने अपने पत्रकार साथियों के साथ मिलकर तय किया कि ग्वालियर आते ही एक पत्रकार वार्ता रखी जाए और फिर उसमें इस मुद्दे पर खिंचाई की जाए । तय हो गया । उनका काफिला हमारे करे कार्यक्रम स्थल होटल तानसेन रेजीडेंसी पहुंचा । अटल जी ने हम लोगों से क्षेम पूछी  और बगैर कुछ भूमिका के माईक संभालकर बोलना  शुरू कर दिया - मित्रो आज मेरे लिए बहुत कठिन दिन है । मेरे निजी मित्र देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री नरसिंह राव हमसे विदा हो गए । मैं पहले उनके निवास पर गया उन्हें अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की .....,इसके बाद उन्होंने स्व राव के सम्मान में बहुत कुछ कहा । अब जाहिर है उन्होंने कहा तो हम लोगों की बोलती बंद हो गयी ।
अटल विहारी वाजपेयी को ग्वालियर घूमना सदैव अच्छा लगता रहा है । जब तक वे स्वस्थ्य रहे ग्वालियर व्यापार मेले को घूमने का लोभ संवरण नहीं कर पाए । जब वे लोकप्रिय होकर राष्ट्रीय नेता बन गए तो कई बार बगैर सूचना के दिल्ली से अकेले मेला घूमने आ जाते थे । एक बार हम लोगों को दोपहर में किसी ने बताया कि मेले में अटल जी जैसा कोई आदमी घूम रहा है । मैं अपना फोटोग्राफर  लेकर दौड़ा । तलाश की तो देखा कि झूले से उतरकर मूंगफली खाते हुए आगे बढ़ रहे है । हम लोगों ने उनसे पूछा - आप अचानक यहाँ? वे अपने चिर परिचित अंदाज में बोले - भाई मेल तो अकेले ही घूमा जाता है । इसके बाद जब मेले में अटल जी की मौजूदगी की खबर  फैलने लगी तो वे लम्बे -लम्बे डग भरते हुए तत्काल मेले से बाहर  निकलकर अपने मित्र के स्कूटर पर बैठ सीधे रेलवे स्टेशन पहुंचे और दिल्ली रवाना हो गए ।

श्री वाजपेयी दो विपरीत बातों के धनी है । उनके पास अभिव्यक्ति की प्रस्तुति की शानदार कला है जो उन्हें सीधे लोगों के दिलों से जोडती है । वे समय और देश व समाज के हित में बोलते ई ,तब भले ही उन्हें अपनी विचारधारा और निजी राग द्वेषों को तिलांजलि देना पड़े । ऐसे अनेक उदाहरण है लेकिन इसके ठीक विपरीत उनकी गोपनीय रखने की क्षमता भी भारतीय सियासत में खूब प्रचलित है । हाल ही में मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गए प्रभात झा ने परमाणु विस्फोट में अटल जी द्वारा रखी  गयी गोपनीयता की तुलना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा उन्हें हटाने की रणनीति से की ही थी । लेकिन इससे जुडा असल  किस्सा उन्होंने ग्वालियर में हम लोगों के सामने पूरी सच्चाई से उजागर किया था । यह बात उन्ही पार्टी के लिये ठीक नहीं थी । 

उस समय भाजपा अटल जी के परमाणु विष्फोट का श्रेय लेने के लिए गली -गली प्रचार अभियान चला रही थी लेकिन ग्वालियर में एक समारोह ने कहा - आज में आपके सामने यह रहस्योद्घाटन करता हूँ , पोखरन परमाणु विस्फोट मेरे नहीं स्व पी वी नरसिंह राव के प्रयासों से हुआ था । इस पर पूरा काम उन्होंने ही किया था। 

जब मैंने सता संभाली तो उन्होंने मुझसे कहा कि पोखरन में पूरी तैयारी है । आप विस्फोट करवा लेना । उन्होंने मुझसे यह आश्वासन भी लिया था कि  वे  यह बात किसी को बताएं भी नहीं । आज में उनको दिया वचन तोड़ रहा हूँ क्यों कि अब वे इस दुनिया में नहीं है लिहाजा अब मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि परमाणु विस्फोट उन्ही की मेहनत  का परिणाम था इसका श्रेय अगर देना है तो उन्ही को दें । ग्वालियर की गजक से लेकर बहादुरा के लड्डू उनको वेहद पसंद है और उन्होंने इन चीजो से अपना प्रेम डॉक्टर्स की रोक के बावजूद कायम रखा । जब वे ग्वालियर में जन्मदिन मनाने आये तो मंगोड़े वाले बूढ़ी अम्मा और बहादुरा हल्वाइ के लड़के को भी मिलने के लिए बुलाया ।  ग्वालियर और देश चाहता है वे दीर्घायु हो ..और बोलें भी । उन्हें 

जन्मदिन की हार्दिक बधाई ।
देव श्रीमाली
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