इटारसी। राजनेताओं की निष्क्रियता और प्रशासनिक उदासीनता के चलते इटारसी जैसा जीवंत शहर आज अपने अस्तित्व की तलाश में है। तमाम भौगोलिक और प्राकृतिक संसाधनों और व्यापारिक अवसरों की प्रचुरता के बावजूद इटारसी शहर उस तरह से विकसित नहीं हो पाया है जिसका वह हकदार है।
इटारसी से जुड़े तमाम तथ्य इस ओर इशारा करते हैं कि इटारसी में जिला बनने की तमाम संभावनाएं हैं, कमी सिर्फ राजनीतिक इ'छाशक्ति और पहल की है। इटारसी की जनता को सबसे बड़ा दुख इटारसी विधानसभा क्षेत्र की पहचान खो जाने का है। एक दौर था जब इटारसी ना केवल जिले की राजनीति को संचालित करता था बल्कि जिले के तीन विधायक इटारसी के निवासी थे।
यह हैं इटारसी की पहचान
सुविधाओं के मामले में भी शहर पीछे नहीं है। इटारसी रेलवे के प्रमुख जंक्शनों में से एक है। इसके अलावा आर्डनेंस फैक्ट्री, ताकू पू्रफ रेंज, सीपीई, बीएसएनल जीएम, एचईजी कार्यालय के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण कार्यालय भी संचालित हैं। इन उपलधताओं की वजह से ही बड़ी व्यापारिक कंपनियों के कार्यालय भी इटारसी आ गए हैं। शैक्षणिक सुविधाओं की दृष्टि से भी इटारसी किसी से कम नहीं है। यहां तीन सेंट्रल स्कूल, दो शासकीय कॉलेज, आईटीआई, पॉलीटेक्निक कॉलेज, शासकीय नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर सहित अनेक बड़े निजी स्कूल-कॉलेज चल रहे हैं।
दो सौ गांवों की जीवनरेखा
इटारसी अनुविभाग में करीब १५२ गांव हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार की दृष्टि से शहर पर निर्भर हैं। इसी तरह केसला आदिवासी लाक में भी करीब 100 गांव हैं जिनके आदिवासी भी सीधे तौर पर इटारसी से जुड़े हैं। होशंगाबाद जिला मुख्यालय की केसला लाक के साथ सोहागपुर तहसील के सैंकड़ों आदिवासी गांवों की दूरी करीब ७० किमी से 'यादा है जिससे उन्हें हर छोटे-बड़े कामों के लिए इतनी लंबी दूरी तय करके परेशान होना पड़ता है। इटारसी से यह गांव सड़क और ट्रेन से सीधे जुड़ते हैं जिससे उन गरीब आदिवासियों का समय और पैसा बचता है।
इटारसी बन सकता है आदिवासी जिला
इटारसी के आसपास बड़ा आदिवासी अंचल लगा होने के कारण इटारसी आदिवासी जिला बनाया जा सकता है। इटारसी के तहत केसला आदिवासी लाक आता है जिसकी कुल आबादी में से करीब ८९ प्रतिशत आबादी आदिवासी है। शहर से चंद किमी की दूरी पर सिवनी-मालवा तहसील है जिसमें आदिवासी आबादी करीब ३५ प्रतिशत है। सोहागपुर तहसील भी इटारसी से 'यादा दूर नही है,यहां आदिवासी आबादी का घनत्व ३३ प्रतिशत है। बोरी रेंज के 17 गांव के लोग अपने शासकीय कामों के लिए सोहागपुर तहसील जाते हैं और यदि वहां काम न हो तो होशंगाबाद जिला मुख्यालय करीब ५५ किमी दूरी तय करते हैं।
कुछ गांवों के लोग पैदल ही इस दूरी जंगलों के रास्ते तय करते हैं। आदिवासी बाहुल्य होने के कारण इटारसी जिला बनने का औचित्य साबित करता है। इसमें सोहागपुर तहसील, सिवनी बनापुरा तहसील, डोलरिया तहसील के साथ ही सारणी और भौंरा के कुछ हिस्से को शामिल कर आदिवासी जिला बनाया जा सकता है। शासन ने पहले मंडला, बैतूल, डिंडौरी, शहडोल के साथ दो तहसीलों को मिलाकर उमरिया को जिला घोषित किया है। इसी तरह होशंगाबाद जिले से अलग बनाए गए हरदा जिला में भी महज दो तहसीलें टिमरनी और खिरकिया हैं। इस लिहाज से इटारसी का विस्तार व्यापक और सुविधाजनक होने से आदिवासी जिला बनने की पात्रता रखता है।