भोपाल। इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन को लेकर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को केंद्र की तंगदिली से रूबरू होना पड़ रहा है। रेलवे बोर्ड मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार से मुफ्त जमीन के साथ ही रेल लाइन बिछाने का आधा खर्च भी मांग रहा है। इन बेतुकी शर्तो के पीछे रेल बोर्ड केंद्रीय योजना आयोग की आड़ ले रहा है।
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने इस रेल लाइन को बिछाने के बारे में केंद्र सरकार और रेलवे बोर्ड के साथ बैठक की थी। मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव एंटोनी जेसी डिसा ने दिल्ली जाकर बताया था कि रेल लाइन के मामले में मध्यप्रदेश जनसंख्या घनत्व और प्रति वर्ग किमी के मान से मध्यप्रदेश देश के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी पीछे हैं। मप्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार चाहती है कि प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के बीच सीधी रेल सेवा मुहैया हो। अभी इंदौर से मुंबई रेल मार्ग रतलाम होकर जाता है।
मध्यप्रदेश सरकार चाहती है कि रेल मंत्रालय इंदौर-मनमाड रेल लाइन बिछाने के साथ ही इंदौर-खंडवा रेल लाइन को ब्राड गेज करने की पहल करे। लेकिन रेलवे बोर्ड ने इन दोनों ही कामों को करने के मामले में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार पर ऐसी शर्तो की पुलिंदा थोप दिया है कि उसे पूरा करने के लिए दोनों की राज्य सरकारें तैयार नहीं है। मध्यप्रदेश सरकार ने रेलवे बोर्ड के सामने रेल मार्ग और स्टेशन आदि बनाने के लिए सरकारी जमीन मुफ्त देने तैयार है।
उसने यह पेशकश भी की थी कि रेल पटरी बिछाने के लिए जो भी मिट्टी का काम [अर्थ वर्क] होगा उसकी मजदूरी का भुगतान वह मनरेगा योजना के तहत मिलने वाले पैसे से करा देगा। लेकिन रेलवे बोर्ड चाहता है कि राह में प़़डने वाली सरकारी जमीन मुफ्त देने के साथ ही राज्य सरकार निजी भूमि का अधिग्रहण भी कराए और उसका पूरा भुगतान भी वही करे। यही नहीं उसकी मांग है कि रेल पटरी बिछाने पर होने वाले खर्च में से आधी रकम की अदायगी राज्य सरकार अपने खजाने से करे।
मनमाड़ रेल लाइन का मध्यप्रदेश का हिस्सा करीब 160 किमी है। रेलवे बोर्ड ने पचास फीसद रकम देने की जो शर्त रखी है वह मौजूदा बाजार दरों के हिसाब से 532 करोड़ के आसपास बैठता है। लेकिन वह यह नहीं बता रहा है कि वह कितने सालों में यह रेल लाइन बिछाएगा और तब इसकी कितनी लागत आएगी। यही नहीं वह इंदौर खंडवा रेल लाइन को चौड़ा करने का काम पूरा होने की 'डेडलाइन' भी बताने तैयार नहीं है।
मध्यप्रदेश सरकार के साथ ही महाराष्ट्र सरकार ने रेलवे बोर्ड की शर्तो को बेतुका बताते हुए इन्हें मानने से इंकार कर दिया है। लेकिन रेलवे बोर्ड का कहना है कि केंद्रीय योजना आयोग के आग्रह पर उसने ऐसी शर्त रखी है। लेकिन मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने साफ कर दिया है कि उसकी इन शर्तो को मान पाना मुमकिन नहीं है।
रेलवे बोर्ड की शर्ते अनुचित हैं। हमने और महाराष्ट्र ने अपनी आपत्तियों से उन्हें अवगत करा दिया है। बोर्ड ने केंद्रीय योजना आयोग से चर्चा करके जवाब देने का यकीन दिलाया था। हम उनके जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं-एंटोनी जेसी डिसा, अपर मुख्य सचिव, परिवहन विभाग, मप्र शासन।