भोपाल। उषा चतुर्वेदी के अध्यक्ष बनने के बाद तेजी से सक्रिय हुए बाल आयोग ने स्कूलों के खिलाफ धमचक के बाद अब हुक्का लाउंज पर हमला बोल दिया है। बाल आयोग का कहना है कि हुक्का लाउंज बंद होने चाहिए क्योंकि इसमें नाबालिग छात्र छात्राओं को भी एंट्री मिलती है।
चाइल्ड के सहारे एडल्ट इंडस्ट्री पर हमले की यह एक अच्छी योजना तैयार की गई है। इस माध्यम से बाल आयोग पूरी की पूरी सोसायटी में दखल दे सकेगा और बिस्किट व चाकलेट के अलावा पास्ता और पिज्जा विक्रेता भी आयोग की जांच के दायरे में आ सकेंगे, लेकिन देखना होगा कि शासन आयोग को दायरे से बाहर निकलने का अवसर प्रदान करेगा या नहीं।
फिलहाल हुक्का लाउंज के मामले में बाल आयोग का कहना है कि वहां नशे का कारोबार होता है और नाबालिग भी नशे की जकड़ में आ जाते हैं। कानून की आड़ लेकर चलाए जा रहे हुक्का लाउंजों के संबंध में आयोग ने जिला प्रशासन को अपने नियम-निर्देशों को स्पष्ट करने को भी कहा है।
मप्र बाल संरक्षण आयोग की शुक्रवार को विशेष बेंच लगाई गई। इसमें प्रदेश में बाल उत्पीड़न संबंधी शिकायतों की सुनवाई की गई। आयोग की अध्यक्ष उषा चतुर्वेदी के अनुसार जिला प्रशासन के नियम और निर्देश स्पष्ट नहीं होने से हुक्का लाउंज वाले कानूनी कार्रवाई से बच जाते हैं, जिसके नतीजे में स्कूली छात्रों का शारीरिक और मानसिक पतन हो रहा है।
ऐसे में इनको प्रतिबंधित करने के बारे में स्पष्ट और समयबद्ध निर्देश दिए जाएं। सुनवाई के दौरान आयोग के सदस्य विभांशु जोशी, श्रीमती रीता उपमन्यु, एच. लता एवं विजया शुक्ला भी मौजूद थे।