भोपाल। तेजी से बन रहे एम्स का निर्माण अब अटक सकता है। वजह है बिल्डिंग परमिशन फीस जो 10 करोड़ रूपए होती है। नगर निगम लगातार फीस मांग रहा है और एम्स के कहना है कि पूरे देश में सबने माफ की है, आप भी करो। निगम माफ करने के मूड में नहीं है। अब यह लड़ाई कहां तक जाएगी कहा नहीं जा सकता, लेकिन निगम ने नोटिस दिया तो काम रुक भी सकता है।
एम्स की बिल्डिंग परमिशन फीस के रूप में दस करोड़ रुपए को लेकर एम्स प्रबंधन और नगर निगम फिर आमने सामने हैं। नगर निगम एम्स को नोटिस देने की तैयारी में है। निगम कई बार एम्स प्रबंधन को बिल्डिंग परमिशन फीस जमा करने को कह चुका है। अब दिसंबर में एम्स को नोटिस देने की तैयारी है। वहीं इस मामले में एम्स का कहना है कि अन्य राज्य सरकारों की तरह भोपाल नगर निगम को भी बिल्डिंग परमिशन शुल्क माफ करना चाहिए है। गौरतलब है कि साकेत नगर के पास करीब 138 एकड़ के दायरे में एम्स का निर्माण किया जा रहा है।
यहां 73 एकड़ में अस्पताल और 65 एकड़ के दायरे में आवासीय परिसर का निर्माण किया गया है। निगम का कहना है कि नगर निगम की सीमा होने के नाते इसकी बिल्डिंग परमिशन निगम ने दी है, जिसके एवज में उसे 10 करोड़ रुपए चाहिए। निगम इस रकम के लिए निगम बार-बार एम्स को सूचना देता रहा है, वहीं एम्स प्रबंधन पटना, रायपुर, भूनेश्वर, जोधपुर और ऋषिपुरम में बनने वाले एम्स पर मिली छूट के आधार पर भोपाल में भी छूट उम्मीद लगाए बैठा है।
निगम का तर्क है कि बिल्डिंग परमिशन शुल्क निगम का हक है। अगर राज्य शासन चाहता है कि एम्स को छूट दी जाए तो वो निगम को शुल्क जमा कर दे। ऐसे में यह मामला उलझा हुआ है। गौरतलब है कि एम्स की बिल्डिंग परमिशन व अन्य मुद्दों को लेकर 4 अगस्त को बैठक हुई। जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पीके प्रधान के साथ नगरीय प्रशासन विभाग एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव एसपीएस परिहार, आयुक्त संजय शुक्ला के साथ नगर निगम कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।