मप्र में प्राइवेट स्कूलों की हड़ताल का ऐलान | MP NEWS

इंदौर। ASSOAIATION OF UNITED CBSE SCHOOLS ने शिवराज सिंह सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ STRIKE का ऐलान कर दिया है। बताया जा रहा है MP EDUCATION BOARD, BHOPAL एवं CENTRAL BOARD OF SECONDARY EDUCATION से संबद्ध सभी PRIVET SCHOOL इस हड़ताल में शामिल होंगे। हड़ताल का दिन 23 जनवरी तय किया गया है। DPS हादसे के बाद प्रदेश भर में प्राइवेट स्कूल बसों की सख्ती से जांच की जा रही है। स्कूल संचालक इसी सख्त कार्रवाई के खिलाफ लामबंद हुए हैं। 

प्रशासन की सख्ती से से घबराए 'एसोसिएशन ऑफ यूनाइडेड सीबीएसई स्कूल्स' से संबद्ध स्कूलों के प्राचार्य व प्रबंधन ने शुक्रवार को अपनी पीड़ा जाहिर की। इनका कहना था वे सरकार के सभी नियम पालन करना चाहते हैं लेकिन उन्हें पर्याप्त वक्त चाहिए। नए-नए आदेश-निर्देशों का पालन कौन सी एजेंसी करवाएगी यह भी स्कूलों को बताना होगा। प्रशासन के सामने स्कूलों की सुनवाई नहीं हो रही है। स्कूल की ओर से कोई प्रतिनिधि प्रशासन के पास जाता है तो उसे दोषी मानकर टरका दिया जाता है।

अवैधानिक चालान बना रहा प्रशासन
मीडिया से चर्चा में सीबीएसई स्कूल संगठन के अध्यक्ष अनिल धूपर ने कहा स्कूल बसों को सड़क पर रोककर कार्रवाई की आड़ में अवैधानिक चालान भी बनाए जा रहे हैं। कहीं भी बस को रोका जा रहा है। इससे कभी बच्चे स्कूल देर से पहुंचते हैं तो कभी घर। वहीं ड्राइवर-कंडक्टर, छात्र, शिक्षक, अभिभावक, प्रबंधन सभी पर मानसिक दबाव बन रहा है।

सभी चाहते हैं प्रशासन की बात मानना
इधर, सीबीएसई स्कूल प्रबंधन का कहना था हम स्पीड गवर्नर, जीपीएस, सीट बेल्ट सहित सभी नए नियम मानने को तैयार हैं, लेकिन कौन सी एजेंसी ये लगाएगी यह सरकार बताने को तैयार नहीं है। इन सबके बाद भी हादसा होता है तो कौन जिम्मेदार होगा? सहोदय ग्रुप की संभागीय अध्यक्ष अर्चना शर्मा ने कहा किसी भी हादसे के लिए सिर्फ स्कूल को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।

प्राचार्य, प्रबंधन, शिक्षक सभी के लिए बच्चे की सुरक्षा सर्वोपरि होती है। हम प्रशासन की सभी बातें मानना चाहते है लेकिन हमें थोड़ा वक्त चाहिए। तकनीकी मामलों में निर्देशों को लागू करने में थोड़ा वक्त लगता है। गोल्डन इंटरनेशनल स्कूल की प्राचार्य रीना खुराना ने कहा प्रशासन सभी स्कूल प्रबंधन से गुनहगार की तरह बर्ताव कर रहा है। प्रशासन-शासन कोई साथ नहीं दे रहा है। सिर्फ प्रबंधन को दोष देना उचित नहीं है। कोई भी प्रबंधन बच्चों का नुकसान नहीं चाहता।

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