MPPSC: आयु सीमा छूट को लेकर अतिथि विद्वान नाराज | mp news

भोपाल। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित की गई असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सरकारी कॉलेजों में वर्षों से पढ़ा रहे अतिथि विद्वान आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि सरकार आयु सीमा में छूट का जो लाभ घोषित किया है वो राहत कम अपमान ज्यादा प्रतीत हो रहा है। यह कतई न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। आयु सीमा की गणना 1 जनवरी 2018 से करने के कारण कई लोग भर्ती प्रक्रिया से ही बाहर हो गए हैं। 

अतिथि विद्वान चाहते हैं कि भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 साल के बजाए 48 कर दी जाए। साथ ही कहा है कि यदि शासन इसमें संशोधन नहीं करता है तो भर्ती प्रक्रिया को कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा। सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2968 खाली पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया में मूल निवासियों के साथ ही सरकारी कॉलेजों में बतौर अतिथि विद्वान सेवा देने वाले उम्मीदवारों काे आयु सीमा में छूट दी है लेकिन अतिथि विद्वान इस छूट से खुश नहीं है। 

2200 अतिथि विद्वानों का भविष्य चौपट हो गया
आयोग ने सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन की अधिकतम आयु सीमा तीन साल की छूट के साथ 43 साल निर्धारित की है। जबकि अतिथि विद्वानों के लिए यह 45 साल तक रखी गई है। मप्र अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह के अनुसार 2200 अतिथि विद्वान आयु सीमा के कारण इस प्रक्रिया से पहले ही बाहर हो चुके हैं। जो बचे हैं और इस समय 43 साल की आयु तक पहुंच चुके हैं। उन्हें भी केवल अतिरिक्त दो साल की ही छूट का लाभ दिया जा रहा है। इससे उनके सामने अपात्र होने का संकट खड़ा हो गया है। 

पीजी में 55 प्रतिशत क्यों मांगे
इसी भर्ती प्रक्रिया पर ओबीसी नॉन क्रीमिलेयर उम्मीदवारों ने भी सवाल उठा दिए हैं। इन उम्मीदवारों का कहना है कि सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएट में 50 प्रतिशत तक अंक वालों को यूजीसी-नेट और एमपी स्लेट दिलवा दी। कई उम्मीदवारों ने इसमें क्वालिफाई भी कर लिया लेकिन जब असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की बारी आई तो पीजी में 55 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य कर दिया। ओबीसी नॉन क्रीमिलेयर उम्मीदवार अनूप पाटीदार का कहना है कि पीजी में 50 प्रतिशत वालों को नेट स्लेट दिलवाकर भर्ती में 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर देना सही नहीं है। आयोग के अधिकारियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया शासन की गाइडलाइन के तहत ही हो रही है। 

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