रसूखदारों के पिता की लावारिस मौत पर भोजनालय बंद, बेटी ने पूछा तीसरा कब है | BALAGHAT NEWS

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। रसूखदारों के पारिवारिक रिश्तों के ताने बाने में उलझी यह कहानी दर्द का का समंदर समेटे लगती है। व्यापमं घोटाले के प्रमुख आरोपी नितिन मोहिंद्रा जिनकी कृपा से ना जाने कितने युवा डॉक्टर बन गए, उनके पिता को अंतिम समय में देखभाल के लिए एक नर्स तक नहीं मिली। वो अकेले कमरे में तड़पते हुए मर गए लेकिन उनके भरे पूरे परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं था। हां एक बेटी उनके भोजन का बिल अदा करके अपनी न्यूनतम जिम्मेदारियां निभा लिया करती थी। चौंकाने वाली बात तो यह है कि उनकी मृत्यु के शोक में आज वो भोजनालय बंद रहा जहां से उनके लिए खाना जाता था परंतु परिवारजन आज भी नहीं आए। भोपाल में रहने वाली उनकी एक बेटी ने फोन पर यह जरूर पूछा कि उनका तीसरा कब है। 

नितिन मोहिंद्रा की बहन जो भोपाल के कालेज में प्रोफेसर हैं, ने आज राजधानी भोजनालय बस स्टेण्ड वारासिवनी के मालिक प्रफुल जैन को फोन पर चर्चा करते हुये मृत्यु के पश्चात तीसरे दिन होने वाले कार्यक्रम के बारे में जानकारी हासिल की और उन्होने उनकी मृत्यु के संबंध में भोपाल समाचार डॉट कॉम में छपी खबर पर दुख व्यक्त किया।

प्रफुल जैन ने अवगत कराया की वे उनके लॉज में पिछले 10 वर्षों से नियमित भोजन किया करते थे। उनके दैनिक खर्च के लिये उनके परिजन उनके खाते में राशि भिजवाया करते थे जिससे उनकी आवश्यकता की पूर्ति होती थी। इसे बिडम्बना ही कहा जाये की सम्पन्न परिजनों के होते हुये जयकिशन महिन्द्रा को पिछले 20 वर्षों से एकाकी और गुमनामी जीवन व्यतीत करना पडा। आखिरी वक्त में उनके पास उनका कोई अपना भी नहीं था। जयकिशन जी लगभग 82 वर्ष के थे। इस उम्र में बहुत जरूरी होता है कि देखभाल के लिए कम से कम एक व्यक्ति तो हो परंतु जिसके बेटे बेटियां देश विदेश में सम्पन्न जीवन बिता रहे हैं, उसकी दर्दनाक मृत्यु ने सबको हिलाकर रख दिया। 

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