नई दिल्ली। वेंकैया नायडू शनिवार को देश के 13वें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए। वेंकैया की इस जीत के साथ ही भारत के हर महत्वपूर्ण पद पर हिंदू नेता काबिज हो गया है। हिंदुस्तान में अब सही मायनों में हिंदूराज कायम हो गया है। आरएसएस की विचारधारा से पोषित भाजपा राज्यसभा में भी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति के लिए निर्वाचित वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के स्वयं सेवक हैं। खास बात ये है कि इन ही तीनों नेताओं का जीवन बड़ा सादगीपूर्ण रहा है। तीनों ही सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से आए हैं। रामनाथ ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद अपने मुफलिसी वाले दिनों को याद किया था। वेंकैया नायडू भी एक किसान परिवार से आते हैं वहीं पीएम मोदी अक्सर बताते हैें कि वह किस तरह बचपन में चाय बेचा करते थे।
नरेंद्र मोदी ने 17 साल की उम्र में 1967 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। संघ प्रचारक के रूप में बेहतरीन काम किया। और साल 2001 में उन्हें गुजरात का सीएम बनाया गया। साल 2014 में हुए आम चुनाव में भाजपा को शानदार जीत मिली और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने।
इसी तरह रामनाथ कोविंद ने भी संघ में अपना योगदान दिया। कोविंद 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। कोविंद इसके बाद भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए और संघ से जुड़ गए। भाजपा ने साल 1993 और 1999 में उन्हें राज्यसभा भेजा। कोविंद भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। आज वे देश के राष्ट्रपति हैं।
वहीं नायडू की बात करे तो वह युवावस्था में ही संघ से जुड़ गए थे। 2002 में पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। संघ और भाजपा में सालों काम करने के बाद आज वो इस मुकाम पर पहुंचे हैं। यहां तक पहुंचने के लिए तीनों ही नेताओं की राह आसान नहीं रही। तीनों ही नेताओं की छवि पाक साफ मानी जाती है। इनके पूरे जीवन में कभी भ्रष्टाचार का आरोप तक नहीं लगा।