सनातन धर्म मॆ सभी त्योहार ऋतु संधि तथा तिथियों के व्रत द्वारा शारीरिक स्वास्थय की रक्षा के अलावा सौभाग्य वृद्धि प्रदायक है।चंद्र सभी चेतन या जीवित प्राणियों का मन है यही खानपान तथा संसार का कारक भी है सनातन धर्म मॆ सभी त्योहार चंद्रतिथियों पर आधारित है जिससे प्राणी मात्र का मन तथा संसार पर नियंत्रण बना रहे। मां पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप मॆ प्राप्त करने के लिये सहस्त्रों वर्ष कठोर तप किया जिसमे पहले उन्होने फलाहार फ़िर पत्तों का सेवन किया जिससे वे अपर्णा कहलाई। फ़िर निर्जला व्रत किया। मां पार्वती का यह व्रत भाद्रपद मास की तीज के दिन पूर्ण हुआ। इसीलिये सभी कुआरी तथा सौभाग्यवती स्त्रियां अखंड सौभाग्य के लिये इस दिन सूर्योदय के पश्चात से निर्जला व्रत करती हैं। वैसे व्रत करने से तेज बल आत्मशक्ति का विकास होता है। व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है ये। पूर्णतः सत्य है लेकिन कुतर्क करने वालों का कोई जवाब नही।
हरितालिका व्रत कैसे करें
इस बार यह व्रत 24 अगस्त को आ रहा है। जैसी आपकी सामर्थ्य हो वैसा व्रत करना चाहिये। वैसे जो व्रत करता है वह वैसे ही परम संकल्पवान तथा अखंड शक्ति प्राप्त करता है। इसके अलावा कोई दिक्कत भी है तो भगवान से विनती करना चाहिये। सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करना चाहिये। जिससे आपका हरितालिका व्रत निर्विध्न सम्पन्न हो और भगवान शिव की आपको कृपा मिले। ध्यान रहे इस व्रत मॆ भगवान शिव स्वयं आपकी रक्षा करते है।
व्रत का विधान
इस व्रत मॆ भगवान शिव की कथा भजन पूजन मनोरंजन करते हुए व्रत सम्पन्न करना चाहिये। मिट्टी के शिव पार्वती बनाने चाहिये। व्रत करते हुए निर्जला फलाहारी जैसी आपकी सामर्थ्य हो वैसा व्रत करना चाहिये तथा व्रत पूर्ण करने के पश्चात पंचदेव शिव, पार्वती, गणेश, सूर्य और विष्णु का पूजन करने के पश्चात व्रत को पूर्ण करना चाहिये। यह व्रत परम सौभाग्यशाली तथा मनोकामना पूर्ण करना वाला है। सनातन महिला वर्ग के लिये सबसे बड़ा त्योहार है। इसीलिये घर के सभी पुरुषों को इस व्रत को पूर्ण करने मॆ महिला वर्ग का सहयोग करना चाहिये।
इस व्रत के दौरान यदि आप निर्जला व्रत कर सकती है तो ही इसका संकल्प करें अन्यथा आप फलाहारी व्रत भी कर सकती है लेकिन यदि आपने चोरी छिपे फलाहार किया तो कथा मॆ ऐसी महिलाओं के लिये बन्दरिया या फल खाने वाले पक्षी बनने का विधान है। जो इस व्रत के दौरान सोता है उसे अजगर बनने का विधान है। इसीलिये आपकी जैसी सामर्थ्य हो वैसा ही संकल्प कर व्रत करना चाहिये। यदि आपको अपने आप व परमात्मा पर भरोसा है जो की होना चाहिये तो निश्चित रूप से भगवान आपके व्रत को सफल करेंगे।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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